Saturday 1 August 2015

संकट टालने के लिए सीएम राजे पुष्कर के अट


(spmittal.blogspot.in)
मटेश्वर महादेव मंदिर में करवाएंगी सहस्रधारा
अपने ऊपर आए राजनीतिक संकट को टालने के लिए राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे पवित्र तीर्थस्थ पुष्कर के अट मटेश्वर महादेव मंदिर में सहस्रधारा का धार्मिक आयोजन करवा रही हैं। सावन माह के चारों सोमवार को इस मंदिर में राजे की तरफ से विशेष पूजा-अर्चना होगी। हो सकता है कि किसी एक सोमवार को स्वयं राजे भी धार्मिक अनुष्ठान में शामिल हों। पहला सोमवार तीन अगस्त का है, जबकि दूसरा 10 अगस्त, तीसरा 17 तथा चौथा 24 अगस्त का है। हालांकि राजे शुरू से ही धार्मिक प्रवृति की रही हैं और समय-समय पर ऐसे आयोजन करती रहती हैं, लेकिन इस बार की पूजा-अर्चना का खास महत्व है क्योंकि राजे के इस्तीफे की मांग को लेकर विपक्षी दलों ने संसद के दोनों सदनों को ठप कर रखा है। भगोड़े ललित मोदी से कारोबारी रिश्तों को लेकर विपक्ष राजे पर गंभीर आरोप लगा रहा है। विपक्ष के आरोपों और संसद के ठप होने की स्थिति को देखते हुए राजे इन दिनों किसी सार्वजनिक समारोह में भी नजर नहीं आ रही हैं। माना जा रहा है कि घर पर भी पूजा-पाठ की अवधि बढ़ा दी गई है। जानकारों की मानें तो पुष्कर के अट मटेश्वर महादेव मंदिर में सहस्रधारा का खास महत्व है क्योंकि राजे स्वयं के पारिवारिक शिवजी के मंदिर में आयोजन न कर दूसरे मंदिर में कर रही हैं। राजे के परिवार के ग्वालियर घाट पर ऐतिहासिक शिवजी का मंदिर है, लेकिन राजे का धार्मिक अनुष्ठान अट मटेश्वर महादेव मंदिर में हो रहा है। अनुष्ठान में कोई कमी नहीं रह जाए, इसको लेकर तीन दिल पहले राजे के विश्वासपात्र और राजस्थान धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण के अध्यक्ष औंकार सिंह लखावत ने मंदिर परिसर का मुआयना किया है। भाजपा के क्षेत्रीय विधायक सुरेश सिंह रावत ने भी एक अगस्त को अपने समर्थकों के साथ मुआयना किया। रावत के साथ देवस्थान विभाग के सहायक आयुक्त गिरीश बच्चानी भी थे। समर्थक इस बात से उत्साहित हैं कि सीएम राजे विधायक रावत की देख रेख में धार्मिक अनुष्ठान करवा रही हैं। मालूम हो कि अट मटेश्वर महादेव मंदिर पुष्कर सरोवर के किनारे बना हुआ है। सीएम की ओर से पंडित सत्यनारायण शर्मा के नेतृत्व में 10 पंडित रूद्राभिषेक करेंगे।
क्या सीएम की मनोकामना पूरी होगी
पुष्कर के अट मटेश्वर मंदिर के लिए कहा जाता है कि यहां जो भी भगवान शिव की अराधना करता है उसकी मनोकामना पूरी होती है। मंदिर परिसर में जो शिलापट्ट लगा हुआ है, उसमें बताया गया है कि पुष्कर में यह एक मात्र मंदिर है कि जिसकी स्थापना स्वयं जगतपिता ब्रह्माजी ने अपने हाथों से की थी। पद्म पुराण के अनुसार जब सृष्टि की उन्नति के लिए यहां ब्रह्माजी ने यज्ञ किया, तब यज्ञस्थल पर एक अघोरी अपने डरावने रूप में आ गया। वह अटमट-अटमट बोल रहा था। अघोरी को देखकर यज्ञ में आए देवी-देवता डर गए। कुछ देवताओं ने अघोरी को प्रवेश नहीं करने दिया। नाराज अघोरी ने अपना कपाल वहीं छोड़ दिया और अदृश्य हो गया। थोड़ी ही देर में यज्ञस्थल पर कपालों का ढेर लग गया, लेकिन जब ब्रह्माजी ने अपनी दिव्य शक्ति से घटनाचक्र की जानकारी ली तो यह सामने आया कि यह सारी माया भोलेनाथ की है जो देवताओं से मस्ती कर रहे हैं। इसके बाद स्वयं जब ब्रह्माजी ने इसी स्थान पर शिवलिंग की स्थापना की, जिसे अट मटेश्वर महादेव का नाम दिया गया।
(एस.पी. मित्तल)M-09829071511

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