Friday 2 October 2015

स्टाल पर चाय पीकर सीएम राजे ने दिया हाईकोर्ट को जवाब

राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे ने 2 अक्टूबर को सवाई माधोपुर में स्वच्छता अभियान के अन्तर्गत एक स्टाल पर बैठकर चाय पी और चाय बेचने वाले रामू सेनी के हालचाल जाने। जब पूर्व राजशाही की महारानी और आज के लोकतंत्र की रानी स्टाल पर लगी बैंच पर बैठीं तो मंत्रियों, सांसदों, विधायकों और अन्य सत्ता का सुख भोगने वाले नेताओं का मजमा लग गया। उपस्थित लोग आश्चर्यचकित थे कि हमारी महारानी टी स्टाल की बैंच पर बैठीं हैं। लेकिन यदि महारानी के बैंच पर बैठने का राजनीतिक अर्थ निकाला जाए तो प्रतीत होता है कि सीएम राजे ने राजस्थान हाईकोर्ट को सीधा जवाब दिया है। हाईकोर्ट के न्यायाधीश अजय रस्तोगी और ए.एस. ग्रेवाल ने एक दिन पहले ही 1 अक्टूबर को भरे न्यायालय में कहा कि राजस्थान की सरकार नकारा हो चुकी है। इस सरकार को रिसर्जेट राजस्थान के काम के अलावा और कोई काम नजर ही नहीं आता। कोर्ट ने इस बात पर अफसोस जताया कि जो आयोग आम जनता से जुड़े हैं उनमें अध्यक्षों और सदस्यों की नियुक्ति नहीं हो पाई है। ऐसे आयोग अल्पसंख्यक आयोग, सूचना आयोग, राज्य उपभोक्ता मंच, सफाई कर्मचारी आयोग, सिविल सेवा अपीलीय न्याधीकरण आदि हैं। हाईकोर्ट राजे की सरकार पर कुछ भी टिप्पणी करे, लेकिन राजे ने 2 अक्टूबर को टी-स्टाल की बैंच पर बैठकर यह दर्शा दिया कि वे आम जनता से जुड़ी हुई नेता हैं।
हाईकोर्ट ही नहीं बल्कि आम लोगों का भी मानना है कि सीएम राजे इन दिनों जनता से जुड़ी हुई नहीं हैं। ललित मोदी और खान आवंटन के मामलों में राजे पर जो गंभीर आरोप लगे, उसके जवाब भी राजे के बजाय भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी ने दिए। तब पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने टिप्पणी की थी कि आखिर आरोपों के जवाब मुख्यमंत्री स्वयं क्यों नहीं देतीं। राजनीति में आमतौर पर वही व्यक्ति जवाब देता है जिस पर आरोप लगते हैं। राजे के समर्थक यह समझ लें कि स्टाल पर बैठकर चाय पीने से इमेज में सुधार होने वाला नहीं है। अच्छा होता कि सरकार आयोगों के अध्यक्षों की नियुक्तियां कर देती।

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