Thursday 15 October 2015

आर.के.मार्बल के इशारे पर नाचती है वसुंधरा सरकार।

कलेक्टर के सवाल भी दरकिनार।
राजस्थान में सरकार किसी भी राजनीतिक दल की हो, लेकिन होता वहीं है जो मार्बल किंग आर.के.मार्बल के मालिक अशोक पाटनी, सुरेश पाटनी और विमल पाटनी चाहते हैं। ताजा मामला आर.के.मार्बल के हवाई जहाजों का है। आर.के.मार्बल के पास जो हवाई जहाज है वे किशनगढ़ हवाई पट्टी से लेकर उदयपुर, जयपुर, राजसमंद आदि में दौड़ते रहते हैं। किशनगढ़ हवाई पट्टी पर जहाज उतारने और फिर उड़ाने के लिए आर.के.मार्बल को जिला कलेक्टर से अनुमति लेनी होती है। यह अनुमति छह माह के लिए अग्रिम तौर पर ली जाती है। यानि अनुमति के बाद आगामी छह माह तक किशनगढ़ हवाई पट्टी पर आर.के.मार्बल के हवाई जहाज जब चाहे तब उतर सकते हैं।
इसके लिए आर.के.मार्बल को जिला प्रशासन से बार-बार अनुमति लेने की जरुरत नहीं होती है। वर्तमान जिला कलेक्टर डॉ. आरुषि मलिक के सामने अगामी छह माह के लिए अनुमति की फाइल आई तो कलेक्टर ने तीन महत्त्वपूर्ण सवाल उठाए। कलेक्टर ने जानना चाहा कि आर.के.मार्बल के जहाजों में कौन-कौन से विदेशी नागरिक आते हैं। जहाज आगामी छह माह में कौन कौन सी तारीखों को किशनगढ़ हवाई पट्टी पर उतरेंगे तथा वापस कौनसी तारीखों पर उड़ेंगे। कलेक्टर के ये तीनों सवाल बेहद ही महत्त्वपूर्ण थे। लेकिन आर.के.मार्बलके मालिकों को लगा कि कलेक्टर बेवजह हमारे मामले को उलझा रही है। पहले तो कलेक्टर से ही आग्रह किया गया, लेकिन जब कलेक्टर अपने सवालों पर डटी रहीं तो आर.के.मार्बल के मालिकों ने अनुमति की फाइल को राज्यसरकार में ही मंगलवा लिया। चूंकि वसुंधरा राजे की सरकार आर.के.मार्बल के इशारे पर नाचती है। इसलिए सरकार ने एक ऐसा आदेश जारी कर दिया, जिसमें राजस्थान के किसी भी कलेक्टर से अनुमति की जरुरत ही नहीं है। जानकारी के मुताबिक वसुंधरा सरकार ने अशोक पाटनी के हाथ में जो आदेश थमाया, उसमें लिखा गया कि राजस्थान की किसी भी हवाई पट्टी पर आर.के.मार्बल के हवाई जहाज जब चाहे तब उतर सकते हैं और जब मर्जी हो तब उड़ सकते हैं। इसके लिए आर.के.मार्बल को किसी भी कलेक्टर से कोईअनुमति लेने की जरुरत नहीं है। ज्यादा से ज्यादा सिर्फ कलेक्टर को सूचना दी जा सकती है। जो अशोक पाटनी सिर्फ एक कलेक्टर से अनुमति मांग रहे थे, उसे सारे कलेक्टरों से अनुमति लेने का झंझट ही खत्म हो गया।
अब आर.के.मार्बल सीधे राज्य सरकार से अग्रिम अनुमति लेता है, अजमेर कलेक्टर ने जो महत्त्वपूर्ण सवाल उठाए थे, उसे वसुंधरा सरकार ने एक झटके में ही दरकिनार कर दिया। अब जिला कलेक्टर के भी यह समझ में आ गया है कि आर.के.मार्बल से पंगा नहीं लिया जा सकता है। मालूम हो कि राजस्थान की सरकार में दबदबा होने की वजह से ही आर.के.मार्बल के संस्थान वंडर सीमेंट को सैकड़ों बीघा भूमि चित्तौड़ में खनन कार्य के लिए आवंटित हुई है। अशोक गहलोत के कांग्रेस के शासन में भले ही कांग्रेस के नेताओं ने आर.के.मार्बल का माल खाया हो, लेकिन आज वही कांग्रेसी आर.के.मार्बल के खान आवंटन की जांच सीबीआई से कराने की मांग कर रहे हैं।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511

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