Friday 4 September 2015

क्या आनंदपाल सिंह को पाताल निगल गया? क्या कर रही हैं सीएम साहिब।

पीएम नरेन्द्र मोदी इन दिनों बिहार में चुनाव सभाओं में राजस्थान की भाजपा सरकार और सीएम वसुंधरा राजे की कार्यप्रणाली की बार-बार प्रशंसा कर रहे हैं। इस प्रशंसा को सीएम का चाटुकार मीडिया बढ़ा चढ़ाकर बता रहा है। ऐसा दिखाया जा रहा है, जैसे कि सीएम साहिबा के दम पर ही बिहार का चुनाव जीता जाएगा। लेकिन जिस तरह से कुख्यात अपराधी आनंदपाल सिंह तीन सितम्बर को फरार हुआ, उससे भाजपा सरकार और सीएम साहिबा की प्रशासनिक कुशलता की पोल खुल गई है। आनंदपाल को ढूंढने के लिए राजस्थान की सम्पूर्ण पुलिस लगी हुई है। लेकिन इसके बावजूद भी कोई सुराग नहीं लगा है इसलिए यह सवाल उठा है कि क्या आनंदपाल को पाताल निगल गया? आनंदपाल जिन परिस्थितियों में नागौर जिले के परबतसर क्षेत्र से फरार हुआ, वह पुलिस के माथे पर कलंक तो है ही, साथ ही अभी तक भी पता नहीं लगना भी बेहद शर्मनाक है। राजस्थान पुलिस अपनी धरती पर आनंदपाल को नहीं ढूढ पा रही है। यह तो अच्छा हुआ कि पुलिस पर किसी आतंकवादी ने हमला नहीं किया। कल्पना कीजिए कि यदि राजस्थान पुलिस को कभी आतंकियों का सामना करना पड़े तो पुलिस का क्या हाल होगा? आनंदपाल ने तो पुलिस वालों के पैरों में गोली मारी और फरार हो गया। क्या आतंकवादी पुलिस के पैरों में गोली मारेंगे? अजमेर पुलिस के जो कार्मिक आनंदपाल सिंह को उसके दो साथियों के साथ अजमेर सेन्ट्रल जेल से डीडवाना की अदालत में ले गए, उन्हीं कार्मिकों ने लौटते समय आनंदपाल की जहरीली मिठाई खाई और बेहोश हो गए। पहले से ही बनी योजना के अनुसार आनंदपाल के समर्थकों ने पुलिस वाहन पर गोलीबारी की और बड़ी आसानी से आनंदपाल को छुड़ाकर फरार हो गए। इस प्रकरण में पुलिसकर्मियों की लापरवाही तो सामने है ही लेकिन सरकार की निष्क्रियता और ढिलाई भी उजागर हुई है। यह माना कि सुरक्षा की जिम्मेदारी अजमेर पुलिस की थी, लेकिन सवाल उठता है कि क्या सरकार के स्तर पर पुलिस महकमें को चुस्त दुरुस्त करने को लेकर कोई कार्यवाही हुई। आनंदपाल सिंह के खूंखार रवैए को देखते हुए उसकी सुरक्षा की समीक्षा क्या सरकार के उच्च स्तर पर नहीं की जानी चाहिए थी। ऐसा तभी होता है जब सरकार की मुखिया भी जागरूक और सक्रिय हो। पूरा प्रदेश देख रहा है कि सीएम वसुंधरा राजे पिछले दो-तीन माह से किसी भी सार्वजनिक समारोह में उपस्थित नहीं हैं। ऐसा लग ही नहीं रहा कि प्रदेश में सरकार नाम की कोई चीज है। सिर्फ सचिवालय की बैठकों और दिल्ली में उद्योगपतियों के साथ संवाद कर लेने से ही सरकार नहीं चलती। लोकतांत्रिक व्यवस्था में सरकार के प्रतिनिधियों को जनता से सीधा संवाद भी करना चाहिए। कानून व्यवस्था की दृष्टि से देश में राजस्थान की स्थिति को काफी अच्छा माना गया है। राजस्थान के हालात उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे नहीं है। पूरा प्रदेश जानता है कि गृहमंत्री गुलाबचन्द कटारिया नाम के गृहमंत्री हैं। गृह विभाग का सारा काम मुख्यमंत्री सचिवालय करता है। ऐसे में आनंदपाल सिंह को अभी तक भी ढूंढ नहीं पाने की विफलता की जिम्मेदारी सीएम वसुंधरा राजे की भी है। अच्छा हो कि सीएम स्वयं जनता के बीच आकर बताएं कि सरकार क्या कर रही है। राजे को अपने सीएम होने का अहसास भी कराना चाहिए। इस पूरे प्रकरण में सरकार का क्या नजरिया है यह भी प्रदेश की जनता को जानने का हक है।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511

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