Monday 12 October 2015

आखिर कौन बना रहा है भारत में पाकिस्तान की हमदर्दी का माहौल।

जो पाकिस्तान आए दिन सीमा पर हमारे जवानों को शहीद कर रहा है, अब उसी पाकिस्तान के प्रति देश में हमदर्दी का माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है। शर्मनाक बात है कि इस कोशिश में देश की साख को भी दांव पर लगा दिया गया है। जिस पाकिस्तान के इशारे पर मुम्बई में 26/11 का हमला हुआ, उसी पाकिस्तान के लोगों के लिए रेड कारपेट बिछाने का जब शिव सेना ने विरोध किया तो मीडिया और स्वयं को प्रगतिशील मानने वालों ने भारत में पाकिस्तान की हमदर्दी का माहौल बना दिया। महाराष्ट्र में शिव सेना की राजनीति अपने तरीके की है और इसलिए पाकिस्तान के गज़ल गायक गुलाम अली व पूर्व विदेशी मंत्री खुर्शीद कसूरी के प्रोग्रामों का विरोध किया गया। विरोध सिर्फ शिवसेना का है, लेकिन एक सुनियोजित षडय़ंत्र के तहत पूरे देश की साख को दांव पर लगा दिया गया है। जो लोग गुलाम अली और खुर्शीद कसूरी के प्रोग्रामों के हिमायती बने हुए हैं वे यह भी बताएं कि ऐसे लोगों के कार्यकम उसी मुम्बई में क्यों करवाते हैं, जहां पाकिस्तान से आए आतंकियों ने तीन हजार से भी ज्यादा लोगों को मौत के घाट उतार दिया। क्या सुधीन्द्र कुलकर्णी पाक के पूर्व विदेशी मंत्री की बुक का लांच दिल्ली में नहीं करवा सकते थे? शिव सेना के विरोध में राजनीति भी हो सकती है, लेकिन जो भारत के नागरिक हैं, उन्हें तो पाकिस्तान की चाल को समझना चाहिए। पाकिस्तान जानबूझ कर अपने लोगों के प्रोग्राम मुम्बई में करवा रहा है। पाक को पता है कि शिवसेना के विरोध से अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत की बदनामी होगी, जिसका फायदा पाक को ही मिलेगा। यानि पाक दो तरफ से हमला कर रहा है। एक सीमा पर हमारे जवानों को मार रहा है, तो दूसरी तरफ अपने गुलाम अली व कसूरी जैसे लोगों को भेज कर भारत के अंदर का माहौल खराब कर रहा है। पाक को पता है कि भारत में सुधीन्द्र कुलकर्णी जैसे उसके हिमायती बैठे हैं। कुलकर्णी की मंशा का पता इससे ही लगता है कि 12 अक्टूबर को सुबह जब शिव सैनिकों ने मुंह पर स्याही पोत दी तो कुलकर्णी दिनभर यह स्याही को मुंह पर ही चिपकाए रहे। पाकिस्तान परस्त न्यूज चैनलों को भी काले मुंह से घटना की जानकारी दी और हद तो तब हो गई, जब पाक के पूर्व विदेश मंत्री कसूरी के साथ लाइव प्रेस कॉन्फ्रेंस की। यदि कुलकर्णी की हमदर्दी अपने देश के साथ होती तो कम से कम कसूरी के साथ मुंह काला कर नहीं बैठते। क्या कुलकर्णी ने दुनिया में भारत की बदनामी नहीं की है? जबकि यह बात कुलकर्णी और कसूरी भी जानते हैं कि मुंह काला करने की घटना में भारत सरकार की कोई भूमिका नहीं है। भारत सरकार के वीजा देने पर ही गुलाम अली और कसूरी भारत आ सके हैं। यदि सरकार की नियत में खोट होता तो ऐसे लोगों को वीजा ही नहीं दिया जाता।
खुर्शीद कसूरी की जिस पुस्तक का लॉन्च हुआ, उसमें क्या पाकिस्तान की निंदा और भारत की प्रशंसा लिखी गई है? पुस्तक में मुम्बई हमलों के बारे में जो टिप्पणी की गई है, उसमें पाकिस्तान को निर्दोष बताया गया है। कसूरी की भी मजाल देखिए कि जख्मों वाले उसी मुम्बई में अपनी किताब का लॉन्च कर रहे हैं। मैं यह बात दावे के साथ कह सकता हंू कि यदि कसूरी ने अपनी इस पुस्तक में भारत के पक्ष में एक लाइन भी लिखी होगी, तो उनके लिए पाकिस्तान में रहना मुश्किल हो जाएगा। कहने को तो पाकिस्तान में भी लोकतंत्र है, लेकिन वहां कैसा लोकतंत्र है, यह बात कसूरी अच्छी तरह समझते हैं। उन्हें पता है कि भारत में जो धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र है, उसी में खड़े होकर भारत को अपमानित किया जा सकता है। हिन्दू-मुस्लिम मुद्दों पर भारत का माहौल पहले ही खराब है, उस पर खुर्शीद कसूरी जैसों ने यहां आकर माहौल में आग में घी डालने वाला काम किया है। भारत में अमन चैन बना रहे इसके लिए यहां के हिन्दू और मुसलमानों को समझदारी दिखानी होगी। कसुरी जैसे पाकिस्तानी तो भारत आकर माहौल बिगाडऩे का काम करते रहेंगे।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511

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