Thursday 24 September 2015

आखिर किसके निर्देश पर हुआ आर.के.मार्बल के खिलाफ ऑपरेशन 'रामदेवरा

सवाल यह नहीं है कि देश के मार्बल किंग आर.के.मार्बल के खिलाफ आयकर विभाग ने बड़ी छापामार कार्यवाही की है। अहम सवाल यह है कि आखिर किसके निर्देश पर कार्यवाही हुई है। 24 सितम्बर को भी लगातार दूसरे दिन आर.के.मार्बल के देशभर के दफ्तरों पर छापे की कार्यवाही जारी रही। आर.के.मार्बल का मुख्यालय अजमेर जिले के किशनगढ़ में है। आज किशनगढ़ की पहचान आर.के.मार्बल के नाम से ही होती है। स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, समारोह स्थल आदि सब कुछ आर.के.मार्बल के नाम पर हंै। किशनगढ़ के लोग यही जानना चाहते हैं कि आखिर आर.के.मार्बल के खिलाफ कार्यवाही करने के आदेश किसने दिए हैं। जहां तक छापे के दौरान मिलने वाली करोड़ों रुपए की काली कमाई का सवाल है, तो किशनगढ़ वासियों का मानना है कि हजार दो हजार करोड़ डूब भी जाएंगे तो आर.के.मार्बल पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। आर.के.मार्बल का साम्राज्य किशनगढ़ से लेकर अफ्रीका के जंगलों तक फैला हुआ है। आर.के.मार्बल की खाने पत्थर नहीं सोना उगलती हैं। सब जानते हैं कि आर.के.मार्बल के मालिक अशोक पाटनी का राजस्थान की सरकार में कितना दबदबा है। आयकर विभाग के अधिकारी भी हमेशा आर.के.मार्बल से उपकृत रहते हैं। ऐसी स्थिति में राजस्थान के आयकर विभाग के अधिकारियो ंमें इतनी हिम्मत नहीं की वे आर.के.मार्बल पर छापामार कार्यवाही करते। जानकारों की माने तो हाल ही में राजस्थान में खान आवंटन का जो महा घोटाला उजागर हुआ, उसकी जांच में ही आर.के.मार्बल की भूमिका का भी पता चला। राजस्थान के भ्रष्टाचार निरोधक विभाग (एसीबी) के दमदार आईजी दिनेश एन.एम. ने महत्त्वपूर्ण जानकारी सीधे केन्द्र सरकार के ईमानदार स्तर पर भिजवाई। इसके बाद ही केन्द्रीय वित्त मंत्रालय ने गोपनीय तरीके से कार्यवाही को अंजाम दिया। इस कार्यवाही की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आयकर विभाग की विभिन्न टीमों के साथ सीआरपीएफ के सशस्त्र जवानों को रखा गया है। यानि केन्द्र सरकार ने राजस्थान की पुलिस पर भी भरोसा नहीं किया। चूंकि 23 सितम्बर को लोक देवता बाबा रामदेव के मेले का अंतिम दिन था, इसलिए आयकर विभाग ने अपने सभी वाहनों पर रामदेवरा यात्रा के स्टीकर लगाए। इससे यह लगे कि वाहन रामदेवरा जा रहे हैं। आयकर विभाग ने छापा मार कार्यवाही का नाम भी ऑपरेशन रामदेवरा रखा।
चार्टेड अकाउंटेंटों की भूमिका:
आयकर विभाग को आर.के.मार्बल के चार्टेड अकाउंटेंट सुभाष अग्रवाल, सी.एम.अग्रवाल आदि की भूमिका भी संदिग्ध नजर आ रही है। प्राथमिक जांच में अकाउंटेंटों को भी शामिल किया गया है। सूत्रों के अनुसार आर.के.मार्बल के सीए संतोष जनक जवाब नहीं दे रहे हैं। कई प्रश्नों के मामले में अनभिज्ञता प्रकट की है।
जयपुर भेजे दस्तावेज
जानकारी के मुताबिक आयकर विभाग को किशनगढ़ स्थित मुख्यालय पर जो आवश्यक दस्तावेज मिले हैं, उन्हें आयकर विभाग के जयपुर मुख्यालय में भेजा गया है। जानकारी के मुताबिक विभाग के वरिष्ठ अधिकारी इन दस्तावेजों की गहन जांच पड़ताल करेंगे। बताया जा रहा है कि आर.के.मार्बल की ओर से सालाना 75 करोड़ रुपए का टैक्स जमा करवाया जाता है। लेकिन विभाग को आय के जो दस्तावेज मिले हैं, उनके अनुसार करीब दो सौ करोड़ रुपए का सालाना टैक्स बनता है। सूत्रों की माने तो जो अघोषित आय है, उसे हवाला के जरिए विदेशों में भेजा जा रहा था। हालांकि इस बात की पुष्टि अभी आयकर विभाग ने नहीं की है।
कोई गलत काम नहीं किया:
आर.के.मार्बल के मालिक अशोक पाटनी, सुरेश पाटनी और विमल पाटनी इन दिनों मध्य प्रदेश के सागर जिले के छोटे से गांव बीना बारहा में धार्मिक अनुष्ठान कर रहे हैं। यहां जैन संत आचार्य विद्यासागर महाराज भी विराजमान हैं। मौके से आई खबरों के अनुसार अशोक पाटनी ने कहा  है कि उन्होंने कोई गलत कार्य नहीं किया है। आयकर विभाग चाहे जितनी जांच पड़ताल कर ले, लेकिन संस्थान में ऐसा कोई दस्तावेज नहीं मिलेगा, जो गैर कानूनी हो। पाटनी ने कहा कि उन्होंने सरकारी नियमों के अंतर्गत खानों का आवंटन करवाया है और इसके लिए किसी भी अधिकारी को रिश्वत नहीं दी है। मैं आयकर विभाग में हर सवाल का जवाब देने के लिए तैयार हंू। जहां तक राजनेताओं से मित्रता का सवाल है, तो इतने बड़े करोबार में मित्रता तो होती है। सामाजिक सरोकारों से जुड़े समारोहों में राजनेताओं को ही बुलाया जाता है।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511

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