Sunday 16 August 2015

फायरिंग के बीच क्यों हो रही है पाक से वार्ता। बोलते क्यों नहीं नरेन्द्र मोदी

16 अगस्त को इधर पीएम नरेन्द्र मोदी दिल्ली से यूएई पहुंचे तो उधर सुबह पांच बजे से ही पाकिस्तान ने पूंछ से भारी गोलाबारी शुरू कर दी। इस गोलाबारी में 6 से भी ज्यादा कश्मीरियों की मौत हो गई तथा कोई दो दर्जन जने जख्मी हो गए। पाक की ओर से यह गोलाबारी तब हो रही है जब 23-24 अगस्त को दोनों देशों के बीच एनएसए स्तर की बैठक होने वाली है। सवाल उठता है कि फायरिंग के बीच एनएसए स्तर की बैठक क्यों हो रही है? नरेन्द्र मोदी जब विपक्ष में थे तब बार-बार कहते है कि आतंक और गोलाबारी के बीच पाक से वार्ता नहीं होनी चाहिए। क्या पीएम बनने के बाद वार्ता के मायने बदल गए हैं? पाक ने न तो सीमा पर फायरिंग को रोका है और न ही कश्मीर और अन्य राज्यों में आतंकवाद की घटनाओं में कोई कमी आई है। अच्छा हो कि एनएसए स्तर की बैठक को तत्काल रद्द कर पाक को करारा जवाब दिया जाए। मोदी देशवासियों पर भरोसा रखें कि जब पाक के विरुद्ध सख्त कार्यवाही होगी तो पूरा देश मोदी के साथ खड़ा होगा। इससे वे लोग भी बेनकाब हो जाएंगे जो इस  देश के साथ गद्दारी कर रहे हैं। मोदी के अब यह तो समझ में आ ही गया होगा कि पाकिस्तान में सरकार के बजाए कट्टरपंथियों का दबाव है और ऐसे भारत विरोधी कट्टरपंथियों को पाक की बदनाम खुफिया एजेंसी आईएसआई का समर्थन है। मोदी को इस मुगालते में भी नहीं रहना चाहिए कि यूएई में किसी शेख की मदद से वे मोस्ट वांटेड दाऊद इब्राहिम को पाकिस्तान से पकड़ कर ले आएंगे। जिस दाऊद की मुबई बम धमाकों के बाद से कोई फोटो भी हासिल नहीं की जा सकी है, उस दाऊद को वाया दुबई से कभी नहीं लाया जा सकता है। जब पाकिस्तान हाफिज सईद जैसों पर ही कोई अंकुश नहीं लगा पा रहा है, तब दाऊद को लाने की बात बेमानी हैं। मोदी माने या नहीं, लेकिन पूरा देश मोदी की ओर टकटकी लगाए बैठा है। सब चाहते हैं कि मोदी जल्द से जल्द पाक के खिलाफ कार्यवाही करें। ऐसा न हो कि समय निकल जाने के बाद स्वयं मोदी को पछतावा हो। मोदी के नेतृत्व में भाजपा को इसलिए पूर्ण बहुमत दिया था कि वे पाकिस्तान और आतंककारियों के खिलाफ कार्यवाही करेंगे। यह भी समझ में नहीं आ रहा कि 15 अगस्त को मोदी ने लाल किले से आतंकवाद पर क्यों नहीं बोला। जबकि पूरा देश उम्मीद लगाए बैठा था। मोदी को कम से कम यह तो बताना ही चाहिए कि आतंकवाद और पाकिस्तान के मुद्दे पर उनकी क्या नीति है। जबकि पाकिस्तान की ओर से वो सब कुछ जारी रखा गया जो कांग्रेस के शासन में भी था। उल्टे भारत विरोधी वारदातें अब ज्यादा होने लगी हैं। 16 अगस्त को पाक की गोलाबारी के विरोध में पेंथर पार्टी के कार्यकर्ताओं ने जम्मू में प्रदर्शन किया, जबकि घाटी के श्रीनगर में पाकिस्तान के खिलाफ कोई प्रदर्शन नहीं हो सका। श्रीनगर में जब भी कोई प्रदर्शन होता है तब या तो पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगते या फिर आतंकी संगठन आईएस के झंडे लहरते हैं। क्या नरेन्द्र मोदी के शासन में भी श्रीनगर में भारत जिंदाबाद के नारे नहीं लग सकते? और यदि नहीं लग सकते हैं तो फिर कश्मीर के हालातों का अंदाजा लगाया जा सकता है। माना कि इन सब हालातों के लिए कांग्रेस की तुष्टीकरण  की नीतियां जिम्मेदार हैं, लेकिन अब तो नरेन्द्र मोदी को भी पीएम बने डेढ़ वर्ष हो गया। मोदी माने या नहीं, अब भारत को ज्यादा अपमानित होना पड़ रहा है। विकास का एजेंडा अपनी जगह है। मोदी विकास तभी तो कर सकंगे जब देश बचेगा।
कौन हैं टीम इंडिया में :
15 अगस्त को लालकिले से मोदी ने टीम इंडिया का नारा दिया और कहा कि इस टीम में देश देश के सवा सौ करोड़ लोग शामिल है। क्या इस टीम में हैदराबाद के सांसद औवेसी, कश्मीर के अलगाववादी नेता अली शाह गिलानी, मीर वाइज, कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके पुत्र राहुल गांधी, मुलायम सिंह यादव, आजम खान, लालूप्रसाद यादव, कश्मीर के सीएम मुफ्ती मोहम्मद सईद आदि भी शामिल हैं। यदि ऐसे लोगों को लेकर मोदी टीम इंडिया बनाते है तो फिर इस टीम का भगवान ही मालिक है।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511

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