Saturday 8 August 2015

आखिर आर.के. मार्बल संस्थान क्यों तंग कर रहा है पीरदान सिंह राठौड़ को?

एक समय था जब अजमेर निवासी पीरदान सिंह राठौड़ देश के प्रमुख मार्बल संस्थान आर.के. मार्बल के मालिक अशोक पाटनी की आंख का तारा थे। आज भले ही पीरदान फकीर बनकर सड़क पर खड़ा हो लेकिन वह 21 ट्रोले (बड़े वाहन) का मालिक था और यह सभी ट्रोले आर.के. मार्बल की खदानों से निकलने वाले मार्बल पत्थरों को इधर से उधर ले जाते थे। आर.के. मार्बल के विकास में पीरदान की भी मेहनत रही। आर.के. मार्बल को अधिक से अधिक लाभ पहुंचाने के लिए पीरदान के ट्रोले क्षमता से अधिक मार्बल पत्थर भरते थे। पीरदान 1994 में आर.के. मार्बल से जुड़ा और कोई 20 बरस तक काम करने के बाद 2013 में विवाद हो जाने के कारण पीरदान अलग हो गया। इसे पीरदान की नासमझी ही कहा जाएगी कि उसने आर.के. मार्बल जैसे संस्थान से लडऩा तय किया। आज पीरदान के पास एक भी ट्रोला नहीं है और कर्जे में डूब गया है। पीरदान इन सब मुसीबतों के लिए आर.के. मार्बल के मालिक अशोक पाटनी को दोषी मानता है। पीरदान का आरोप है कि उसके पास वे सब सबूत है जिनसे आर.के. मार्बल पर कार्यवाही हो सकती है। लेकिन अजमेर पुलिस से लेकर जयपुर में बैठने वाले डी.जी. तक सुनवाई नहीं कर रहे हैं। पीरदान कई बार आत्महत्या का प्रयास कर चुका है तथा आर.के. मार्बल के खिलाफ जंग में अपनी दोनों बेटियों अंजू राठौड़, दुर्गा राठौड़ और बेटे योगीराज को भी शामिल कर लिया है। मीडिया में आए दिन पीरदान की खबरें प्रकाशित हो रही हैं। पीरदान को इस बात का दु:ख है कि मीडिया आर.के. मार्बल के खिलाफ एक लाईन भी नहीं लिखता है। यहां तक की खबरों में आर.के. मार्बल शब्द का भी उपयोग नहीं होता। पीरदान का आरोप है कि अजमेर रेंज के आई.जी. का वाहन चालक जो उनका छोटा भाई है वह भी आर.के. मार्बल के इशारे पर नाच रहा है। आज पीरदान और उसके परिवार के हालात इतने खराब हो गए हैं कि एम.बी.ए. और सी.ए. उत्तीर्ण बेटियों के खिलाफ भी मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। हो सकता है कि जंग में पीरदान ने गलत निर्णय किए हों लेकिन आर.के. मार्बल के मालिक अशोक पाटनी को समाजसेवी और धर्म के प्रति आस्था रखने वाला माना जाता है। अच्छा हो कि अशोक पाटनी अपने विचारों के अनुसार पीरदान को बुलाएं और रोज-रोज कलेक्ट्रट पर हो रही छीछालेदर को बंद करवाएं। जैन धर्म में तो क्षमा को ही सबसे बड़ा पुण्य माना गया है।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511

1 comment:

  1. ये लड़ाई दिये और तूफ़ान की है। पैसे के दम पर क्या नहीं किया जा सकता है। आप किसी की भलाई भले न कर पाएं पर बुरा करने के लिए ज्यादा प्रयास नहीं करने पड़ते। आस पास के चमचे इस अवसर को खूब हवा देते है। मैं जानता हूँ कि भले ही अशोक पाटनी कितने भी अच्छे हों पर न्यायोचित निर्णय लेने में अपना फायदा देखते हैं और उसी आधार पर निर्णय करते हैं बाकि सारीचीजों को गौण कर दिया जाना स्वभाव में है।

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