Wednesday 5 August 2015

मेरे रिटायरमेन्ट का इंतजार किया जा रहा है। चीफ जस्टिस सुनील अम्बवानी ने की तल्ख टिप्पणी

सरकार के कामकाज पर लगातार प्रतिकूल टिप्पणी कर रहे राजस्थान के चीफ जस्टिस सुनील अम्बवानी ने पांच अगस्त को एक और तल्ख टिप्पणी की है। पांच अगस्त को अजमेर नगर निगम के विरुद्ध एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस अम्बवानी ने मौखिक तौर पर कहा कि मुझे पता है कि अनेक लोग मेरे रिटायरमेन्ट का इंतजार कर रहे हैं। मेरा रिटायरमेन्ट इसी माह हो रहा है। अजमेर नगर निगम की कार्यप्रणाली पर ऐतराज जताते हुए अम्बवानी ने कहा कि अधिकारियों को जनहित में काम करना चाहिए। अपने रिटायरमेन्ट को ध्यान में रखते हुए जस्टिस अम्बवानी ने पांच अगस्त को उस जनहित याचिका का भी निस्तारण कर दिया जो पिछले लम्बे समय से लम्बित थी। अजमेर में अवैध कॉम्प्लेक्सों को सीज करने अथवा तोडऩे के जो निर्देश दिए गए, उस पर निगम की ओर से प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई। निगम और राज्य सरकार की कार्यप्रणाली को देखते हुए ही जस्टिस अम्बवानी ने आदेश दे दिया कि निगम ने जिन 490 निर्माणों को अवैध माना है, उन्हें तत्काल प्रभाव से सीज कर दिया जाए। अम्बवानी के इस आदेश से अजमेर में हड़कम्प मच गया है। इस आदेश के बाद कॉम्प्लेक्स मालिकों और निगम के अधिकारियों के पास बचाव का कोई रास्ता नहीं बचा है। निगम को ऐसे अवैध कॉम्प्लेक्सों को सीज करना ही होगा। सीज के बाद ही कॉम्प्लेक्स मालिकों के कम्पाउंड के प्रार्थना पत्र पर कार्यवाही हो सकती है। यदि निगम प्रशासन अब भी सीज नहीं करता है तो इसे हाईकोर्ट की अवमानना माना जाएगा। जिन कॉम्प्लेक्स मालिकों ने निगम की सीज की कार्यवाही के खिलाफ डीएलबी के निदेशक से स्टे ले रखा है उस पर भी जस्टिस अम्बवानी ने सख्त टिप्पणी की है। लोहागल रोड पर बनी महेश तेजवानी की होटल, केसरगंज में 70 दुकानों वाले कॉम्प्लेक्स, नगर निगम के पास बने होटल अजमेर इन, वैशाली नगर में बने हेमन्त जैन के कॉम्प्लेक्स, ब्यावर रोड पर बनी एक होटल आदि के नामों का उल्लेख करते हुए जस्टिस अम्बवानी ने आदेश दिए कि इन्हें तत्काल प्रभाव से सीज किया जाए। इन सभी होटल और कॉम्प्लेक्सों को नगर निगम ने स्वयं अवैध माना है।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511

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