Monday 31 August 2015

तो खादिम समुदाय नहीं लेगा दरगाह कमेटी से लाइसेंस

अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के खादिमों ने स्पष्ट कह दिया कि वे केन्द्र सरकार द्वारा संचालित दरगाह कमेटी से लाइसेंस नहीं लेंगे। विरोध के सिलसिले में 31 अगस्त को दरगाह के अंदर अनेक खादिम एकत्र हुए और कहा कि लाइसेंस प्रणाली हमारे धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप है। खादिम समुदाय पिछले 900 वर्षों से दरगाह के अंदर धार्मिक रीति रिवाज सम्पन्न  करवाता आ रहा है। ऐसे में लाइसेंस लेकर हम दरगाह कमेटी के अधीन नहीं आ सकते हैं। उन्होंने कहा कि दरगाह कमेटी में जो सदस्य है, उन्हें न तो दरगाह की धार्मिक परंपराओं का ज्ञान है और न ही खादिमों के इतिहास के बारे में जानते है। ऐसे लोगों को दरगाह कमेटी का सदस्य बनाया जाता है, जिनका दरगाह से कोई सरोकार नहीं होता है, यहीं वजह रही कि गत 28 अगस्त को दिल्ली में केन्द्रीय अल्पसंख्यक मामलात मंत्री श्रीमती नजमा हेपतुल्ला की उपस्थिति में हुई दरगाह कमेटी की बैठक में खादिमों को लाइसेंस देने का निर्णय ले लिया गया। खादिमों से कहा कि होना तो यह चाहिए था कि कमेटी के सदस्य ही लाइसेंस प्रणाली का विरोध करते, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि दरगाह कमेटी खादिम समुदाय को अपमानित करने के लिए लाइसेंस प्रणाली लागू करना चाहती है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या परिवार का कोई सदस्य अपने घर में लाइसेंस दिखाकर  प्रवेश करेगा? खादिमों ने कहा कि दरगाह से उनका जीवन मरण का सवाल है, ऐसे में कोई खादिम दरगाह कमेटी से लाइसेंस नहीं लेगा। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय मंत्री श्रीमती नजमा हेपतुल्ला को भी दरगाह की धार्मिक परंपरा को समझना चाहिए। लाइसेंस देने का निर्णय लेने से पहले खादिम समुदाय को विश्वास में नहीं लिया गया। सोमवार को दरगाह के अंदर मुबिन चिश्ती, अमीन चिश्ती, शरीफ चिश्ती, आबिद चिश्ती, अजीमुद्दीन चिश्ती आदि खादिम बड़ी संख्या में एकत्र हुए और चेतावनी दी कि यदि दरगाह कमेटी अपनी जिद पर अड़ी रही तो हालात बिगड़ेंगे, जिसकी जिम्मेदारी दरगाह कमेटी की होगी।
लाइसेंस की जरुरत नहीं-अंजुमन
खादिमों की प्रमुख संस्था अंजुमन मोइनिया फखरिया चिश्तिया सैय्यद जादगान के अध्यक्ष वाहिद हुसैन अंगारा ने कहा कि खादिमों को दरगाह कमेटी से लाइसेंस लेने की कोई जरुरत नहीं है, क्योंकि खादिम परिवार में जन्म लेने वाला अपने आप खादिम बन जाता है। उन्होंने कहा कि दरगाह कमेटी की व्यवस्था तो वेतन भोगी नौकर की है, जबकि खादिम समुदाय धार्मिक पंरपराओं का निर्वहन करता है। उन्होंने कहा कि दरगाह कमेटी में नासमझ लोग बैठे हुए है। इस संबंध में केन्द्रीय मंत्री श्रीमती नजमा हेपतुल्ला से मिलकर विस्तृत जानकारी दी जाएगी।
लाइसेंस लेना ही होगा-नाजिम
वहीं दूसरी ओर दरगाह कमेटी के नाजिम अशफाक हुसैन ने कहा है कि खादिमों को लाइसेंस देने का निर्णय उच्च स्तर पर हुआ है। इसके पीछे दरगाह की सुरक्षा व्यवस्था भी है। सरकार चाहती है कि दरगाह में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति की पहचान हो ताकि दरगाह के अंदर कोई अप्रिय घटना नहीं घटे। चूंकि खादिमों की संख्या हजारों में है,इसलिए सिर्फ पहचान के लिए परिचय पत्र दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि दरगाह की सुरक्षा को ध्यान में खते हुए खादिम समुदाय को सहयोग करना चाहिए।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511

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