Friday 14 August 2015

नसीराबाद में बूचडख़ाना हटवाने वालों पर ही जुल्म। भाजपा का राज है या कांग्रेस का।

भारतीय थल सेना की महत्त्वपूर्ण नसीराबाद छावनी का शहरी क्षेत्र गत पांच अगस्त से बंद पड़ा है। शहरी क्षेत्र में बूचडखाना हटवाने की मांग को लेकर पूरा नसीराबाद एकजुट है। 14 अगस्त को क्षेत्रीय सांसद और केन्द्रीय जलसंसाधन राज्यमंत्री सांवरलाल जाट ने भी नसीराबाद पहुंचकर बाजार खुलवाने के प्रयास किए, लेकिन सफलता नहीं मिली। इससे पहले प्रदेश के शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी ने भी प्रयास किए थे। मंत्रियों के प्रयास जब सफल नहीं हो रहे तो प्रशासन ने दमनकारी नीति अपना ली है। जो लोग अवैध बूचडख़ाना हटवाने की मांग कर रहे हैं, उन्हीं पर ही पुलिस मुकदमे दर्ज कर रही है। नसीराबाद के लोगों के यह समझ में नहीं आ रहा है कि इस समय राजस्थान में भाजपा का राज या कांग्रेस का। कांग्रेस के शासन में तो यही उम्मीद की जाती है कि पशु वध के स्थानों को हटवाने वालों पर कार्यवाही होगी ही, लेकिन यदि भाजपा के शासन में भी ऐसी ही कार्यवाही हो रही है तो फिर भाजपा और कांग्रेस के शासन में क्या फर्क है? नसीराबाद के नागरिक कोई गैर वाजिब मांग भी नहंी कर रहे है, लोगों की मांग है कि जिस बूचडख़ाने को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक ने आदेश दे रखे हें, उस बूचडख़ाने को हटाने से जिला प्रशासन क्यों डर रहा है? एक ओर प्रशासन सुप्रीम कोई के आदेश की पालना नहीं कर रहा तो दूसरी ओर नसीराबाद के लोगों के विरुद्ध ही झूठे मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं। इसे नसीराबाद के लोगों का धैर्य ही कहा जाएगा कि पिछले दस दिनों के बंद में कोई अप्रिय घटना नहीं हुई है। लोगों ने तकलीफ सहकर भी बंद को सफल बनाया है। कोई चाहे किसी भी विचार धारा का हो, लेकिन बूचडख़ाने को हटवाने के लिए इस समय एकजुट है। जो लोग प्रशासन की कमान संभाल रहे हैं, उन्हें इतनी भी समझ नहंी है कि जिस मुद्दे पर पूरा शहर एकजुट है, उस पर तो डंडा नहीं चलाना चाहिए। अब यदि नसीराबाद के हालात बिगड़ते हैं तो इसके लिए न समझ अजमेर जिला प्रशासन ही जिम्मेदार होगा। लोों पर झूठे मुकदमे दर्ज कर प्रशासन के अधिकारी बेवजह माहौल खराब कर रहे हैं। जहां तक भाजपा सरकार का सवाल है तो उसके नेता और मंत्री भी कांग्रेस की तरह शासन करने लगे हैं।
बूचडख़ाने से नरक बना हुआ है नसीराबाद
नसीराबाद में जो बूचडख़ाना चल रहा है उससे नसीराबाद नरक बना हुआ है। एक अनुमान के मुताबिक इस बूचडख़ाने में रोजाना एक हजार पशु कटते हैं। नसीराबाद से ही देश कई हिस्सों में मांस भेजा जाता है। पशुओं के कटने से जो खून बहता है, वह नसीराबाद की नालियों में सड़ता रहता है। मरे हुए जानवरों की खाल और हड्डियां भी नसीराबाद में इधर उधर बिखरी पड़ी रहती है।
पक्षी मांस के टुकड़ों को लोगों के घरों में पटक देते हैं। प्रशासन के जो अधिकारी लोगों पर डंडा चला रहे है वे एक दिन भी नसीराबाद के बूचडख़ाने में रह नहीं सकते। बूचडख़ाने में कारोबार कर रहे मुस्लिम समुदाय के लोगों ने भी कई बार कहा है कि उन्हें शहर से बाहर कोई स्थान दे दिया जाए, लेकिन प्रशासन यह मांग भी पूरी नहीं कर रहा है। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे बार-बार दावा करती है कि वे एक संवेदनशील सरकार चला रही है, लेकिन नसीराबाद के लोगों का मानना है कि इस समय प्रदेश में निर्दय सरकार चल रही है।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511

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