Saturday 17 October 2015

अजमेर प्रशासन और सेना के बीच फंसे श्री सीमेन्ट के 18 जिन्दा बम

राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे हर बार यह दावा करती हैं कि उनकी सरकार जन समस्याओं के समाधान में बेहद ही संवेदनशील और गंभीर है, लेकिन अजमेर में सीएम के इस दावे की लगातार पोल खुल रही है। ताजा उदाहरण गत 5 सितम्बर को जिले के मसूदा उपखण्ड में स्थापित श्री सीमेन्ट के परिसर में 18 जिन्दा बम मिलने का मामला है। श्री सीमेन्ट वाले प्रशासनिक अधिकारियों से कई बार हाथ जोड़कर निवेदन कर चुके हैं कि इन जिंदा बमों को उनके परिसर से हटाया जाए। असल में एक मालगाड़ी के वैगन में यह बम श्री सीमेन्ट परिसर तक आ गए थे। इस मामले में श्री सीमेन्ट वालों का कोई दोष नहीं है क्योंकि फैक्ट्री मेे बम नहीं सीमेन्ट तैयार होती है। फैक्ट्री में सीमेन्ट का कच्चा माल रेलवे के वैगनों से ही आता है और सीमेन्ट के कट्टे भी देश के विभिन्न भागों में वैगनों से ही जाते है। इन जिंदा बमों को निष्क्रिय करने की जिम्मेदारी जिला प्रशासन और सेना के विशेषज्ञों की है, लेकिन जिला प्रशासन और सेना के बीच ऐसा पेच फंसा है कि डेढ़ माह होने को आए, लेकिन बमों को निष्क्रिय नहीं किया जा रहा है। श्री सीमेन्ट वाले इस बात से घबराए हुए है कि कही बम उन्हीं के परिसर में फट न जाए। वहीं, सीमेन्ट वालों को इस बात का भी अफसोस है कि जिला प्रशासन अपेक्षित सहयोग नहीं कर रहा। जबकि जिला प्रशासन के अधिकारियों की मिजाजपुर्सी और बेगार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाती है। सरकारी समारोहों में तो चंदा आदि दिया ही जाता है साथ ही बड़े अधिकारियों को जब अपने ससुराल अथवा पर्यटन यात्रा पर जाना होता है तो श्री सीमेन्ट की एसी कारें ही काम आती हैं। कई बार तो कम्पनी की कार के बजाए बाजार से टैक्सी लेकर भेजी जाती है क्योंकि अधिकारियों को गुपचुप तरीकों से इधर-उधर जाना होता है। यानि श्री सीमेन्ट वाले अपनी ओर से प्रशासनिक अधिकारियों को खुश करने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। श्री सीमेन्ट वालों के सेवाभाव को देखते हुए ही मसूदा की एसडीएम श्रीमती अनुपमा टेलर ने गत 21 सितम्बर को ही जिला प्रशासन के पास एक रिपोर्ट भिजवा दी। इस रिपोर्ट में बताया गया कि किस स्थान पर बमों को निष्क्रिय किया जा सकता है। इस रिपोर्ट को तैयार करने से पहले श्रीमती टेलर, मसूदा के तहसीलदार और पुलिस के अधिकारियों ने संयुक्त रूप से संपूर्ण क्षेत्र का मौका मुआयना भी किया। अब श्रीमती टेलर के भी यह समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर बमों को निष्क्रिय करने की अनुमति क्यों नहीं दी जा रही है? श्रीमती टेलर तो अपनी रिपोर्ट भेजकर अपने दायित्व से मुक्त हो गई हैं। यदि सीएम वसुंधरा राजे का यह दावा सही है कि सरकार गंभीर और संवेदनशील है तो फिर सरकार के प्रतिनिधियों को यह बताना चाहिए कि 18 जिंदा बम आखिर डेढ़ माह से श्री सीमेन्ट की छाती पर क्यों पड़े हुए हैं? श्री सीमेन्ट वालों को अपनी फैक्ट्री अजमेर जिले में ही चलानी है इसलिए श्री सीमेन्ट के मालिक अपनी जुबान खोलना नहीं चाहते। अलबत्ता धंधा करने वाले श्री सीमेन्ट वाले इशारा तो समझ ही रहे है। देखना है कि श्री सीमेन्ट वाले इशारे को समझकर कब अमल करते है। शायद अमल के बाद ही बम निष्क्रिय होंगे। वैसे श्री सीमेन्ट वाले भी इस बार इतने खफा हैं कि इस मामले को सीएम वसुंधरा राजे तक ले जाना चाहते हैं।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511

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