Wednesday 14 October 2015

एकल पट्टा के मामले में आखिर कौन भ्रष्ट है? भाजपा या कांग्रेस

राजस्थान के बहुचर्चित एकल पट्टा प्रकरण में आखिर कौन भ्रष्ट है? कांग्रेस और भाजपा दोनों ही स्वयं को दूध का धुला बता रही है। कोई माने या नहीं, लेकिन इस मामले में भ्रष्टाचार के तार अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे से जुड़े हुए हैं। जाहिर है कि भ्रष्टाचार करने में कांग्रेस और भाजपा की सरकार ने कोई कसर नहीं छोड़ी है। सब जानते हैं कि वसुंधरा राजे जब पहली बार सीएम बनी थी, तब सरकार को चलाने में ललित मोदी की सक्रिय भूमिका थी। बड़े मामलों में मोदी की सहमति के बाद ही सरकार से मंजूरी मिलती थी, वर्ष 2005 में जेडीए के आयुक्त ललित के.पंवार ने सबसे पहले एकल पट्टा गणपति कंस्ट्रेक्शन को देने की मंजूरी प्रदान की। लेकिन सरकार की मंजूरी के लिए यह फाइल जब यूडीएच में आई तो इसे सचिव की हैसियत से पंवार ने ही नामंजूर कर दिया। आयुक्त की हैसियत से मंजूरी और सचिव की हैसियत से नामंजूरी के बारे में भले ही पंवार अब अपनी जुबान न खोले, लेकिन तब यही चर्चा थी कि फाइल पर ललित मोदी की सहमति नहीं हुई थी, गणपति कंस्टे्रक्शन ने वर्ष 2005 में जो तिकड़म जेडीए में लगाई वैसी ही तिकड़म यदि ललित मोदी के पास लगाई जाती तो वसुंधरा राजे के राज में ही गणपति कंस्टे्रक्शन को करोड़ों की भूमि कौडिय़ों के भाव मिल जाती। सब जानते हैं कि ललित के.पंवार अब सच्चाई उजागर नहीं करेंगे, क्योंकि इस समय वे राजस्थान लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष के पद पर विराजमान हैं और राज्य एवं केन्द्र में वसुंधरा राजे की पार्टी की सरकार है। भाजपा की सरकार ने ही आईएएस की सेवानिवृत्ति के बाद पंवार को आयोग का अध्यक्ष बनाया है। यह तो रही भाजपा की ईमानदारी और अब कांग्रेस सरकार की ईमानदारी देखिए।
कांग्रेस सरकार के यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि 10 मई, 2013 को ही एकल पट्टा निरस्त करने के आदेश जारी कर दिए गए थे और इसके साथ ही दोषी अधिकारियों और गणपति कंस्ट्रेक्शन के खिलाफ एफआईआर करने के आदेश दिए गए। सब जानते हैं कि धारीवाल नवम्बर 2013 तक यूडीएच मंत्री रहे। सवाल उठता है कि इन सात माह में धारीवाल ने एफआईआर दर्ज क्यों नहीं करवाई? इसी प्रकार वर्तमान यूडीएच मंत्री राजपाल सिंह शेखावत ने एसीबी को मामला देने में पौने दो साल गुजार दिए। जहां तक सरकार के कामकाज का सवाल है, तो सरकार जितनी जल्दी चाहे कामकाज कर सकती है। 10 मई 2013 को धारीवाल ने जब एकल पट्टा निरस्त किया तो एक ही दिन में फाइल पर 35 पैरे लिखवा दिए। जब एक ही दिन में 35 पैरे लिखवा कर कई अधिकारियों से हस्ताक्षर करवाए जा सकते हैं तो क्या सात माह में एफआईआर दर्ज नहीं करवाई जा सकती थी? धारीवाल ने ऐसा इसलिए नहीं किया, क्योंकि गणपति कंस्ट्रेक्शन को बचाना था। अब भी यदि कांग्रेस सीएम वसुंधरा राजे की सरकार के खान आवंटन घोटाले पर बयानबाजी नहीं करती तो एकल पट्टा मामले में एसीबी भी चुप बैठी रखी। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी ने एक ही दिन में 35 पैरे लिखवाने की बात तो उठाई, लेकिन जो काम कांग्रेस ने किया वैसा ही खान आवंटन में भी वसुंधरा राजे की सरकार ने किया था। दो, तीन दिन में ही आवेदन लिए और खनन कार्य के लिए सैकड़ों बीघा भूमि का आवंटन कर दिया। यानि भ्रष्टाचार करने में न कांग्रेस पीछे है न भाजपा। अब धारीवाल ने कहा कि मेरे पास पांच पांच बड़े विभाग थे, इसलिए वेे सभी फाइलों को पढ़ नहीं पाते थे। धारीवाल से कोई यह पूछे कि जब उन्हें पांच विभाग दिए गए तो उन्होंने तब के सीएम गहलोत को मना क्यों नहीं किया। धारीवाल जी जनता सब जानती है। जब विभागों से भलाई मिल रही थ, तो आपको ऐतराज क्यों होता। अब जब भ्रष्टाचार का फंदा गले में फंस रहा है, तो विभागों के काम का बोझ याद आ रहा है।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511

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