Saturday 19 September 2015

पांडाल और सत्र घटे, व्यवस्थित हुआ लिटरेचर फेस्टिवल

अजमेर लिटरेचर फेस्टिवल का 19 सितम्बर को दूसरा दिन रहा। 20 सितम्बर को तीसरे दिन फेस्टिवल समाप्त हो जाएगा। जिन कारणों से पहले दिन फेस्टिवल में अव्यवस्था का आलम रहा उन कारणों पर आयोजकों ने दूसरे दिन रोक लगाई। पहले से घोषित कार्यक्रम के अनुसार दूसरे दिन विभिन्न विषयों पर 16 सत्र होने थे, लेकिन फेस्टिवल में श्रोताओं की संख्या की कमी को ध्यान में रखते हुए 8 सत्र रखे। इसी प्रकार चार पांडालों की जगह दो पांडाल ही काम में लिए गए। इस व्यवस्था का नतीजा रहा कि सत्रों में कुछ श्रोता मिल गए। पहले दिन जब एक साथ कई सत्र चार पांडालों में रखे गए तो श्रोता नहीं के बराबर दिखे। दूसरे दिन आयोजकों ने अन्य व्यवस्थाओं में भी सुधार की कोशिश की। जिस केंटीन पर 40 रुपए प्रति लीटर पानी बिक रहा था उसे बंद कर दिया गया। आयोजकों ने पानी बेचने के बजाए कैम्पर रखवा दिए ताकि आए हुए लोग फ्री में पानी पी सके।
भगवान बन जाएंगे महात्मा गांधी - तुषार
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी ने फेस्टिवल में कहा कि जिस प्रकार महात्मा गांधी की प्रासंगिकता आज भी बनी हुई है। उसे देखते हुए आने वाले सौ वर्षो में भगवान बन जाएंगे। उन्होंने कहा कि कोई राजनीतिक दल हो उसे महात्मा गांधी का सहारा लेना ही पड़ता है। उनका मानना है कि जिस शहीद स्मारकों पर आज हम शीश नवाते है वहां आने वाले वर्षो में महात्मा गांधी की प्रतिमा लग जाएगी और लोग पूजा करने लगेंगे।
इन विषयों पर हुआ मंथन :
फेस्टिवल के दूसरे दिन 19 सितम्बर को समाज, साहित्य और सिनेमा पर जयप्रकाश चौकसे व इरशाद कामिल, बहरी बस्ती में गूंगी कविता पर नरेश सक्सेना, सुमन केसरी, सीपी देवल व शीनकाफ निजाम, अजमेर का साहित्यिक परिदृश्य पर नवल किशोर भाभड़ा, कुसुम माथुर, कमला गोखलानी व वीना शर्मा तथा सोशल साइट्स संबंधों की मृग मरीचिका पर अशोक चक्रधर, प्रेम जनमेजय, पराग प्रियदर्शन ने विचार व्यक्त किए। दूसरी ओर समानान्तर सत्र में वैश्विक पत्रकारिता के स्थानीय आग्रह पर विनोद शर्मा, ओम थानवी, अभिज्ञान प्रकाश, भारतेन्दु विमल, चमकती संभावनाओं का सच विषय पर मनीषा कुलश्रेष्ठ, तुषार गांधी, आलोक श्रीवास्तव व अशोक वाजपेयी, गांधी सर्वकालिक समाधान पर नंदकिशोर आचार्य, अशोक वाजपेयी, तुषार गांधी तथा महिला सशक्तिकरण के उभरते नायक विषय पर वर्तिका नंदा, अदिति मेहता, वागेश्वरी चक्रधर तथा मनीषा कुलश्रेष्ठ ने विभिन्न सत्रों में विचार व्यक्त किए।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511

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