Friday 25 September 2015

कांग्रेस और पायलट ने आरके, श्री सीमेन्ट, लफार्ज और ईमामी कम्पनियों का नाम क्यों नहीं लिया

राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और पूर्व केन्द्रीय मंत्री सचिव पायलट ने 25 सितम्बर को दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस की। इस कांफ्रेंस में पायलट ने राजस्थान की भाजपा सरकार और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पर जोरदार हमला बोला। पायलट ने आरोप लगाया कि केन्द्र सरकार की मनाही के बाद भी वसंधरा सरकार ने 600 से भी ज्यादा खानों का आवंटन कर दिया। यदि इन खानों की नीलामी होती तो राज्य सरकार को 45 हजार करोड़ रुपए की आय होती। पायलट ने कहा कि 1 लाख वर्ग भूमि खदान के लिए कोडिय़ों के भाव दे दी। पायलट और कांग्रेस ऐसे आरोप पहले भी लगा चुके हैं लेकिन हाल ही में खानों के आवंटन में जो भ्रष्टाचार हुआ तथा देश के मार्बल किंग आर.के. मार्बल पर आयकार विभाग की छापामार कार्यवाही हुई, उस परिपक्ष में पायलट ने एक बार फिर आरोपों को दोहराया है। पायलट का यह आरोप सही हो सकता है कि केन्द्र की मनाही के बाद भी वसुंधरा सरकार ने खानों का आवंटन कर दिया, लेकिन सवाल उठता है कि पायलट ने उन बड़ी सीमेन्ट कम्पनियों का नाम क्यों नहीं लिया, जिनसे मोटी रिश्वत लेने का संदेह है। सब जानते हैं कि गत जनवरी माह में आर.के. मार्बल की सहयोगी वंडर सीमेन्ट, ईमामी इंडिया लिमिटेड श्री सीमेन्ट और लर्फाज सीमेन्ट को कई सौ बीघा भूमि खनन के लिए आवंटित की गई। यदि पायलट में राजनैतिक ईमानदारी होती तो इन बड़ी सीमेन्ट कम्पनियों का नाम लेते। पूरा प्रदेश जानता है कि पायलट जब अजमेर के सांसद और केन्द्र में मंत्री थे तब आर.के. मार्बल और वंडर सीमेन्ट के मालिकों का कितना दोहन किया। पायलट जब कभी अजमेर आते तो आर.के. मार्बल की ओर से ही अखबारों में बड़े-बड़े विज्ञापन दिए जाते थे। किशनगढ़ में भी इसलिए समारोह होते थे ताकि आर.के. मार्बल की दोस्ती पायलट के साथ दिखाई जाए। कौन नहीं जानता गत लोकसभा के चुनाव में अजमेर से सचिन पायलट को जिताने के लिए आर.के. मार्बल ने क्या नहीं किया? यह बात अजमेर के वर्तमान भाजपा सांसद और केन्द्रीय जल संसाधन राज्यमंत्री सांवरलाल जाट को भी पता है। यही वजह है कि मंत्री बनने के बाद जाट ने अभी तक भी आर.के. मार्बल की मेहमान नवाजी स्वीकार नहीं की है।
पायलट राजस्थान की भाजपा सरकार को तो भ्रष्टाचारी बता रहे हैं लेकिन उन कम्पनियों के नाम नहीं ले रहे, जिनको फायदा हुआ है। क्या पायलट वंडर सीमेन्ट और अन्य सीमेन्ट कम्पनियों से पुरानी दोस्ती निभा रहे हैं?
यदि सचिन पायलट स्वयं को ईमानदार साबित करना चाहते हैं तो उन्हें उन चारों सीमेन्ट कम्पनियों को कटघरे में खड़ा करना चाहिए, जिनको वसुंधरा सरकार ने लाभ पहुंचाया है।
पी.एम. मोदी पर हमला:
राजस्थान के खान घोटाले की आड़ में पायलट ने पी.एम. नरेन्द्र मोदी पर भी हमला बोला। पायलट ने कहा कि लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान मोदी ने कहा था कि न खाएंगे और न खाने देंगे। कोई भी प्राकृतिक संसाधन आवंटित नहीं होंगे, लेकिन मोदी की नाक के नीचे बैठकर वसुंधरा राजे ने 600 खानों का आवंटन कर दिया। यानि मोदी ने खाने की पूरी छूट दी और अब पी.एम. मोदी वसुंधरा राजे को संरक्षण दे रहे हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि राजे के शासन में खानों की जो लूटखसोट हुई, उस पर केन्द्र सरकार को जवाब देना ही चाहिए। यह जवाब इसलिए भी जरूरी है कि केन्द्र की रोक के बाद राज्य सरकार ने खानों का आवंटन किया। क्या राजे सरकार इतनी ताकतवर हो गई है कि वह मोदी सरकार की नीतियों की अवहेलना कर खुला भ्रष्टाचार करें। भाजपा का शीर्ष नेतृत्व माने या नहीं लेकिन राजस्थान के खान घोटाले से मोदी सरकार की छवि खराब हो रही है। अभी भी समय है जब खानों के आवंटन को रद्द किया जाए और इस आवंटन में वसुंधरा राजे की भूमिका की जांच करवाई जाए। यदि यह मामला अदालत में जाता है तो मोदी सरकार की ज्यादा बदनामी होगी।
भाजपा ने दिया जवाब:
25 सितम्बर को ही भाजपा ने जयपुर में एक प्रेस कांफ्रेंस की। प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी ने कहा कि कांग्रेस शासन में भी वर्ष 2012 में खानों का आवंटन किया गया था। तब यह पता चला कि तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के रिश्तेदारों को खाने आवंटित की गई है। बाद में भाजपा के दबाव से 37 खानों का आवंटन रद्द किया गया। परनामी ने कहा कि केन्द्र की भाजपा सरकार ने 12 जनवरी 2015 को खानों के आवंटन पर रोक लगाई थी। इस रोक के बाद राजस्थान में एक भी खान का आवंटन नहीं किया। आरोप लगाने से पहले कांग्रेस को अपने गिरेबां में झांकना चाहिए। परनामी ने कहा कि हाल ही में उजागर खान घोटाले में केन्द्र सरकार की कोई भूमिका नहीं है। इस घोटाले में जिन भी अधिकारियों के फोन एसीबी ने टेप किए, उन सबकी जानकारी मुख्यमंत्री और गृहमंत्री को थी।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511

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