Tuesday 27 October 2015

बिगड़े हालातों में कितना सफल होगा रिसर्जेन्ट राजस्थान।



साम्प्रदायिक उन्माद लगातार जारी।
27 अक्टूबर को भी राजस्थान के बारां जिले के छीपा बड़ौद में साम्प्रदायिक उन्माद हुआ। हालात इतने बिगड़े की दुकानों को आग लगा दी गई और प्रशासन ने इंटरनेट सेवाओं को बंद कर दिया। प्रशासन ने धारा 144 घोषित की है, लेकिन हालात कफ्र्यू जैसे हैं। प्रशासन के अधिकारी लगातार दोनों समुदायों के लोगों से संवाद कर हालात को नियंत्रण करने में लगे हुए हैं। पिछले एक सप्ताह में लगातार तीसरा अवसर है, जब साम्प्रदायिक उन्माद हुआ है। इससे पहले बीकानेर के श्रीडूंगरगढ़ और भीलवाड़ा शहर में साम्प्रदायिक फसाद हो चुका है। भीलवाड़ा और डूंगरगढ़ में अभी भी सामान्य स्थिति नहीं हो पाई है। प्रदेश के ऐसे माहौल में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे देशी-विदेशी निवेश के लिए रिसर्जेंट राजस्थान का आयोजन कर रही हैं। प्रदेश के विकास के लिए निवेश जरूरी है। लेकिन इससे पहले प्रदेश में साम्प्रदायिक सद्भाव का माहौल होना भी जरूरी है। यदि साम्प्रदायिक उन्माद होता रहा, तो कोई भी उद्योगपति निवेश नहीं करेगा। प्रदेश में लगातार साम्प्रदायिक उन्माद की घटनाएं हो रही है, तो वहीं ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार इसके प्रति गंभीर नहीं है। इन घटनाओं को लेकर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अभी तक भी एक शब्द भी नहीं कहा है। अच्छा हो कि राजे साम्प्रदायिक उन्माद को रोकने के लिए कोई ठोस प्रयास करें। जहां तक प्रशासन का सवाल है तो छोटी सी घटना पर भी अधिकारियों के हाथ-पांव फूल जाते हैं। तत्काल कफ्र्यू की घोषणा कर दी जाती है। डूंगरगढ़ से लेकर छीपा बड़ोद तक में कफ्र्यू जैसे हालात हैं। इंटरनेट सेवाओं को बंद करने से भी जाहिर होता है कि प्रशासन तंत्र पूरी तरह विफल है। प्रशासन जब यह मानता है कि सोशल मीडिया पर अफवाह  फैलाई जाती है तो फिर अफवाह फैलाने वालों के विरुद्ध कार्यवाही क्यों नहीं की जाती? सोशल मीडिया पर जहां शरारतीतत्व भी सक्रिय हैं, वहीं माहौल को सुधारने में भी सोशल मीडिया की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है। 
इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया के माध्यम से सूचना विलम्ब से पहुंचती है, जबकि सोशल मीडिया के महाध्यम से सूचनाएं तत्काल पहुंच जाती है। अच्छा हो कि प्रशासन माहौल  सुधारने में सोशल मीडिया का उपयोग प्रभावी तरीके से करे। अफवाह फैलाने वालों के विरुद्ध सख्त से सख्त कार्यवाही हो और माहौल सुधारने की सूचनाएं प्रशासन की ओर से ज्यादा से ज्यादा प्रसारित करवाई जाए। असल में अभी ऐसा लग रहा है कि सरकार और प्रशासन में ही तालमेल नहीं है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में चुने हुए जनप्रतिनिधि ही माहौल सुधारने में प्रभावी भूमिका निभा सकते हैं। सवाल किसी एक राजनीतिक दल का नहीं है, बल्कि सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों की यह जिम्मेदारी हो कि वे माहौल को सुधारने में सकारात्मक भूमिका निभाएं। कहीं ऐसा तो नहीं कि रिसर्जेंट राजस्थान को विफल करने के लिए सुनियोजित तरीके से साम्प्रदायिक उन्माद की वारदातें करवाई जा रही हो। मुख्यमंत्री राजे को इस ओर भी तत्काल ध्यान देना चाहिए। छोटी छोटी बातों पर हिन्दू और मुसलमानों का आमने-सामने होना उचित नहीं  है। ऐसे में उन लोगों को भी आगे आना चाहिए जो साम्प्रदायिक सद्भावना के लिए सक्रिय रहते हैं। 
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511

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