Friday 23 October 2015

दालों को लेकर रिलायन्स और बिग बाजार जैसे समूहों पर क्यों नहीं पड़ रहे छापे।



देशभर में दालों के बढ़ते दामों को लेकर छोटे-मोटे व्यापारियों आदि पर छापामार कार्यवाही हो रही है, लेकिन इस छापामार कार्यवाही से रिलायन्स और बिग बाजार जैसे समूह अभी तक बचे हुए हैं। सरकार व्यापारियों को तो इसलिए पकड़ रही है कि निर्धारित स्टॉक से ज्यादा की दालें मिल रही है, लेकिन रिलायन्स और बिग बाजार पर कार्यवाही नहीं कर रही। पूरा देश जानता है कि रिलायन्स और बिग बाजार जैसे समूहों के डिपाटमेंटल स्टोरों पर कई हजार क्विंटल दाल पड़ी हुई है। इन समूहों ने ही पहले सस्ती दर पर दल खरीदी और अब महंगी दर पर दालों को बेच रहे हैं। सवाल उठता है कि सरकार का जो वस्तु अधिनियम नियंत्रण कानून है क्या वह रिलायन्स और बिग बाजार जैसे समूहों पर लागू नहीं होता? पूरा देश जानता है कि इन समूहों ने बड़ी मात्रा में दालों का स्टॉक कर रखा है। रिलायन्स के तो देश के प्रमुख शहरों में थोक स्टोर है, जहां पर बाजार से सस्ती दर पर खाद्य सामग्री उपलब्ध करवाने का दावा किया जाता है। इसके अलावा रिलायन्स के अधिकांश शहरों में अनेक डिपार्टमेंटल स्टोर भी हैं। सरकार यदि अकेले रिलायन्स के गोदामों पर ही छापामार कार्यवाही करें, तो देशभर में दालों के दाम गिर सकते हैं, लेकिन देश जनता यह भी जनती है कि वर्तमान समय में रिलायन्स के स्टोरों पर छापामार कार्यवाही नहीं हो सकती है। जिन राज्यों में भाजपा की सरकार नहीं है, वहां भी छापामार कार्यवाही करने से गुरेज किया जा रहा है, क्योंकि  रिलायन्स के प्रबंधक किसी एक राजनीतिक दल को खुश नहीं रखते, बल्कि सभी राजनीतिक दलों को दालों की मलाई खिलाते रहते हैं। 
श्रम एक्ट की पालना भी नहीं
रिलायन्स और बिग बाजार जैसे समूह श्रम एक्ट की पालना भी नहीं करते हैं। आम व्यापारी पर साप्ताहिक अवकाश और दुकानों के खुलने और बंद होने का नियम लागू होता है। लेकिन रिलायन्स और बिग बाजार  के डिपार्टमेंटल स्टोर न तो साप्ताहिक अवकाश रखते हैं और न ही श्रम कानून के तहत स्टोर को खोलते एवं बंद करते हैं।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511

No comments:

Post a Comment