Friday 4 September 2015

आखिर देश में कौन निभाएगा श्रीकृष्ण की भूमिका

5 सितम्बर को पूरा देश भगवान श्री कृष्ण का जन्मदिन उत्साह और उमंग के साथ मनाएगा। हम सब जानते हैं कि महाभारत में अधर्म को पराजित करने के लिए कृष्ण ने ही सक्रिय और सीधी भूमिका निभाई, उसके लिए युद्ध के मैदान में श्री कृष्ण ने अर्जुन को संपूर्ण ब्रह्माण्ड के दर्शन भी कराए और यह बताया कि इस जगत में उन्हीं के इशारे पर सब कुछ होता है। आज देश के हालात में महाभारत के समय जैसे ही नजर आ रहे हैं। धर्म के मुकाबले अधर्म का बोलबाला हो रहा है। समाज में अत्याचार, अनाचार के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। महाभारत का युद्ध इसलिए हुआ कि दुर्योधन ने युधिष्ठर को राज देने से इंकार कर दिया था। वर्तमान में देश में राजतंत्र नहीं लोकतंत्र है और लोकतंत्र में जनता ही राजा का बदलाव करती है। डेढ़ वर्ष पहले देश में जो हालात थे उसे देखते हुए ही लोगों को  नरेन्द्र मोदी में एक आशा की किरण नजर आई। सभी अवरोधों को हटाकर मोदी के नेतृत्व में भाजपा को संसद में 283 सीटें मिल गई। तब से लोगों को यही उम्मीद थी कि नरेन्द्र मोदी देश में श्रीकृष्ण की भूमिका निभाएंगे, लेकिन डेढ़ वर्ष गुजर गया अभी तक भी ऐसा कोई संकेत नहीं मिला है जिसमें कोई सुधार हो रहा हो। यह माना कि डेढ़ वर्ष की अवधि किसी भी सरकार का आंकलन करने के लिए कम है, लेकिन सुधार का आभास तो होना ही चाहिए। महाभारत में अधर्म को हराने के लिए श्रीकृष्ण ने वो सब कुछ किया जो जरूरी था, लेकिन उन्होंने धर्म को हारने नहीं दिया। चाहे इसके लिए उन्हें अपना सुदर्शन चक्र ही क्यों न चलाना पड़ा हो। आज देश के जो हालात है उन्हें सुधारा नहीं गया तो भारत में अधर्म का ऐसा बोलबाला होगा जिसमें धर्म की कभी जीत नहीं हो सकती। जिस तरह से पड़ौसी देश पाकिस्तान से आतंकवाद का खतरा लगातार बढ़ रहा है, उससे हालात और डरावने हो गए हैं। जिस तरह से खूंखार आतंकवादी संगठन आई एस के झंडे कश्मीर में लहर रहे है। उससे तो देश के सभी नागरिकों के लिए खतरा है। यह वहीं आईएस है जिसनेे ईरान, सीरिया, मिश्र, पाकिस्तान आदि में हाहाकार मचा रखा है। वहां सांस्कृतिक धरोहरों को नष्ट किया जा रहा है। देश के विभाजन के समय यह माना गया कि पाकिस्तान के अलग होने के बाद भारत मेें अमन चैन रहेगा, लेकिन आज हम देख रहे है कि छोटी-छोटी बातों पर साम्प्रदायिक तनाव हो रहे हैं। अल्पसंख्यक वर्ग स्वयं को असुरक्षित महसूस कर रहा है तो बहुसंख्यक वर्ग को आतंक का खतरा नजर आ रहा है। दोनों ही वर्गो में विश्वास की लगातार कमी होती जा रही है। यदि समय रहते देश में किसी ने श्रीकृष्ण की भूमिका नहीं निभाई तो देश पर कौरव प्रवृत्ति वालों का कब्जा हो जाएगा। गीता में श्रीकृष्ण ने कहा जो जैसा कर्म करेगा, उसे वैसा ही फल मिलेगा, लेकिन हम देख रहे है कि आज देश की युवा पीढ़ी को उसके कर्म के अनुरुप फल भी नहीं मिल रहा है। 90 प्रतिशत अंक लाने के बाद भी कॉलेज और उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश नहीं मिलता है। सरकारी नौकरियों से भी योग्य युवा वंचित है। इतना ही नहीं कर्मशील युवा देश से पलायन भी कर रहा है। पीएम नरेन्द्र मोदी अपने विदेशी दौरों में भारतीय मूल के डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक, उद्योगपति, व्यापारी आदि को वापस अपने वतन आने का निमंत्रण दे रहे हैं, लेकिन देश के हालात सुधारने का कोई प्रयास नहीं कर रहे हैं।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511

No comments:

Post a Comment