Wednesday 26 August 2015

क्या मुस्लिम आबादी बढऩा चिंता का विषय है।

केन्द्र सरकार ने जातिगत जनसंख्या के जो आंकड़े जारी किए हैं, उसमें हिन्दुओं के मुकाबले मुसलमानों की जन्मदर ज्यादा है। देश में जहां हिन्दुओं की जनसंख्या 96 करोड़ 63 लाख है, वहीं मुसलमानों की संख्या 14 करोड़ दो लाख है। लेकिन हिन्दुओं की जनसंख्या वृद्धि दर 16.8 प्रतिशत है, वहीं मुसलमानों की वृद्धि दर 24.6 प्रतिशत है। यह माना कि भारत एक धर्म निरपेक्ष राष्ट्र है और यहां किसी भी धर्म का व्यक्ति अपने धर्म के अनुरूप जीवन यापन कर सकता है। यही वजह है कि देश के कानून हिन्दू समुदाय पर तो लागू होते हैं, लेकिन धर्म की वजह से मुलमसानों को देश के कानून में छूट मिली हुई है। राजनेताओं का रवैया भी भेदभाव पूर्ण नजर आता है, लेकिन इन सब के बाद भी आमतौर पर हिन्दू-मुसलमान समन्वय के साथ रह रहा है। समस्या और चिंता तब होती है, जब देश में आतंकवादी घटनाएं होती है और बड़ी संख्या में हिन्दू नागरिक मारे जाते हैं।
जिस तरह से पाकिस्तान में प्रशिक्षित आतंकवादी आए दिन कश्मीर और देश के अन्य क्षेत्रों में हमले कर रहे हैं। उससे हालात और बिगड़ते जा रहे हैं। यह बात भी सामने आई है कि सीमा पार से आतंकी निहत्थे आते हैं और फिर उन्हें भारत में ही हथियार और अन्य साधन उपलब्ध होते हैं। यानि इस देश में ऐसे लोग रह रहे हैं जो भारत की एकता और अखंडता को खंडित करना चाहते हैं। मुस्लिम आबादी वाले कश्मीर के हालात को आज पूरा देश देख रहा है। श्रीनगर के लाल चौक पर खुले आम भारत के खिलाफ नारे लगते हैं। शर्मनाक बात तो तब होती है, जब यहां के लोग पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाते हैं। कश्मीर में भाजपा के सहयोग से पीडीपी की सरकार चल रही है, लेकिन इसके बावजूद भी कश्मीर में राष्ट्रभक्ति का माहौल नहीं बन रहा है। अलगाववादी नेता खुलेआम कश्मीर को भारत से अलग करने की मांग कर रहे हैं।
कश्मीर में लागू धारा 370 हटने और लगे रहने से देश के आम मुसलमानों का कोई सरोकार नहीं है, लेकिन इसके बावजूद भी कश्मीर से धारा 370 हटाने को लेकर देश में माहौल नहीं बन रहा है। आज कश्मीर में जो हालात बिगड़े हैं, उसकी एक वजह धारा 370 भी मानी जाती है। यदि धारा 370 का प्रावधान न हो तो कश्मीर में देश के आम मुसलमान और हिन्दू भी जाकर रह सकता है। इस धारा की वजह से ही कश्मीर में माहौल एक तरफा हो गया है। पाकिस्तान में बैठे आतंकवादी नेता खुलेआम कह रहे हैं कि कश्मीर को भारत से अलग किया जाए। आमतौर पर भारत में रहने वाला मुसलमान शांति और भाईचारे के साथ रह रहा है, लेकिन उसे तब पीड़ा होती है, जब पाकिस्तान से आए आतंकवादी भारत में निर्दोष हिन्दुओं को मौत के घाट उतार देते हैं। देश में जितनी भी आतंकवादी वारदातें हुई है, उनमें पाकिस्तान से प्रशिक्षित आतंककारी की भूमिका रही है। हिन्दू और मुसलमान को लेकर राजनीतिक दल भी कम दोषी नहीं है। राजनेता अपने-अपने नजरिए से दोनों समुदाय को आमने-सामने करते रहते हैं।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511

No comments:

Post a Comment