Friday 21 August 2015

क्या निर्वाचन अधिकारी यादव ने बनाया धर्मेन्द्र गहलोत को अजमेर का मेयर

21 अगस्त को सायं पांच बजे टीवी चैनलों और सोशल मीडिया पर यह प्रसारित हो गया कि सुरेन्द्र सिंह शेखावत अजमेर के मेयर होंगे। शेखावत को बधाइयां भी मिलनी शुरू हो गई। ई-टीवी और जी न्यूज के राजस्थान चैनल के अजमेर के प्रभारी संपादक अभिजीत दावे और मनवीर सिंह ने नगर निगम परिसर से लाइव कर बताया कि निर्वाचन अधिकारी हरफूल सिंह यादव ने जो लॉटरी की पर्ची निकाली है, उसमें शेखावत मेयर बने, लेकिन थोड़ी ही देर में निगम के अंदर से खबर आई की शेखावत नहीं धर्मेन्द्र गहलोत मेयर बनाए गए है। इस पर शेखावत ने कड़ा ऐतराज जताते हुए निर्वाचन अधिकारी यादव पर पक्षपात का आरोप लगाया। शेखावत ने कहा कि 30-30 मत प्राप्त होने के बाद जब निर्णय के लिए एक जग में मेरे और गहलोत के नाम की पर्ची डाली गई तो पहली बार यादव ने निर्वाचन अधिकारी की हैसियत से जग में से जो पर्ची उठाई वह मेरे नाम की थी, लेकिन यादव ने मेरे नाम की पर्ची वापस जग में डाल दी और दूसरी पर्ची उठाकर धर्मेन्द्र गहलोत को मेयर घोषित कर दिया।
शेखावत ने कहा कि यादव ने यह कार्यवाही राज्य की भाजपा सरकार के दबाव में की है। उन्होंने कहा कि निर्वाचन अधिकारी के इस फैसले को अदालत में चुनौती दी जाएगी। अजमेर शहर के लोग भी यह नहीं समझ पा रहे है कि जब मीडिया में एक बार शेखावत के नाम की घोषणा हो गई तो फिर गहलोत मेयर कैसे बन गए? कांग्रेस ने भी आरोप लगाया है कि निगम चुनाव में सत्ता का जमकर दुरुपयोग हुआ है।
शेखावत ने की भाजपा से बगावत:
शहर जिला भाजपा के महामंत्री और वार्ड 43 से पार्षद बने सुरेन्द्र सिंह शेखावत ने आखिरकार 21 अगस्त को भाजपा से बगावत कर दी। शेखावत मेयर पद के प्रबल दावेदार थे, लेकिन 21 अगस्त को सुबह भाजपा ने गहलोत को मेयर का उम्मीदवार घोषित कर दिया। गहलोत की उम्मीदवारी की घोषणा के साथ ही शेखावत पुष्कर के मोतीसर रोड स्थित पुष्कर बाग पैलेस की उस बाड़ाबंदी से भागकर अजमेर आ गए, जहां भाजपा के सभी पार्षद शेखावत सीधे नगरा स्थित नानकी पैलेस पहुंचे। यहां कांग्रेस के सभी 22 पार्षद मौजूद थे। कांग्रेस के नेता हेमंत भाटी पूर्व मंत्री श्रीमती नसीम अख्तर, इंसाफ अली, महेन्द्र सिंह रलावता आदि ने शेखावत की बात प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट से करवाई। शेखावत ने कहा कि यदि कांग्रेस का समर्थन मिलता है तो भाजपा के बागी पार्षदों के सहयोग से मेयर बन सकते हैं।
पायलट तो पहले से ही भाजपा की फूट का फायदा उठाने की फिराक में थे। पायलट चाहते थे कि भाजपा का पूर्ण बहुमत होने के बाद भी कांग्रेस के समर्थन से भाजपा के बागी को मेयर बनवा दिया जाए। पायलट की रुचि इसलिए भी थी कि अजमेर उनका निर्वाचन क्षेत्र है। अजमेर में भाजपा को मात देकर पायलट सीएम वसुंधरा राजे पर डबल अटैक करना चाहते थे। कांग्रेस ने निकाय चुनाव में सीएम के गृह जिले झालावाड़ में पहले ही भाजपा को हरा दिया। अब यदि पायलट अपने निर्वाचन क्षेत्र में कांग्रेस के समर्थन से मेयर चुनाव लेते हैं तो सीएम राजे के लिए राजनैतिक दृष्टि से बुरी घटना होती। पायलट ने शेखावत को भरोसा दिलाया कि वे अपना नामांकन दाखिल करे और कांग्रेस के सभी 22 पार्षदों के वोट मिल जाएंगे। लेकिन पायलट और कांग्रेस की यह योजना तब धरी रह गई, जब शेखावत और गहलोत को तीस-तीस मत प्राप्त हुए।
तो यह पढ़ाया पाठ:
17 अगस्त को मतदान के बाद भाजपा के सभी साठ उम्मीदवारों को पुष्कर स्थित बाग पैलेस में ले जाकर बंद कर दिया गया था, तब भाजपा के प्रभारी राज्यसभा सांसद रामनारायण डूडी और बीरमदेव सिंह ने कहा था कि यह भाजपा का अभ्यास शिविर है। इसमें उम्मीदवारों को भाजपा की रीति नीति का पाठ सिखाया जाएगा। भाजपा के बड़े नेताओं ने जो पाठ पढ़ाया उसे समझ कर ही शेखावत ने बगावत कर दी। शेखावत को जो 30 मत प्राप्त हुए उसमें कम से कम तीन भाजपा के पार्षद भी है, जिन्होंने शेखावत के साथ ही भाजपा का पाठ पढ़ाया था।
भाजपा की इज्जत चौराहे पर
निर्वाचन अधिकारी के फैसले से भले ही भाजपा के गहलोत मेयर बन गए हो, लेकिन मेयर चुनाव में भाजपा की इज्जत चौराहे पर आ गई है। पहले शेखावत की बगावत और फिर मतदान के दौरान तीन भाजपा पार्षदों द्वारा क्रॉस वोटिंग किए जाने से भाजपा की हालत बेहद खराब है। यह तब है, जब अजमेर शहर की दोनों सीटों के विधायक मंत्री हैं। इतना ही नहीं भूपेन्द्र सिंह यादव भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री और औंकार सिंह लखावत राज्यमंत्री की सुविधाएं ले रहे हैं। अजमेर के सांसद सांवर लाल जाट केन्द्रीय मंत्री हैं। राजनीतिक दृष्टि से इतनी मजबूत स्थिति होने के बाद भी भाजपा अजमेर में सरेआम बेइज्जत हो रही है।
रो पड़ी अनिता भदेल
शेखावत ने जब भाजपा से बगावत की तो महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री श्रीमती अनिता भदेल रो पड़ी। असल में चुनाव प्रचार के दौरान श्रीमती भदेल ने ही शेखावत को मेयर का उम्मीदवार बताया था। ऐसे में जब शेखावत ने बगावत की तो माना गया कि भदेल के निर्वाचन क्षेत्र दक्षिण से भाजपा के जो 12 पार्षद चुनाव जीते हैं, उनमें से अधिकांश शेखावत को वोट देंगे, लेकिन इसके साथ ही मुख्यमंत्री राजे ने भदेल को हिदायत दी कि यदि उनके क्षेत्र के एक भी पार्षद ने बगावत की तो उनका मंत्री पद खतरे में पड़ जाएगा। यही वजह रही कि भदेल ने अपने क्षेत्र के एक-एक पार्षद को सौगंध दिलाकर कहा कि गहलोत को ही वोट दे। भदेल की यह सौगंध काम भी आई क्योंकि गहलोत को पूरे तीस भाजपा पार्षदों के मत प्राप्त हुए।
देवनानी के खिलाफ आक्रोश:
नगर निगम के बाहर देवनानी के खिलाफ आक्रोश भी देखा गया, लोगों का कहना रहा कि देवनानी सामान्य वर्ग के मेयर पद पर ओबीसी के गहलोत को जबरन थोप रहे हैं। लोगों ने देवनानी का पुतला जलाया और नया बाजार, मदार गेट, चूड़ी बाजार आदि बंद भी करवा दिए।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511

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