Saturday 22 August 2015

शहर के मुकाबले में देहात में रही भाजपा की राह आसान

स्थानीय निकायों के चुनाव में जहां अजमेर शहर में भाजपा को बगावत की बदनामी झेलनी पड़ी वहीं देहात के चार निकायों में से तीन में आसानी से भाजपा का कब्जा हो गया। मसूदा क्षेत्र की बिजयनगर पालिका में भाजपा को बहुमत ही नहीं मिला।
अजमेर नगर निगम के चुनाव में शहर जिला भाजपा के महामंत्री और निर्वाचित पार्षद सुरेन्द्र सिंह शेखावत ने मेयर के चुनाव में जिस प्रकार बगावत की उससे राजनैतिक दृष्टि से भाजपा की बदनामी हुई। खास बात यह रही कि पहले पार्षदों के चुनाव और फिर मेयर के चुनाव में संगठन की कोई भूमिका नजर ही नहीं आई। पूरा चुनाव आखिर तक उत्तर और दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में बंटा रहा। उत्तर की कमान शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी और दक्षिण की कमान महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिता भदेल ने संभाली। शहर अध्यक्ष अरविंद यादव की भूमिका कहीं भी प्रभावी नजर नहीं आई। यादव न तो शेखावत की बगावत को रोक पाए और न ही भाजपा पार्षदों की संख्या बढ़वा पाए। दक्षिण क्षेत्र के 32 वार्डो में से भाजपा को मात्र 12 में ही जीत मिली है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर शहर में भाजपा संगठन की क्या भूमिका है। शहर में यह दावा किया गया था कि मोबाइल के जरिए एक लाख सदस्य बनाए गए है, लेकिन निगम चुनाव में सभी 60 वार्डों में भाजपा को एक लाख मत प्राप्त नहीं हुए।
वहीं दूसरी ओर देहात में निकाय चुनाव में भाजपा की स्थिति बेहतर रही। टिकट वितरण से लेकर उम्मीदवारों के प्रचार और फिर प्रमुख और उप प्रमुख के चुनाव में कहीं कोई विवाद नहीं हुआ। किसी भी स्थान पर विधायक और संगठन में टकराव भी देखने को नहीं मिला। संगठन की कमान पूरी तरह देहात भाजपा अध्यक्ष बीपी सारस्वत ने संभाल रखी थी। सारस्वत ने संबंधित निकाय के क्षेत्रिय भाजपा विधायक से ऐसा तालमेल बैठाया जिससे कहीं कोई विरोध नहीं हुआ। किशनगढ़ नगर परिषद में क्षेत्रिय विधायक भागीरथ चौधरी के व्यवहार को लेकर नाराजगी थी लेकिन इसके बावजूद भी सारस्वत ने हालात को बिगडऩे नहीं दिया। 45 में से 22 भाजपा के पार्षद होने के बाद भी किशनगढ़ में भाजपा का ही सभापति और उपसभापति बना। इसी प्रकार केकड़ी नगर परिषद और सरवाड़ नगर पालिका में क्षेत्रिय विधायक शत्रुध्न गौतम से ऐसा तालमेल बैठाया कि केकड़ी में भाजपा की एक तरफा जीत हुई। मसूदा में हार का कारण संगठन के बजाय क्षेत्रीय विधायक श्रीमती सुशीला कंवर पलाड़ा और उनके पति भंवरसिंह पलाड़ा के प्रति नाराजगी बताई गई। हालांकि पलाड़ा दंपत्ति अपने विधानसभा क्षेत्र की समस्याओं के समाधान में हमेशा सक्रिय रहे लेकिन पालिका चुनाव में भाजपा को जीत नहीं दिलवा सके।
देहात भाजपा में एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि देहात अध्यक्ष बीपी सारस्वत फुट टाइम राजनीतिज्ञ नहीं है। सारस्वत एमडीएस यूनिवर्सिटी में वाणिज्य संकाय के विभागाध्यक्ष होने के साथ-साथ स्वरोजगार के अनेक कार्यक्रम यूजीसी के माध्यम से चलाते है। इतना ही नहीं बीएड और पीटीईटी जैसी राज्य स्तरीय परीक्षा भी प्रो. सारस्वत ही करवाते हैं। शैक्षणिक सेवा में इतनी व्यवस्तता के बावजूद सारस्वत सुगमता के साथ राजनीति भी कर लेते है।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511

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