Monday 30 November 2015

क्या ब्यावर पुलिस ने इवेंट कम्पनी के लड़के-लड़कियों को पकड़ा वेश्यावृति के आरोप में



अजमेर जिले की ब्यावर पुलिस ने 29 नवम्बर की रात को रानी बाग रिसोर्ट में एक सैक्स रैकेट को पकडऩे का दावा किया है, लेकिन वहीं यह सवाल उठ रहा है कि जयपुर की एक इवेंट कम्पनी के लड़के-लड़कियों को पुलिस ने बेवजह पकड़ा है। जिन सात लड़कियों को पुलिस ने पकड़ा है उनमें से दो लड़कियां तो आईएएस परीक्षा की तैयारियां कर रही हैं। कम्पनी के मैनेजर हर्षवर्धन का कहना है कि 29 नवम्बर को ब्यावर में अजमेर रोड पर एक बंगले के उद्घाटन के समारोह में इंतजाम के लिए लड़के-लड़कियां आए थे। इसके लिए पंकज बल्दुआ नामक युवक ने बुकिंग करवाई थी। कम्पनी के पास पंकज के ई-मेल भी है। शाम तक चले कार्यक्रम के बाद रात को ब्यावर में ही रूकने का निर्णय लिया गया। पहले शहर के ही एक होटल में रात्रि विश्राम के लिए गए थे लेकिन इस होटल का माहौल अच्छा नहीं था इसलिए अजमेर रोड स्थित रानी बाग रिसोर्ट में चले गए। रिसोर्ट में पहुंचे ही थे कि पुलिस आ गई। हर्षवर्धन का कहना है कि रिसोर्ट में लगे सीसी टीवी कैमरे से पता चल सकता है कि कम्पनी के कार्यकर्ता किस समय पहुंचे और पुलिस कितनी देर में आ गई। लड़के-लड़कियों ने आरोप लगाया कि पुलिस झूठे बयान लिख रही है। पीटा एक्ट में गिरफ्तारी क बाद लड़के-लड़कियों को 30 नवंबर की शाम मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया जहां अदालत ने एक दिन के रिमाण्ड पर भेज दिया है।
भाजपा नेता के बंगले का था नांगल:
29 नवम्बर को ब्यावर में भाजपा के नेता जयकिशन बल्दुआ के बंगले का नांगल था। नांगल के समारोह में अनेक जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ कोई ढाई हजार से भी ज्यादा मेहमानों ने भाग लिया। वहीं दूसरी ओर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक विनीत कुमार बंसल नेकहा कि गिरफ्तार लड़के-लड़कियां सैक्स रैकेट में लिप्त हैं। पुलिस को पुख्ता सूचना मिलने के बाद ही रिसोर्ट पर छापा मारा गया। पुलिस ने युवक-युवतियों को आपत्तिजनक स्थितियों में पकड़ा तथा कमरों में शराब व अन्य आपत्तिजनक वस्तुएं भी बरामद की हैं। लड़कियों से इवेंट कम्पनी के नाम पर वेश्यावृति करवाने वाली युवती ने बताया है कि जयपुर से ही लड़कियों को लाया गया है। पकड़े जाने वाले लड़के, लड़कियों में निकिता वर्मा, अभिषेक गोड़, सुरभि सिंह, नवनीत मीणा, हर्षिता साल्वी, बलवीर, प्रीति, दुष्यन्त सिंह, आरुचि बंसल, नरेन्द्र सिंह, उर्वशी, कमलदीप है।
(एस.पी. मित्तल)
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घरेलू हिंसा के मामले में पति की याचिका पर पत्नी को नोटिस



अजमेर की अदालत में पेश हुआ अनोखा वाद
वर्ष 2005 में बने घरेलू हिंसा कानून के मामले में अब तक महिलाओं को पीडि़त मानते हुए पुरुषों के खिलाफ कार्यवाही होती रही है, लेकिन अजमेर के अपर मुख्य न्यायिक मजिस्टे्रेट संख्या 2 संजय गुप्ता ने इसी कानून में पति को घरेलू हिंसा का पीडि़त मानते हुए उसकी पत्नी को नोटिस जारी किया है।
जिले के नसीराबाद शहर के काली बाई के मौहल्ले में रहने वाले सत्यदेव मेहरा के 33 वर्षीय पुत्र प्रवीण ने अपने वकील प्रीतम सिंह सोनी और जीनेश सोनी के माध्यम से अदालत में एक वाद दायर किया है। चूंकि यह वाद घरेलू हिंसा अधिनियम में दिया गया था, इसलिए पहले तो मजिस्ट्रेट संजय गुप्ता ने स्वीकार करने से इंकार कर दिया लेकिन जब वकीलों ने तर्कपूर्ण तरीके से यह बताया कि यह अधिनियम पीडि़त पुरुष पर भी लागू होता है तो मजिस्ट्रेट गुप्ता ने कानून का अध्यन करने के बाद पीडि़त पति प्रवीण मेहरा की पत्नी खुशबू को नोटिस जारी कर दिया। अब इस मामले में 12 जनवरी को सुनवाई होगी।
वाद में बताया गया कि 12 मई 2013 को प्रवीण का विवाह अजमेर के छोटी नागफणी निवासी बद्री विशाल की पुत्री खुशबु के साथ हुआ था। विवाह दोनों पक्षों की रजामंदी से हुआ लेकिन विवाह के बाद खुशबू सुसराल वालों की आर्थिक तंगी का हवाला देकर नाराज रहने लगी। खुशबू को इस बात पर भी नाराजगी थी कि उसका पति प्रवीण एक केन्टीन में काम करता है और घर में सास-ससुर के अलावा दो भाई व एक बहन भी रहती है। खुशबू का बार-बार यह कहना रहा कि प्रवीण और उसका परिवार कंगाल है। पिछले डेढ़ वर्ष से खुशबू अजमेर में अपने माता-पिता के पास ही रह रही है। इस बीच खुशबू ने कई मुकदमे पति और ससुराल वालों पर कर दिए है। खुशबू जब गर्भवती हुई तब भी उसने व्यवहार अच्छा नहीं किया। पुत्र के जन्म पर जब प्रवीण खिलौने लेकर ससुराल गया तो खुशबू ने खिलौने सड़क पर फेंक दिए। इतना ही नहीं न्यायालय के आदेश से पुत्र को भी अपने संरक्षण में ले रखा है। ऐसे में प्रवीण अपने पुत्र से भी वंचित है।
अनोखा वाद
न्यायिक जगत में प्रवीण के वाद को अनोखा बताया जा रहा है। अब तक इस कानून में सिर्फ महिला पक्ष को ही पीडि़त माना गया है लेकिन संभवत: यह पहला अवसर है जब घरेलू हिंसा कानून में किसी पति को पीडि़त मानते हुए न्यायालय ने पत्नी को नोटिस जारी किया है।
(एस.पी. मित्तल)
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मित्तल अस्पताल के डॉक्टरों की गिरफ्तारी को लेकर एसपी को ज्ञापन



अजमेर के पुष्कर रोड स्थित मित्तल अस्पताल के डॉक्टर सूर्या व डॉ. प्रदीप की गिरफ्तारी की मांग को लेकर 30 नवम्बर को सिक्ख समुदाय और अजमेर व्यापार महासंघ के प्रतिनिधियों ने एसपी को ज्ञापन दिया। प्रतिनिधियों का कहना रहा कि गत 18 नवम्बर को मित्तल अस्पताल में नरेन्द्र पाल सिंह कोचर के हार्ट का ऑपरेशन हुआ था। ऑपरेशन में डॉक्टरों ने लापरवाही बरती जिसकी वजह से कोचर की मौत हो गई। इस संबंध में क्रिश्चियनगंज पुलिस स्टेशन पर एक मुकदमा भी दर्ज करवाया गया है लेकिन पुलिस ने अभी तक भी दोषी व्यक्तियों के खिलाफ कार्यवाही नहीं की है। उल्टे पीडि़त पक्ष को ही धमकाने व झूठे मुकदमे में फंसाने की धमकी दी जा रही है। इससे अजमेर के सिक्ख समुदाय में रोष है। ज्ञापन में कहा गया कि दोषी व्यक्तियों के खिलाफ शीघ्र गिरफ्तारी नहीं हुई तो आंदोलन किया जाएगा। एसपी नितिनदीप ब्लग्गन ने प्रतिनिधियों को भरोसा दिलाया कि पूरे मामले में उचित कार्यवाही की जाएगी।
(एस.पी. मित्तल)
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असहिष्णुता पर संसद में बहस देश के माहौल को और खराब करेगी।



देश में असहिष्णुता को लेकर 30 नवम्बर को लोकसभा में जोरदार बहस हुई। बहस की शुरुआत ही माहौल को खराब करने से हुई। सीपीआई के सांसद मोहम्मद सलीम ने नरेन्द्र मोदी के पीएम बनने को लेकर जो टिप्पणी की, उस पर गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने नाराजगी जताई। इसके बाद सलीम के कथन को लोकसभा की कार्यवाही से बाहर कर दिया गया। देश में लगातार बढ़ रही आतंकवादी घटनाओं को लेकर माहौल पहले ही खराब है और उस पर संसद में जिस तरह से बयान दिए जा रहे हैं, उससे तो माहौल और खराब होगा। बहस को सुनने से प्रतीत होता है कि विपक्षी दलों के नेताओं को सरकार पर हमला करने का शानदार अवसर मिल गया है। नरेन्द्र मोदी भले ही कश्मीर में जाकर दीपावली मनाए अथवा अपने भाषणों में कानपुर की नूरजहां और अलवर के इमरान के उल्लेखनीय कार्य का बखान करें, लेकिन फिर भी विपक्ष का यही कहना है कि केन्द्र की भाजपा सरकार के कृत्य से हिन्दू और मुसलमानों के बीच फसाद हो रहा है। बार-बार विपक्षी नेताओं ने यही कहा कि साम्प्रदायिक तनाव और आतंकी घटनाएं इसलिए हो रही है कि केन्द्र में मोदी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार चल रही है। मोहम्मद सलीम का तो यहां तक कहना था कि कांग्रेस के शासन में जब अलकायदा का जोर था, तब कश्मीर अथवा देश के दूसरे हिस्सों के मुस्लिम युवक कभी भी अलकायदा की ओर आकर्षित नहीं हुए। लेकिन वर्तमान दौर में मुस्लिम युवा आईएस जैसे आतंकी संगठन की ओर आकर्षित हो रहे हैं। समझ में नहीं आता कि संसद में बहस किस दिशा में जा रही है। विपक्ष के जो नेता पूर्व में संसद के बाहर जो आरोप लगाते थे, उससे भी ज्यादा गंभीर आरोप संसद में लगाए जा रहे हैं। लेकिन कोई भी नेता यह नहीं बता रहा कि आखिर सरकार को करना क्या चाहिए? या इस सरकार ने ऐसा कौनसा काम किया है, जिसकी वजह से यह जाहिर होता हो कि आम मुसलमानों पर अत्याचार हो रहे हैं। अच्छा हो कि संसद में इस मुद्दे पर एक सार्थक बहस हो और विपक्ष के नेता उन बिन्दुओं पर बोलें,जिनसे केन्द्र सरकार को कटघरे में खड़ा किया जा सके। क्या सिर्फ केन्द्र में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बन जाने से ही देश में असहिष्णुता नहीं हो जाती? आज जो लोग असहिष्णुता का आरोप लगा रहे हैं, उन्हें यह भी समझना चाहिए कि आजादी के बाद 50-55 वर्षों तक देश में कांग्रेस और उनके सहयोगी दलों का ही शासन रहा है। नरेन्द्र मोदी कोई सेना के भरोसे तख्ता पलट कर पीएम नहीं बने हैं, बल्कि देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था के अंतर्गत पीएम बने हैं। देश की जनता ने पूर्ण बहुमत देकर केन्द्र में भाजपा की सरकार बनाई है। सरकार से मतभेद होना आम बात है और विपक्षी नेताओं को सरकार की कमजोरियों को ही सामने लाना चाहिए। जिस तरह से असहिष्णुता पर संसद में बहस हो रही है, उससे तो आतंकवादियों को ही बल मिलेगा। नेताओं को यह भी समझना चाहिए कि देश की जमीनी हकीकत क्या है।
हैड कांस्टेबल गिरफ्तार:
दिल्ली पुलिस ने 30 नवम्बर को बीएसएफ के हैड कांस्टेबल अब्दुल रशीद को गिरफ्तार किया है। अब्दुल रशीद जम्मू के राजौरी क्षेत्र में तैनात था। रशीद पर आरोप है कि बीएसएफ की गोपनीय जानकारी चुरा कर पाकिस्तान की कुख्यात एजेंसी आईएसआई को दे रहा था। पुलिस ने इसके साथ चार अन्य युवकों को भी गिरफ्तार किया है। इन चारों युवकों पर आईएसआई का एजेंट होने का आरोप है। पुलिस के अनुसार पाक एजेंटों ने हर सूचना के एक-एक लाख रुपए रशीद को दिए हैं। पुलिस अब इस मामले में गहन जांच पड़ताल कर रही है। पुलिस को यह भी जानकारी मिली कि पाक एजेंट नई दिल्ली में पाकिस्तान उच्चायोग के किसी अधिकारी से मिलने वाले थे। 

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Sunday 29 November 2015

सम्मेलनों में नहीं आए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष।



अजमेर शहर और देहात के भाजपा के सम्मेलनों में प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी नहीं आए। शहर अध्यक्ष अरविंद यादव और देहात अध्यक्ष बी.पी.सारस्वत ने दावा किया था कि परनामी कार्यकर्ताओं संबोधित करेंगे। परनामी को रविवार को आना था। शहर का सम्मेलन एक समारोह स्थल पर और देहात का पुष्कर में हो रहा है। दोनों ही सम्मेलनों में परनामी के नहीं आने से कार्यकर्ता मायूस रहे। शहर का सम्मेलन सोमवार को और देहात का मंगलवार को समाप्त हो जाएगा। सम्मेलनों में भाजपा के बड़े नेता संगठन की रीति नीतियों के बारे में बता रहे है। एक सत्र राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से भाजपा के संबंधों को लेकर भी रखा गया है। 
भदेल को मिला सम्मान:
29 नवम्बर को अजमेर में मेयो कॉलेज के वार्षिक समारोह में भाग लेने आए केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह का राज्य सरकार की ओर से महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री श्रीमती अनिता भदेल ने स्वागत किया। भदेल राज्य सरकार की प्रतिनिधि होंगी। इसका निर्णय मुख्यमंत्री स्तर पर लिया गया। 

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सारस्वत ने मुरली तिलोकानी को ही ब्यावर भाजपा का अध्यक्ष माना।



अजमेर जिला देहात भाजपा के अध्यक्ष बी.पी.सारस्वत ने मुरली तिलोकानी को ही ब्यावर भाजपा मंडल का अध्यक्ष माना है। सारस्वत के निमंत्रण पर ही तिलोकानी पुष्कर में चल रहे जिला सम्मेलन में भाग ले रहे हैं। तिलोकानी और महामंत्री रमेश बंसल व नरेश मित्तल के पुष्कर सम्मेलन में भाग लेने से भाजपा के क्षेत्रीय विधायक शंकर सिंह रावत को तगड़ा झटका लगा है। हाल ही के चुनाव में रावत ने अपने राजनीतिक प्रभाव से जयकिशन बल्दुआ को मंडल अध्यक्ष घोषित करवाया था। लेकिन चुनाव में हुए कथित फर्जीवाड़े के आरोपों के बाद प्रदेश नेतृत्व ने बल्दुआ के निर्वाचन पर रोक लगा दी। हालांकि इस रोक को विधायक रावत ने मानने से इंकार कर दिया। ऐसे में ब्यावर में भाजपा के दो मंडल अध्यक्ष हो गए। लेकिन देहात अध्यक्ष सारस्वत ने तिलोकानी को पुष्कर सम्मेलन में बुलाकर यह साबित कर दिया कि तिलोकानी ही मंडल अध्यक्ष रहेंगे। ब्यावर का शहरी कार्यकर्ता विधायक रावत के रवैये से नाराज बताया जाता है। विधायक पर यह भी आरोप है कि पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ताओं की उपेक्षा कर अपने मर्जीदानों को पार्षद मनोनीत करवा दिया। 
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फारुख अब्दुल्ला ने सच्चाई बयान की है।



असहिष्णुता का शोर मचाने वाले समझे।
27 और 28 नवम्बर के दो दिनों में जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम फारुख अब्दुल्ला ने दो खास बातें कहीं। एक-पाक  अधिकृत कश्मीर पर भारत का कोई हक नहीं है और दूसरी-भारतीय फौज कश्मीर के आतंकवादियों का कुछ नहीं बिगाड़ सकती है। इन दोनों ही बयानों को लेकर देश भर में फारुख अब्दुल्ला की आलोचना हो रही है, लेकिन मेरा मानना है कि फारुख ने तो सच्चाई बयान की है। आजादी के बाद से जम्मू-कश्मीर में अधिकांश समय तक फारुख अब्दुल्ला, उनके पिता शेख अब्दुल्ला और उनके बेटे उमर फारुख अब्दुल्ला ही मुख्यमंत्री रहे है। अब्दुल्ला परिवार को अच्छी तरह पता है कि आतंकवादियों की ताकत कितनी है। अब्दुल्ला घराना यह भी जानता है कि कश्मीर में किस तरह आतंकवाद बढ़ा है। चूंकि अब्दुल्ला परिवार के शासन में ही आतंकवाद की ताकत बढ़ी इसलिए उन्हें पता है कि भारतीय फौज आतंकवादियों का खात्मा नहीं कर सकती है। देश में जो लोग असहिष्णुता को लेकर हो हल्ला मचा रहे हैं उन्हें फारुख अब्दुल्ला के बयान को गंभीरता से लेना चाहिए। क्या आज देश के हालात ऐसे हो गए हंै कि हमारी फौज भी आतंकवादियों का मुकाबला नहीं कर सकती? जो लोग असहिष्णुता को लेकर अवार्ड लौटा रहे हैं, उन्हें अब यह बताना चाहिए कि फारुख अब्दुल्ला के बयान के मायने क्या है। सब जानते है कि फारुख अब्दुल्ला की पार्टी नेशनल कांफ्रेंस केन्द्र में कांग्रेस गठबंधन में शामिल है। ऐसे में कांग्रेस की भी यह जवाबदेही है कि वे फारुख अब्दुल्ला के बयान पर सफाई दे। क्या फारुख अब्दुल्ला आतंकवादियों के सामने भारतीय फौज को कमजोर आंकते हंै या उन्हें यह पता है कि कश्मीर के जो हालात है उनमें भारतीय फौज आतंकवादियों के खिलाफ कोई सख्त कार्यवाही नहीं कर सकती। हमें यह भी समझना चाहिए कि आज कश्मीर के हालात बद से बदतर हो गए है। कश्मीर में हिन्दू समुदाय के लोगों को मार-मार कर भगा दिया गया है और अब कश्मीर में आतंकवादियों का ही दबदबा है। इसीलिए खुलेआम आईएस जैसे खूंखार आतंकी संगठन के झंडे लहराएं जाते हैं।
पीएम नरेन्द्र मोदी के मन की बात:
मुस्लिम समुदाय को लेकर कुछ लोग पीएम नरेन्द्र मोदी पर कितने भी आरोप लगाएं, लेकिन 29 नवम्बर को रविवार के दिन रेडियो पर मोदी ने अपने मन की बात बता ही दी। मन की बात कार्यक्रम में मोदी ने उत्तरप्रदेश के कानपुर क्षेत्र की नूरजहां नामक एक महिला के उल्लेखनीय कार्य का जिक्र किया। नूरजहां सोलर ऊर्जा से लालटेन जलाने के कार्य में लगी हुई हैं। सूर्य की रोशनी से नूरजहां जो ऊर्जा बनाती हैं उसके जरिए लालटेन की रोशनी करवाती है। नूरजहां ने अनेक लालटेन तैयार की है और उन्हें सौ रुपए प्रतिमाह के किराए पर भी देती है। नूरजहां के माध्यम से पीएम मोदी ने अपने मन की बात रखी है। देश के जागरूक लोगों को याद होगा कि पिछले दिनों अपनी इंग्लैण्ड यात्रा में पीएम मोदी ने राजस्थान के अलवर शहर में रहने वाले इमरान का जिक्र किया था। मोदी ने कहा था कि उनका भारत इमरान में बसता है। मालूम हो कि इमरान ने कई ऐसे एप बनाए हैं, जिनके माध्यम से स्कूली शिक्षा सरल हो गई है। अब देखना है कि नूरजहां की मन की बात को देश में किस प्रकार से लिया जाता है।

(एस.पी. मित्तल)
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Saturday 28 November 2015

भाजपा के कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण से पहले देवनानी और भदेल को तो एक करो।



पंडित दीनदयाल प्रशिक्षण महाअभियान के अन्तर्गत अजमेर शहर के भाजपा कार्यकर्ताओं का एक प्रशिक्षण शिविर 28 नवम्बर से शुरू हुआ। 30 नवम्बर तक चलने वाले इस शिविर में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी, प्रदेश के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिकता मंत्री अरूण चतुर्वेदी, पूर्व सांसद रासा सिंह रावत आदि प्रशिक्षण देंगे। मजे की बात यह है कि शहर के दोनों विधायक वासुदेव देवनानी और श्रीमती अनिता भदेल भी कार्यकर्ताओं को यह बताएंगी कि किस प्रकार संगठन के प्रति समर्पित भाव से काम करना चाहिए। शिविर में भले ही भाजपा के कार्यकर्ता बड़े नेताओं के उपदेश सुनें, लेकिन उन्हें अजमेर भाजपा संगठन के हालातों पर रोना आ रहा है। प्रदेशभर में जिन 5-6 जिला संगठनों के अध्यक्ष तय नहीं हुई हैं उसमें अजमेर भी शामिल है। देवनानी और भदेल की आपसी राजनीतिक जंग की वजह से अध्यक्ष का चुनाव ही नहीं हो पाया। छह मंडल अध्यक्षों के चुनाव इसलिए हो गए क्योंकि दोनों विधायकों ने अपने-अपने क्षेत्रों के मंडल अध्यक्षों के नाम तय किए। आज उत्तर क्षेत्र के तीनों मंडल अध्यक्ष देवनानी की गोद में बैठे हैं तो दक्षिण क्षेत्र के तीनों अध्यक्ष भदेल के पल्लू में बंधे हुए हैं। अध्यक्ष का चुनाव सर्वसम्मति से हो जाए, इसके लिए प्रदेश पर्यवेक्षक हेमसिंह भडाणा ने बहुत कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली। अजमेर शहर के भाजपा कार्यकर्ताओं की सबसे बड़ी समस्या यही है कि देवनानी और भदेल एक दूसरे की शक्ल तक देखना पसंद नहीं करते हैं। पहली बात तो दोनों एक साथ किसी भी समारोह में उपस्थित नहीं होते और जब कभी मजबूरी में एक साथ किसी समारोह में जाना पड़ता है तो शिष्टाचारवश नमस्कार भी नहीं करते। इसका ताजा उदाहरण अन्र्तराष्ट्रीय पुष्कर मेले का 25 नवम्बर को हुआ समापन समारोह रहा। पुष्कर के भाजपा विधायक सुरेश सिंह रावत के प्रयासों से देवनानी और भदेल ने समारोह में आने की सहमति तो दे दी, लेकिन उपस्थिति के बाद दोनों में खाई और चौड़ी हो गई। हुआ यूं कि देवनानी निर्धारित समय पर समारोह में पहुंच गए। देवनानी ने पहुंचते ही कहा कि समारोह को शुरू कर दिया जाए, लेकिन आयोजकों ने कहा कि श्रीमती भदेल आने ही वाली हैं, तब तक इंतजार कर रहे हैं। इस पर देवनानी का कहना रहा कि समारोह का मुख्य अतिथि मैं हूं इसलिए मुख्य अतिथि के आते ही समारोह शुरू हो जाना चाहिए। मजबूरी में भदेल के आने से पहले समारोह शुरू हो गया। जब भदेल पहुंचीं तो इस बात पर नाराज रहीं कि उनके आने से पहले ही समारोह कैसे शुरू हुआ।
शिविर में प्रशिक्षण ले रहे कार्यकर्ताओं के यह समझ में नहीं आ रहा कि आखिर देवनानी और भदेल आपस में झगड़ क्यों रहे हैं? सीएम वसुंधरा राजे ने देवनानी को स्कूली शिक्षा और भदेल को महिला एवं बाल विकास विभाग का स्वतंत्र प्रभार का राज्यमंत्री बना रखा है। इतना ही नहीं देवनानी को तो अपने ही जिले का प्रभारी मंत्री भी नियुक्त कर रखा है। चुनाव क्षेत्र को लेकर भी दोनों में कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है। श्रीमती भदेल एससी के लिए आरक्षित दक्षिण क्षेत्र में और देवनानी अपनी जाति के सिन्धी मतदाताओं वाले उत्तर क्षेत्र में चुनाव लड़ते हैं। यानि देवनानी भदेल के दक्षिणॅ में और भदेल देवनानी के उत्तर क्षेत्र में चुनाव की दावेदार नहीं हैं। प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी से लेकर राजनीतिक नियुक्ति की तलाश में भटक रहे पांच बार के पूर्व सांसद रासासिंह रावत भी कार्यकर्ताओं को ही उपदेश दे रहे हैं। यदि ये दोनों नेता भदेल और देवनानी का समझौता करा जाएं तो कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण तो अपने आप हो जाएगा। शहर के कार्यकर्ताओं की हालात इतनी खराब है कि यदि देवनानी से नमस्कार कर लिया जाए तो भदेल नाराज और भदेल से नमस्कार कर लिया जाए तो देवनानी नाराज। देवनानी और भदेल दोनों के पास एक दूसरे के व्यवहार को लेकर इतनी शिकायतें हैं कि एक हजार पृष्ठ की पुस्तक भी लिखी जा सकती है। जब तक देवनानी और भदेल में समझौता नहीं होगा तब तक कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण कोई मायने नहीं रखता है।
कोठी पर हो रहा है प्रशिक्षण:
भाजपा कार्यकर्ताओं का तीन दिवसीय प्रशिक्षण अजमेर में ऐतिहासिक आनासागर के किनारे स्थित होटल मेरवाड़ा स्टेट (भागचन्द की कोठी) पर हो रहा है। कार्यकर्ताओं के लिए यह सुखद बात है कि तीन दिनों तक खाने-पीने की मौज रहेगी।
(एस.पी. मित्तल)
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अजमेर के मुकुट बिहारी लाल भार्गव भी थे संविधान सभा के सदस्य



भारत के जिस संविधान को लेकर 26 नवम्बर को लोकसभा और राज्यसभा में गरमा गरम बहस हुई, उस संविधान को बनाने वाली सभा में अजमेर के मुकुट बिहारी लाल भार्गव भी सदस्य थे। यानि भार्गव ने डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, जवाहरलाल नेहरू, डॉ. भीमराव अम्बेडकर, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मदन मोहन मालवीय जैसे महापुरुषों के साथ बैठकर संविधान को बनाया। आज उसी संविधान पर हमारा यह लोकतांत्रिक देश खड़ा है। 26 नवम्बर को पीएम नरेन्द्र मोदी ने एकदम सही कहा कि किसी का नाम लेने अथवा न लेने से उसकी शख्सियत पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। कांग्रेस ने इस बात पर नाराजगी जताई थी कि कांग्रेस के जिन नेताओं ने संविधान को बनाने में भूमिका निभाई उनके नाम वर्तमान केन्द्र सरकार के द्वारा नहीं लिए गए। संसद में 26 नवम्बर को पक्ष विपक्ष की बहस में मुकुट बिहारी लाल भार्गव का नाम भी नहीं आया। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि भार्गव की शख्सियत कम होगी। अजमेर की युवा पीढ़ी भी भले ही मुकुट बिहारी लाल भार्गव को नहीं जानती हो, लेकिन अजमेर और देश के महत्व को बढ़ाने में भार्गव ने कोई कसर नहीं छोड़ी। यह अजमेर के लिए गौरव की बात है कि भार्गव की कर्मस्थली अजमेर ही थी।
भार्गव के साथ वकालत और राजनीति करने वाले अजमेर के मशहूर वकील सत्यकिशोर सक्सेना ने पुरानी यादें ताजा करते हुए मुझे बताया कि जब देश के संविधान बनाने को लेकर मंथन चल रहा था तब भार्गव भी बेहद सक्रिय थे। उस समय संविधान के निर्माण को लेकर अलग-अलग कमेटियां बनाई गई। चूंकि डॉ. अम्बेडकर युवा और अच्छी अंग्रेजी जानने वाले थे इसलिए संविधान की ड्राफ्ट कमेटी का अध्यक्ष उन्हें ही बनाया गया। उस समय भार्गव की गिनती भी तेज तर्रार युवा वकीलों में होती थी। लेकिन भार्गव का यह दुर्भाग्य रहा कि देश की आजादी के समय उनकी आंखों की रोशनी चली गई। स्वतंत्रता आंदोलन में अंग्रेज सरकार ने भार्गव को सेन्ट्रल जेल में बंद कर दिया। तब जेल में चेचक जैसी महामारी फैल गई और समुचित इलाज के अभाव में भार्गव की रोशनी चली गई। लेकिन फिर भी भार्गव की काबिलियत और याददास्त को देखते हुए संविधान सभा का सदस्य बनाया गया। नेत्रहीन भार्गव ने भी बताया कि देश के संविधान में क्या-क्या होना चाहिए। एडवोकेट सक्सेना बताते हैं कि भार्गव की याददास्त जबरदस्त थी। अदालत में पैरवी करने से पहले भार्गव अपने जूनियर वकीलों से सुनते थे और फिर अदालत में जाकर मजिस्ट्रेट को बताते थे कि फाइल के किस पन्ने पर क्या लिखा है और संविधान की किस पुस्तक में कौनसे पृष्ठ पर क्या बात दर्ज है।
तीन बार रहे सांसद:
एडवोकेट सक्सेना ने बताया कि देश में पहली बार 1952 में लोकसभा के चुनाव हुए। इस चुनाव में भार्गव ही सांसद बने। इसके बाद 1959 और 1962 में भी भार्गव ही सांसद चुने गए। 1967 व 71 के चुनावों में भार्गव के भतीजे विश्वेश्वर नाथ भार्गव अजमेर से सांसद बने। चूंकि मुकुट बिहारी लाल भार्गव के अपनी कोई सन्तान नहीं थी इसलिए अपनी बहन के पुत्र सुरेन्द्र नाथ भार्गव को गोद लिया। बाद में वही भार्गव हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश भी बने। सुरेन्द्र नाथ भार्गव इन दिनों जयपुर में निवास करते हैं।
मार्ग के नाम पर हुआ था विवाद:
26 नवम्बर को जिस संविधान पर देश ने गर्व किया, उसी संविधान को बनाने वाले स्व. मुकुट बिहारी लाल भार्गव के नाम पर अजमेर में एक मार्ग उनके नाम करवाने को लेकर विवाद हुआ था। गत कांग्रेस के शासन में अजमेर शहर के कचहरी रोड का नाम स्व. भार्गव के नाम पर रखने का प्रस्ताव नगर निगम की साधारण सभा में रखा गया, लेकिन यह प्रस्ताव दलगत राजनीति की भेंट चढ़ गया। अब जब 26 नवम्बर को संसद में पीएम मोदी ने संविधान बनाने वालों को जबरदस्त मान सम्मान देने की बात कही है तब यह देखना होगा कि क्या अजमेर नगर निगम की साधारण सभा में फिर से इस प्रस्ताव को लाया जाता है? जिन मुकुट बिहारी लाल भार्गव ने सम्पूर्ण देश में अजमेर का गौरव बढ़ाया, उनके नाम पर उनके ही शहर में कम से कम एक मार्ग तो किया जा सकता है।
(एस.पी. मित्तल)
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Friday 27 November 2015

अजमेर में अब न टूटेंगे और न सीज होंगे अवैध निर्माण



27 नवम्बर को अजमेर नगर निगम की साधारण सभा हुई। इस सभा में जो महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया उससे अब शहरी क्षेत्र में अवैध निर्माण न तो टूटेंगे और न ही सीज होंगे। इसके विपरीत पुराने नियमों के तहत सभी अवैध निर्माण को नियमित कर दिया जाएगा। इस निर्णय का असर हाइकोर्ट के उस आदेश पर भी पड़ेगा जिसमें चिन्हित 490 अवैध निर्माणों को तोडऩे अथवा सीज करने के आदेश दिए गए थे। राज्य सरकार ने भवन निर्माण के लिए नये बायलॉज बनाए हैं। इन बायलॉज को लेकर 27 नवम्बर को साधारण सभा आहूत की गई। कांग्रेस और भाजपा के अधिकांश पार्षदों में पहले से ही आपसी सहमति थी इसलिए कोई बड़ा विवाद नहीं हुआ। सभा में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि पुराने शहर में जो भी निर्माण हुए हैं उन सबको पुराने नियमों के तहत ही जुर्माना लेकर नियमित कर दिया जाए। सभा में कहा गया कि सरकार के नये बिल्डिंग बायलॉज अजमेर विकास प्राधिकरण और नगर निगम द्वारा बनाई गई बाहरी क्षेत्र की कॉलोनियों में ही लागू होगी। असल में मेयर धर्मेन्द्र गहलोत का शुरू से ही सकारात्मक रूख था जो भी निर्माण हो गए हैं उन्हें कोई रास्ता निकाल कर नियमित कर दिया जाए। इसके दो फायदे होंगे एक निगम की आय बढ़ेगी और दूसरा किसी को भी नुकसान नहीं होगा। चूंकि कांग्रेस के पिछले बोर्ड ने अनेक कारणों से नक्शे स्वीकृत नहीं हुए इसलिए बिना मंजूरी के ही निर्माण हो गए। अब ऐसे निर्माणों को ही अवैध माना जा रहा है। गहलोत का यह भी मानना रहा कि लोगों ने निर्माण अपनी खरीदशुदा जमीन पर ही किए हैं।
नहीं आए सुझाव:
नये बिल्डिंग बायलॉज को लेकर पार्षदों और जागरूक लोगों से सुझाव मांगे गए थे। लेकिन एक भी पार्षद ने लिखित में सुझाव नहीं दिए। जागरूक लोगों के नाम पर सिर्फ एक व्यवसायी टोपनदास ने ही सुझाव दिए।
भाजपा पार्षद ने जताई नाराजगी:
मात्र एक पुराने नक्शे के आधार पर चार दीवारी क्षेत्र के दायरे को बढ़ाने पर भाजपा के पार्षद नीरज जैन ने कड़ी आपत्ति की। जैन ने आरोप लगाया कि चार दीवारी और गैर चार दीवारी क्षेत्र में शहर को विभाजित कर भेदभाव किया जा रहा है। इस निर्णय से दरगाह बाजार, नया बाजार, नला बाजार, धानमंडी, डिग्गी बाजार, मदार गेट, देहली गेट, आगरा गेट आदि क्षेत्र के अवैध निर्माण तो नियमित हो जाएंगे, जबकि बाहरी क्षेत्र में हुए निर्माण नियमित नहीं होंगे। निगम को अवैध निर्माणों को लेकर एक समान नीति बनानी चाहिए। जैन ने अपनी ही पार्टी के बहुमत वाले बोर्ड पर आरोप लगाया कि इस निर्णय से प्रभावशाली लोगों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। जैन ने कहा कि सभी हिस्सों में एक ही नियम लागू होना चाहिए। उन्होंने कहा कि मेरे सुझाव को शामिल करके प्रस्ताव को पास करना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि बजरंगगढ़ से लेकर वैशाली नगर तक अवैध निर्माणों की भरमार है। जिसका मुख्य कारण नगर निगम के अधिकारी है। उन्होंने कहा कि आना सागर के संरक्षित क्षेत्र में लगातार निर्माण का कार्य हो रहे हैं और निगम के अधिकारी कोई कार्यवाही नहीं कर रहे। उन्होंने कहा कि अधिकारियों की लापरवाही के कारण लाईट व सफाई व्यवस्था चौपट हो गई। जिसके कारण जनआक्रोश बढ़ रहा है। उन्होंने ने कहा कि मुख्यमंत्री के दौरे के दौरान ठेकेदारों ने गैर जिम्मेदाराना रवैया रखा। जिस पर मुख्यमंत्री ने नाराजगी जताई। 
भाजपा के वरिष्ठ पार्षद भागीरथ जोशी ने निगम में एकल खिड़की पर नक्शे पास करने  के दौरान हो रही गड़बडिय़ों पर नाराजगी जताते हुए कहा कि आम आदमी तो अपने घर का नक्शा पास कराने के लिए निगम कार्यालय में भटकता रहता है और रसूकदारों के नक्शे नियमों को ताक में रख कर पास कर दिए जाते हैं। उन्होंने खसरा संख्या 4844 में कृषि भूमि होने के बावजूद 17 नवम्बर को एक साथ दस नक्शे पास होने की जानकारी मेयर को दी। इस पर मेयर ने जांच कराने का आश्वासन दिया। 
यह हैं नये चारदीवारी क्षेत्र:
चारदीवारी क्षेत्र के अनुसार पूर्व में परकोटे से घिरे हुए क्षेत्र को माना जाता था, जबकि मेरवाड़ा  म्यूनिसिपल रेग्यूलेशन के अंतर्गत सीमाओं का निर्धारण कियागया था, जिसमें पश्चिमी सीमा जिसमें तारागढ़ से बाबूगढ़ पहाड़ी तथा दौलत बाग जिसे की वर्तमान में सुभाष उद्यान के नाम से जाना जाता है। उत्तर सीमा में  केसरबाग रोड वर्तमान में जवाहर लाल नेहरू अस्पताल के सामने वाला क्षेत्र से माल रोड वर्तमान में इंडियान मोटर सर्किल चौराहा। पूर्व सीमा में कचहरी रोड से ब्यावर इंपोरियल रोड वर्तमान में गर्वमेंट कॉलेज। दक्षिण सीमा में रेलवे अस्पताल के सामने वाली सड़क चांदमारी तथा इस्लाम गंज व वर्तमान के रामगंज क्षेत्र से तारागढ़ को जाने वाली सड़क। 
इन सीमाओं में आने वाले क्षेत्र को चारदीवारी क्षेत्र माना जाएगा। पूर्व में इन्हीं सीमाओं में बसे शहर को परकोटा क्षेत्र माना जाता था, लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में नगर निगम द्वारा नक्शों को पास करने के लिए शहर के देहली गेट, मदार गेट, ऊसरी गेट, आगरा गेट व त्रिपोलिया गेट के क्षेत्रों को ही परकोटा क्षेत्र माना जाता था। नए नियमों में संशोधन के बाद इन सीमाओं में आने वाले सभी वार्ड परकोटे में शामिल होंगे तथा इन क्षेत्रों में बिल्डिंग बायलॉज लागू नहीं होंगे। महापौर गहलोत ने परकोटे क्षेत्र में भी शीघ्र ही नए नियम लागू करने के लिए साधारण सभा बुलाने का प्रस्ताव भी रखा है। (एस.पी. मित्तल)
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बड़े स्टील पाट्र्स बनाने की फैक्ट्री का शुभारंभ



27 नवंबर को अजमेर के माखुपुरा-परबतपुरा औद्योगिक क्षेत्र में बड़े स्टील पाट्र्स बनाने की एक फैक्ट्री का शुभारम्भ हुआ। फैक्ट्री के मालिक उद्योगपति मोहन भूप ने बताया कि उनके बेटे हर्षित ने आईआईटी की पढ़ाई पूरी कर ली है। बेटे को किसी महानगर या विदेश में भेजने के बजाए उन्होंने अपने ही शहर में फैक्ट्री लगाने का निर्णय लिया है। इस काम में उनका दूसरा बेटा इंजीनियर सिद्धार्थ सहयोग करेगा। औद्योगिक क्षेत्र के करीब दस हजार वर्गमीटर भूमि पर श्रेष्ठ अलोए प्राईवेट लिमिटेड के अन्तर्गत फैक्ट्री लगाई गई है। सीमेन्ट, रोलिंग मिल एवं अन्य बड़ी औद्योगिक इकाइयों में काम आने वाले स्टील के पाट्र्स हमारी फैक्ट्री में बनाए जाएंगे। चूंकि दोनों बेटे इंजीनियर हैं इसलिए नए पाट्र्स बनाने का अनुसंधान भी करेंगे। अनुसंधान के बाद नए पाट्र्स बनने से बड़े कारखानों की उत्पादन लागत में कमी आएगी। अगले कुछ ही दिनों में नवनिर्मित फैक्ट्री में उत्पादन शुरू हो जाएगा।
(एस.पी. मित्तल)
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ब्यावर में हो रही है भाजपा की जग हंसाई। प्रदेश नेतृत्व खामोश क्यों



मुंह को मिठास देने वाली ब्यावर की तिलपट्टी गजक पूरे देश में मशहूर है और अब जब सर्दी के मौसम में मीठा मुंह होने की बारी आ रही है तो सत्तारूढ़ भाजपा के कार्यकर्ताओं और नेताओं के मुंह का स्वाद कड़वा हो गया है। राजस्थान में ब्यावर की जुझारू शहरों में गिनती होती है। यहां के लोग इतने जागरूक हैं कि पानी को लेकर भी कफ्र्यू लगवा लेते हैं। राजनीतिक दल भाजपा का हो या कांग्रेस का, ब्यावर की राजनीति दोनों ही दलों के प्रदेश नेतृत्व को हमेशा मुंह चिढ़ाती रही है। जब जो दल सत्ता में होता है उसकी राजनीति तो ब्यावर में कुछ ज्यादा ही गर्म होती है। ऐसा ही अब भाजपा में हो रहा है। ब्यावर की जनता ने तो विकास की उम्मीद में नगर परिषद से लेकर केन्द्र सरकार तक भाजपा की कड़ी से कड़ी जोड़ दी है, लेकिन ब्यावर की जनता का यह दुर्भाग्य है कि भाजपा के लोग ही उस कड़ी के टुकड़े-टुकड़े कर रहे हैं। यही वजह है कि न तो नगर परिषद में न राज्य सरकार में और न केन्द्र में सरकार होने से कोई लाभ मिल रहा है। भाजपा के मंडल अध्यक्ष का पद तो तमाशा बन गया है। ब्यावर के लोगों के यह समझ में ही नहीं आ रहा कि आखिर सत्तारूढ़ पार्टी का अध्यक्ष है कौन। क्षेत्रीय विधायक शंकर सिंह रावत के समर्थक जयकिशन बल्दुआ को अध्यक्ष मानते हैं तो पूर्व विधायक देवीशंकर भूतड़ा के समर्थक मुरली तिलोकानी को। अध्यक्ष को लेकर जो भ्रम की स्थिति है उस पर भाजपा का प्रदेश नेतृत्व खामोश है। हालांकि क्षेत्रीय सांसद हरिओम सिंह राठौड़ प्रदेश के महामंत्री भी हैं, लेकिन राठौड़ भी ब्यावर के  झगड़ालू नेताओं के बीच उलझना नहीं चाहते। इसलिए राठौड़ कभी विधायक रावत के साथ खड़े नजर आते हैं तो कभी भूतड़ा-तिलोकानी के साथ। विधायक का कहना है कि बल्दुआ का निर्वाचन विधिवत तरीके से हुआ है, लेकिन वहीं तिलोकानी-भूतड़ा गुट का कहना है कि चुनाव में फर्जीवाड़ा हुआ था। प्रदेश नेतृत्व कभी कहता है कि बल्दुआ के निर्वाचन पर स्टे है और कभी कहता है कि जांच के बाद चुनाव की प्रक्रिया को सही माना गया है। लेकिन प्रदेश नेतृत्व स्पष्ट तौर पर कुछ नहीं कह रहा। भाजपा के जिला अध्यक्ष बीपी सारस्वत की पटरी विधायक रावत से नहीं बैठती है इसलिए यह माना जा रहा है कि सारस्वत का झुकाव भूतड़ा-तिलोकानी गुट की तरफ है, लेकिन वहीं सारस्वत अपनी निष्पक्षता को भी बनाए रखे हुए हैं। पिछले दिनों सारस्वत को दोबारा से देहात का अध्यक्ष चुना गया, लेकिन तब विधायक रावत ने खुली खिलाफत की थी। अकेले रावत ही ऐसे विधायक थे जो सारस्वत के चुनाव के समय बैठक में उपस्थित नहीं हुए। हालांकि इसके बाद भी सारस्वत ने रावत का कोई विरोध नहीं किया, लेकिन वर्तमान में ब्यावर के जो हालात हैं उससे सारस्वत भी दूर ही रहना चाहते हैं। असल में ब्यावर विधानसभा क्षेत्र ग्रामीण और शहरी भाग में विभाजित है। रावत लगातार दूसरी बार ग्रामीण क्षेत्र के रावत मतदाताओं के बल पर विधायक बने। रावत को हराने के लिए ब्यावर के मतदाताओं ने कोई कसर नहीं छोड़ी थी। खुद देवीशंकर भूतड़ा ने बागी होकर रावत के सामने चुनाव लड़ा। भले ही भूतड़ा को पार्टी ने निष्कासित कर दिया हो, लेकिन शहरी कार्यकर्ताओं में आज भी भूतड़ा की पकड़ है। अब चूंकि भूतड़ा निष्कासित हैं इसलिए विधायक रावत शहर में भी अपने पैर जमाना चाहते हैं। पहले रावत ने नगर परिषद की सभापति अपनी समर्थक बबीता चौहान को बनवा दिया और अब ब्यावर शहर के ही जयकिशन बल्दुआ को अध्यक्ष बनवाने के लिए प्रयासरत हैं। विधायक रावत के शहर में बढ़ते प्रभाव की वजह से ही शहरी कार्यकर्ता एकजुट हो रहे हैं। टिकिट बंटवारे के समय भी शहरी और ग्रामीण उम्मीदवार को लेकर खींचतान होती है। कभी शहर के तो कभी ग्रामीण क्षेत्र के कार्यकर्ता को उम्मीदवार बना दिया जाता है, इसे राजनीति का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि भले ही पार्टी एक हो, लेकिन कार्यकर्ता शहर और देहात में बंटे हुए हैं। देखना है कि भाजपा का प्रदेश नेतृत्व ब्यावर के संकट को किस प्रकार से हल करता है। फिलहाल प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव तक मामले को टाल दिया गया है। फिलहाल जो आभार नजर आ रहे हैं उसमें विधायक रावत की ही जीत दिख रही है।

(एस.पी. मित्तल)
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Thursday 26 November 2015

राजस्थान भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनामी ने की गुपचुप दरगाह जियारत।



आमतौर पर कोई भी बड़ा राजनेता जब अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में जियारत के लिए आता है, तो व्यापक प्रचार प्रसार होता है। चैनलों और अखबारों के केमरामैनों को पहले ही सूचना भिजवा दी जाती है, लेकिन 26 नवम्बर को राजस्थान भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनामी ने गुपचुप तरीके से यहां ख्वाजा साहब की दरगाह की जियारत की। जियारत को इतना गुप्त रखा गया कि मीडिया के किसी भी साथी को जानकारी नहीं मिली। आमतौर पर दरगाह के अंदर बाहर फोटोग्राफर और केमरामैन खड़े ही रहते हैं, लेकिन ऐसे मीडियाकर्मी भी परनामी की जियारत के चित्र नहीं ले सके। परनामी के अजमेर से चले जाने के बाद भाजपा के चुनिंदा नेताओं ने जियारत की जानकारी को लीक किया। अब मीडिया में जो फोटो आए हैं, वह भी भाजपा नेताओं के मोबाइल फोन से खींचे गए हैं। राजनीतिक क्षेत्रों में इस बात की चर्चा है कि आखिर परनामी ने अपनी दरगाह जियारत को गुप्त क्यों रखा? क्या कोई मन्नत पूरी होने पर वायदे के मुताबिक परनामी जियारत के लिए दरगाह आए? प्रदेश और देश के ताजा हालातों में तो भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष की दरगाह जियारत का ज्यादा ही प्रचार प्रसार होना चाहिए था। जब कुछ फिल्मी कलाकार देश में असहिष्णुता का मुद्दा उठा रहे हैं, तब परनामी की जियारत का खास महत्त्व है। 23 नवम्बर को ही प्रदेश की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भी दरगाह जियारत की थी और तब यही दिखाने की कोशिश की गई कि भाजपा की सरकार में साम्प्रदायिक सद्भावना का माहौल है। सीएम की दरगाह जियारत को व्यापक प्रचार प्रचार भी मिला। 
तीन नेताओं को सूचना:
परनामी ने अजमेर आने की सूचना देहात भाजपा के अध्यक्ष बी.पी.सारस्वत को दी। सारस्वत ने ही नगर निगम के मेयर धर्मेन्द्र गहलोत और शहर भाजपा के अध्यक्ष अरविंद यादव को जियारत के समय दरगाह पर बुलाया। जियारत के बाद परनामी ने भाजपा के वरिष्ठ नेता कंवल प्रकाश किशनानी के स्वामी रेस्टोरेंट में नाश्ता भी किया। परनामी ने प्रात: 10 बजे ही दरगाह जियारत कर ली। परनामी की नाती यहां मेया गल्र्स स्कूल में अध्ययन करती है। 

(एस.पी. मित्तल)
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शराबबंदी पर नीतीश कुमार से प्रेरणा ले वसुंधरा राजे।



बिहार के गत चुनावों में नितीश कुमार ने वायदा किया था कि सीएम बनने पर प्रदेश में पूर्ण शराबबंदी कर दी जाएगी। 26 नवम्बर को नीतीश कुमार ने अपना वायदा निभाते हुए आगामी 1 अप्रैल 2016 से सम्पूर्ण बिहार में शराब की बिक्री पर रोक लगाने की घोषणा कर दी है। सब जानते हैं कि राजस्थान के मुकाबले बिहार पिछड़ा हुआ प्रदेश है। ऐसे में सवाल उठता है कि जब बिहार में पूर्ण शराबबंदी हो सकती है तो राजस्थान में क्यों नहीं? क्या राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे बिहार के सीएम नीतीश कुमार से कोई प्रेरणा लेंगी? राजस्थान में तो पूर्व विधायक गुरुशरण छाबड़ा ने शराब बंदी की मांग को लेकर अपनी जान भी दे दी और इन दिनों उनकी पुत्रवधु पूजा छाबड़ा जयपुर में अनशन कर रही हैं। यह माना कि सरकार को शराब की बिक्री से मोटी कमाई होती है, लेकिन जब पिछड़ा हुआ बिहार कमाई का मोह छोड़कर शराब बंदी लागू कर सकता है तो फिर राजस्थान जैसा विकासशील प्रदेश क्यों नहीं कर सकता? यह तर्क बेमानी है कि शराब बंदी के बाद भी अवैध रूप से शराब की बिक्री होती है। गुजरात में शराब बंदी है और वहां अवैध शराब भी बिक रही है, लेकिन इसके बावजूद भी बिहार जैसे प्रदेश ने शराब बंदी की घोषणा की है। यानि शराब बंदी के फायदे ज्यादा है। शराब से भले ही सरकार को आय होती है। लेकिन इसकी बिक्री से जो सामाजिक बुराई होती है, उससे परिवार के परिवार बर्बाद हो जाते हैं। परिवार में शराब एक व्यक्ति पीता है, लेकिन बुराइयों का खामियाजा परिवार के सभी सदस्यों को उठाना पड़ता है। सीएम वसुंधरा राजे परिवार की उस महिला से पीड़ा जाने तो स्वयं शराब न पीती हो। हालांकि उच्च वर्ग में महिलाएं भी शराब का सेवन करने लगी हैं, इसलिए वसुंधरा राजे को ऐसी किसी महिला से राय नहीं लेनी चाहिए जो स्वयं शराब का सेवन करती हो। मध्यमवर्गीय परिवार का मुखिया जब रोज शराब पीकर घर आता है तो सबसे ज्यादा पीड़ा उसकी पत्नी और बेटियों को होती है। वसुंधरा राजे स्वयं एक महिला हैं, इसलिए महिला का दर्द आसानी से समझ सकती हैं।

(एस.पी. मित्तल)
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गायों की मौत पर निगम अफसरों के मुंह पर कालिख पोती।



अजमेर नगर निगम पर भाजपा का कब्जा है, लेकिन इसके बावजूद भी विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकर्ताओं ने कांजी हाऊस में गायों की मौत के विरोध में निगम के स्वास्थ्य अधिकारी सत्यनारायण शर्मा और राजस्व अधिकारी भगवान बच्चानी  के मुंह पर कालिख पोत दी। हुआ यंू कि 26 नवम्बर को विहिप के नगर प्रमुख लेखराज सिंह राठौड़ को जानकारी मिली की नगर निगम के माकड़वाली रोड स्थित कांजी हाऊस में 10 गायों की मौत हो गई है। जानकारी के मिलते ही राठौड़ और विहिप के कार्यकर्ता कांजी हाऊस पहुंच गए और मौके पर ही दोनों अधिकारियों को बुला लिया। हालांकि अधिकारियों ने सफाई देने की कोशिश की, लेकिन गुस्साए कार्यकर्ताओं ने एक नहीं सुनी और दोनों अधिकारियों के मुंह पर कालिख पोत दी। दोनों अधिकारियों ने कालिख पोतने का विरोध भी नहीं किया। नगर निगम के मेयर धर्मेन्द्र गहलोत ने निगम अधिकारियों के मुंह पर कालिख पोतने की घटना की निंदा की है। उन्होंने कहा कि यदि गायों की सार संभाल में कोई लापरवाही बरती गई है तो उसे दूर किया जाएगा। उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति को कानून अपने हाथ में लेने का अधिकार नहीं है। विहिप के कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि भूख की वजह से गायों की मौत हुई है, जबकि स्वास्थ्य अधिकारी शर्मा ने कहा कि गायों की मौत के कारणों का पता लगाया जाएगा। 
वहीं राजस्व अधिकारी बच्चानी ने मुंह काला करने वाले अज्ञात लोगों के विरुद्ध पुलिस में मामला दर्ज करवाया है। इसके साथ ही मेयर गहलोत ने उपायुक्त गजेन्द्र सिंह रलावता को जांच अधिकारी नियुक्त कर तीन दिन में रिपोर्ट देने को कहा है। गहलोत ने कहा कि कई बार सांड और छोटी गाए आपस में झगड़ते हैं, जिसकी वजह से भी गायों की मौत हो जाती है। सांडों को अलग रखने के लिए 43 लाख रुपए की लागत से टीन शेड का निर्माण करवाया जा रहा है। 

(एस.पी. मित्तल)
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Wednesday 25 November 2015

क्या सीएम ने बनवाया देवनानी और भदेल को पुष्कर मेले के समापन समारोह का मेहमान।



25 नवम्बर को अंतर्राष्ट्रीय पुष्कर मेले का समापन समारोह उत्साह और उमंग के साथ सम्पन्न हुआ। इस समारोह के मुख्य अतिथि स्कूली शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी रहे, जबकि अध्यक्षता महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री श्रीमती अनिता भदेल ने की। देवनानी और भदेल अजमेर शहर से ही भाजपा के विधायक हैं। लेकिन दोनों में जो राजनीतिक खींचतान है, उसकी वजह से अजमेर में होने वाले किसी भी सरकारी समारोह में दोनों मंत्री एक साथ उपस्थित नहीं रहते हैं। जिस समारोह में देवनानी को मुख्य अतिथि बनाया जाता है, उस समारोह में भाग लेने के लिए अनिता भदेल इंकार कर देती हैं। इसी प्रकार जिस समारोह में भदेल को बुलाया जाता है, उसमें देवनानी उपस्थित नहीं होते। इस राजनीतिक लड़ाई के बारे में जिला प्रशासन के अधिकारियों और भाजपा के छोटे से छोटे कार्यकर्ता को भी पता है। इसी लिए 25 नवम्बर को जब पुष्कर मेले के समापन समारोह में दोनों मंत्रियों को एक साथ देखा गया, तो प्रशासनिक और राजनीतिक क्षेत्रों में अनेक सवाल उठने लगे। जानकारों की माने तो दोनों मंत्रियों को एक साथ उपस्थित करवाने में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की आदेशात्मक भूमिका रही है। सीएम राजे 22 और 23 नवम्बर को पुष्कर में ही थीं और मेले के अनेक कार्यक्रमों में भाग लिया। इसी दौरान जिला कलेक्टर डॉ. आरुषि मलिक से मेले के अन्य आयोजनों के बारे में भी सीएम ने विचार विमर्श किया। इस विचार विमर्श में ही कलेक्टर से कहा गया कि समापन समारोह में देवनानी और भदेल दोनों को ही बुलाया जाए। चूंकि सीएम का इशारा था, इसलिए न चाहते हुए भी देवनानी और भदेल 25 नवम्बर को पुष्कर मेले के समापन समारोह में उपस्थित रहे। 
आखिर में आईं कलेक्टर:
सीएम वसुंधरा राजे ने अपने 22 और 23 नवम्बर के अजमेर पुष्कर दौरे में जिस प्रकार कलेक्टर मलिक को प्राथमिकता दी, उसी का नतीजा रहा कि 25 नवम्बर को समापन समारोह में कलेक्टर मलिक आखिर में आईं। दोनों मंत्रियों और अन्य जनप्रतिनिधियों के आ जाने और आधा समारोह पूरा हो जाने के बाद कलेक्टर मलिक उपस्थित हुईं। 
विधायक बनना चाहते थे मुख्य अतिथि:
सीएम राजे ने अपने दौरे में पुष्कर के क्षेत्रीय भाजपा विधायक सुरेश सिंह रावत को भी मान सम्मान दिया। सीएम से निकटता की वजह से ही विधायक रावत समापन समारोह का मुख्य अतिथि बनने के इच्छुक थे। लेकिन देवनानी और भदेल की वजह से रावत की यह इच्छा पूरी नहीं हो सकी। अलबत्ता इस बार पुष्कर मेले के शुभारंभ का झंडा रोहण विधायक रावत ने ही किया था। 

(एस.पी. मित्तल)
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अब असहिष्णुता के बहाने नहीं चलने दी जाएगी संसद।



ए.आर.रहमान ने भी डाला आग में घी।
संसद का शीतकालीन सत्र 26 नवम्बर से शुरू हो रहा है, लेकिन नई दिल्ली में जो हालात दिख रहे है उससे प्रतीत होता है कि यह सत्र असहिष्णुता की भेंट चढ़ जाएगा। पिछला मानसून सत्र भी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे के इस्तीफे की मांग को लेकर हंगामे की भेंट चढ़ गया था। हालांकि 25 नवम्बर को पीएम नरेन्द्र मोदी ने सर्वदलीय बैठक बुलाकर समझाने का प्रयास किया है,लेकिन असहिष्णुता राजनीतिक नजरिए से दिखाई जा रही है इसलिए पीएम के प्रयास भी विफल ही साबित होंगे। कांग्रेस के शासन में विदेश मंत्री रहे सलमान खुर्शीद पाकिस्तान जाकर यह कह आए है कि जब तक भारत में नरेन्द्र मोदी पीएम हैं तब तक दोनों देशों के संबंध सुधर नहीं सकते। अब कांग्रेस सहित कुछ दलों को भी यह लगता है कि मोदी के पीएम बनने से ही देश में असहिष्णुता का माहौल बना है। देश के जागरूक दर्शकों और पाठकों को याद होगा कि मानसून सत्र में सुषमा और वसुंधरा वाले मामले में कांग्रेस के नेताओं ने तो लोकसभा में अपना पक्ष रख दिया, लेकिन सुषमा के बोलने की बारी आई तो सदन में हंगामा शुरू कर दिया गया। शीतकालीन सत्र में भी कांग्रेस असहिष्णुता के मामले में तो अपना पक्ष रख देगी, लेकिन जब मोदी सरकार के जवाब देने का समय आएगा तो सदन में हंगामा कर दिया जाएगा। हंगामें के कारण सदन को बार-बार स्थगित करना पड़ेगा। कांग्रेस और विपक्षी दलों को इस बात से कोई मतलब नहीं है कि देशहित में जीएसटी जैसे बिल को पास करवाना है। यदि देश में असहिष्णुता का माहौल है तो क्या इस माहौल को सुधारने की जिम्मेदारी विपक्षी दलों की नहीं है? कुछ लोग असहिष्णुता की आड़ में देश की एकता और अखंडता से खेल रहे है। देश में साम्प्रदायिकता की जो आग लगाई जा रही है,उसकी भाजपा को ही नहीं बल्कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों को भी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। 25 नवम्बर को भी कश्मीर के कुपवाड़ा के निकट आतंकियों ने सैन्य कैम्प पर हमला किया। शायद ही कोई दिन हो जब भारत पर आतंकी हमला न हो। कांग्रेस यह बताए कि आतंकी हमले कौन कर रहा है। जो लोग हमले के जिम्मेदार है उन्हें कठघरे में खड़ा करने के बजाए कांग्रेस के नेता उन्हीं की हिमायत करने में लगे हुए हैं। कांग्रेस के नेताओं का मानना है कि नरेन्द्र मोदी के हट जाने से देश में असहिष्णुता खत्म हो जाएगी। हालांकि मोदी के हटने के बाद देश के हालात क्या होंगे यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन इस देश पर 50-55 वर्षो तक कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों का शासन रहा। कांग्रेस ने जिस तरीके से शासन चलाया उसी का परिणाम है कि आज छोटी-छोटी बातों को लेकर देश के हर क्षेत्र में साम्प्रदायिक तनाव हो जाता है। कश्मीर में तो सिर्फ मुसलमान ही रह सकते है। कांग्रेस व उसके सहयोगी दल नरेन्द्र मोदी के रहते भले ही संसद को न चलने दे, लेकिन ऐसा कोई काम न करें, जिसकी वजह से देश ही न चल पाए।
ए.आर.रहमान :
पहले शाहरूख खान फिर आमिर खान और अब संगीतकर ए.आर.रहमान ने देश के माहौल को असंवेदनशील माना है। रहमान ने कहा है कि जिन हालातों का सामना आमिर खान के परिवार को करना पड़ा, वैसा ही सामना उन्होंने भी किया है। यानि अब ए.आर.रहमान को भी भारत में रहने में डर लगने लगा है। रहमान आज कामयाबी के जिस मुकाम पर खड़े हैं, उसके पीछे भारतीय नागरिकों की प्रशंसा ही है। सब जानते है कि रहमान की अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के प्रति गहरी अकीदत है। इस अकीदत की वजह से ही रहमान ने अजमेर के कुंदन नगर क्षेत्र में एक आलीशान बंगला भी खरीदा है। रहमान जब भी जियारत के लिए अजमेर आते हैं, तब इसी बंगले में ठहरते हैं। सब जानते है कि ख्वाजा साहब ने सूफीवाद को आगे बढ़ाया था। खुद पीएम मोदी ने भी हाल ही में कहा है कि सूफीवाद की भारत में खास भूमिका है। सूफीवाद से ही कट्टरपंथियों और आतंकवादियों का मुकाबला किया जा सकता है। ऐसे में ए.आर.रहमान से यह उम्मीद की जाती है कि वे सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के सिद्धांतों को आगे बढ़ाएं। यदि शाहरूख खान आमिर खान की तरह ही ए.आर.रहमान को भी देश के हालात खराब नजर आते है तो इन हालातों को ख्वाजा साहब के सूफीवाद से ठीक करने की जिम्मेदारी भी रहमान की ही है, लेकिन रहमान ने तो आग में घी डालने वाला काम किया है। शाहरूख खान, आमिर खान और ए.आर.रहमान जैसे कामयाब कलाकार भी अपनी मातृभूमि के खिलाफ बोलेंगे तो फिर सूफीवाद का क्या होगा?

(एस.पी. मित्तल)
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Tuesday 24 November 2015

मित्तल अस्पताल के खिलाफ व्यापार संघ कराएंगे अजमेर बंद



अजमेर। अजमेर में पुष्कर रोड स्थित मित्तल अस्पताल के लालची, लापरवाह और ज्यादती पूर्ण रवैये के विरोध में व्यापार महासंघ अजमेर बंद करवाएगा। 24 नवम्बर को व्यापार महासंघ के बैनर तले एक बैठक हुई। इस बैठक में शिवसेना, करणी सेना आदि संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया। बैठक के बाद महासंघ के अध्यक्ष मोहनलाल शर्मा और महासचिव रमेश लालवानी ने आरोप लगाया कि बीके कौल नगर निवासी नरेन्द्र कोचर की मौत मित्तल अस्पताल ने लालची लापरवाह और ज्यादती पूर्ण तरीके की वजह से हुई है। यदि इस मामले में अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई तो अजमेर बंद करवाया जाएगा। मृतक कोचर के परिवार को महासंघ का पूर्ण समर्थन है। मृतक के भाई जसवीर सिंह ने बताया कि उनके पास अस्पताल के प्रबंधन और डॉ. के बीच की वार्ता का टेप है जिससे यह पता चलता हैकि 18 नवंबर को हार्ट सर्जरी के दिन ही कोचर के इंफेक्शन हो गया था। इंफेक्शन की वजह ही मौत का कारण बनी। लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने मौत की बात को छिपाए रखा। किसी भी परिवार को वेंटिलेटर वाले आईसीयू में जाने भी नहीं दिया। इस बीच अस्पताल प्रबंधन आईसीयू वेंटिलेटर आदि शुल्क रोजाना जबरन वसूलता रहा। 21 नवंबर को जब हमारे एक परिचित डॉ. ने आईसीयू में जाकर देखा तो पता चला कि कोचर की मौत हो चुकी है। जसवीर ने आरोप लगाया कि मौत के बाद भी उनके भाई को वेंटिलेटर पर रखा गया। उन्होंने कहा कि हमारी इस पीड़ा से शहर भर के लोगों में रोष व्याप्त है। बैठक में करणी सेना शिवसेना आदि के प्रतिनिधियों ने जन आंदोलन करने की चेतावनी दी।
(एस.पी. मित्तल)
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बीपीएल पार्टी, युवा कांग्रेसी और सिख समुदाय मित्तल अस्पताल के खिलाफ उतरे।



प्राइवेट अस्पतालों के डॉक्टर आए समर्थन में
अजमेर के पुष्कर रोड स्थित 100 पलंग वाले मित्तल अस्पताल के खिलाफ सिख समुदाय, बीपीएल पार्टी और युवक कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने मोर्चा खोल दिया है, वहीं प्राइवेट मेडिकल प्रेक्टिसनर्स सोसायटी के बैनर तले डॉक्टर मित्तल अस्पताल के समर्थन में भी सामने आए हैं। 24 नवम्बर को कांग्रेस के युवा कार्यकर्ताओं ने कलेक्ट्रेट पर मित्तल अस्पताल के खिलाफ प्रदर्शन किया तो वहीं सिख समुदाय ने चेतावनी दी है कि यदि अस्पताल के प्रबंधन और दोषी चिकित्सकों के खिलाफ सख्त कार्यवाही नहीं की गई तो उग्र आंदेालन किया जाएगा। मालूम हो कि गत 21 नवम्बर को हार्ट सर्जरी के बाद नरेन्द्र सिंह कोचर नामक मरीज की मौत मित्तल अस्पताल में हो गई थी। कोचर के परिजन की नाराजगी को देखते हुए पुलिस ने अस्पताल के डॉक्टर प्रदीप पोखरणा को शांतिभंग करने के आरोप में गिरफ्तार किया। पुलिस ने मित्तल अस्पताल के प्रबंधन के खिलाफ जो एफआईआर दर्ज की है और जिस तरह डॉ. पोखरणा को गिरफ्तार किया, उसके विरोध में 24 नवम्बर को प्राइवेट अस्पतालों के डॉक्टर यहां आजाद पार्क पर एकत्रित हुए और रैली निकालकर कलेक्ट्रेट पर पहुंचे, चूंकि पुष्कर मेले का सार्वजनिक अवकाश था, इसलिए डॉक्टरों ने सोसायटी का ज्ञापन कलेक्ट्रेट के एक सेवानिवृत्त कर्मचारी को दिया। इस ज्ञापन में कहा गया कि कोचर की मौत के बाद 21 नवम्बर को परिजन ने मित्तल अस्पताल में हंगामा कर चिकित्सकों को जान से मारने की धमकी दी। पुलिस को हंगामा करने वालों के खिलाफ कार्यवाही करनी चाहिए थी, लेकिन पुलिस ने उल्टे अस्पताल के चिकित्सकों को ही गिरफ्तार कर लिया। ज्ञापन में कहा गया कि परिजन के व्यवहार की वजह से मित्तल अस्पताल के चिकित्सकों का काम करना मुश्किल हो रहा है। इस समय अजमेर में चिकित्सकों में दहशत का माहौल है। ऐसे माहौल में काम करना बेहद मुश्किल हो रहा है। 
नहीं मिला पूरा समर्थन:
मित्तल अस्पताल के प्रबंधन को प्राइवेट मेडिकल प्रेक्टिसनर्स सोसायटी से जुड़े प्राइवेट अस्पतालों के चिकित्सकों का पूरा समर्थन नहीं मिला। सोसायटी के आह्वान के बाद भी अनेक प्राइवेट अस्पतालों में मंगलवार को सामान्य दिनों की तरह कामकाज हुआ। श्रीनगर रोड स्थित प्राइवेट अस्पताल प्रमुख डॉ. विनीत कुमार गर्ग ने सोसायटी के कदम को ही गलत बताया है। डॉ. गर्ग ने कहा कि यह विवाद मित्तल अस्पताल के प्रबंधन और मतक मरीज के परिजन के बीच का है। इससे दूसरे प्राइवेट अस्पतालों के चिकित्सकों को नहंी उलझना चाहिए। सोसायटी के दो-चार पदाधिकारियों ने ही अपने स्तर पर मित्तल अस्पताल का समर्थन करने का निर्णय ले लिया। पदाधिकारियों को इसके लिए सोसायटी की साधारण सभा आयोजित करनी चाहिए थी। मरीजों के नाराज परिजन इस तरह के हंगामे करते रहते हैं, लेकिन सोसायटी ने अन्य मामलों में ऐसी कार्यवाही नहीं की है। 
युवक कांग्रेस का प्रदर्शन:
युवक कांग्रेस के दक्षिण विधानसभा क्षेत्र के अध्यक्ष लोकेश शर्मा के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया। बाद में प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के नाम दिए गए ज्ञापन में मांग की गई कि मित्तल अस्पताल में 21 नवम्बर को जिस प्रकार हृदय रोगी नरेन्द्र पाल सिंह कोचर की मौत हुई, उसकी उच्चस्तरीय जांच करवाई जाए। साथ ही स्व. घीसीबाई चेरिटेबल ट्रस्ट द्वारा संचालित मित्तल अस्पताल एवं रिसर्च सेंटर के कामकाज की न्यायिक जांच करवाई जाए। सरकार ने चेरिटेबल ट्रस्ट की वजह से इस अस्पताल को रियायती दर पर जमीन का आवंटन किया था। नियमों के तहत अस्पताल में गरीबों का नि:शुल्क इलाज होना चाहिए, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ऐसा नहीं करता है। अस्पताल का उद्देश्य सिर्फ धन अर्जित करना है। 
आईजी को देंगे ज्ञापन
मित्तल अस्पताल में नरेन्द्र पाल सिंह कोचर की मौत के मामले में सिख समुदाय के प्रतिनिधि बुधवार को रेंज की आईजी श्रीमती मालिनी अग्रवाल को ज्ञापन देंगे। सिख प्रतिनिधियों की एक बैठक गंज स्थित गुरुद्वारे में हुई। पूर्व पार्षद अमोलक सिंह छाबड़ा ने बैठक में कहा कि मित्तल अस्पताल की लापरवाही की वजह से हार्ट ऑपरेशन के दौरान कोचर की मौत हुई और उसके बाद बेवजह कोचर को वेंटीलेटर पर रखा गया। इस मामले में अस्पताल प्रबंधन और दोषी चिकित्सकों की शीघ्र गिरफ्तारी होनी चाहिए। छाबड़ा ने कहा कि पुलिस पर बेवजह दबाव बनाने के लिए अस्पताल प्रबंधन ने निजी चिकित्सालयों के डॉक्टरों से रैली निकलवाई है। बैठक में मौजूद सिख प्रतिनिधियों ने कहा कि यदि सख्त कार्यवाही नहीं हुई तो उग्र आंदोलन किया जाएगा। बैठक के बाद सिख प्रतिनिधियों ने उत्तर क्षेत्र के पुलिस उपाधीक्षक राजेश मीणा से मुलाकात की। मीणा ने भरोसा दिलाया कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की जाएगी।
बीपीएल पार्टी ने भी की खिलाफत:
भारतीय पब्लिक लेबर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बाबूलाल साहू ने मुख्मंत्री वसुंधरा राजे, राज्य के चिकित्सा मंत्री राजेन्द्र सिंह राठौड़, एडीए के अध्यक्ष हेमंत गेरा को पत्र प्रेषित कर अजमेर के सभी निजी चिकित्सालयों पर अंकुश लगाने के लिए राजस्थान सरकार द्वारा पारित अधिनियम राजस्थान हॉस्पिटिलिटी इस्टेबलिश्मेंट एक्ट 2014 को कड़ाई से लागू करने की मांग की है। साहू ने कहा कि यह कानून सख्ती से लागू नहीं करने के कारण सभी निजी अस्पताल के संचालक अपनी मनमर्जी कर मरीजों और उनके परिजन को आर्थिक शोषण कर रहे हैं और अपनी तिजोरियां भरने में लगे हुए हैं। इन निजी चिकित्सालयों के प्रबंधक सरकारी चिकित्सालयों में तैनात चिकित्सकों को भी अपने अस्पतालों में गुप्त रूप से इलाज और ऑपरेशन तक करवा कर सरकारी निमयों की अवहेलना कर रहे हैं। अभी हाल ही में पुष्कर रोड स्थित मित्तल अस्पताल में एक मरीज को दो दिन पूर्व मर जाने के बाद भी उनके परिजन से इलाज के नाम पर राशि वसूलते रहे। इतना ही नहीं मित्तल अस्पताल अपने धनबल और राजनीतिक रसूकात के चलते शहर के निजी अस्पतालों को अपनी राह पर चलने के लिए हड़ताल कराकर प्रशासन पर दबाव बनाना चाहता है। जिसे बीपीएल पार्टी के कार्यकर्ता और शहर की जनता कतई बर्दाश्त नहीं करेगी। अगर प्रशासन ने मित्तल अस्पताल में हुए उपरोक्त प्रकरण के अलावा पूर्व में अन्य दर्ज शिकायतों पर सख्त कार्यवाही नहीं की तो पार्टी के कार्यकर्ता जनहित में उग्र आंदोलन करेंगे। जिसकी समस्त जिम्ममेदारी जिला प्रशासन की होगी। 

(एस.पी. मित्तल)
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आमिर खान तो भारत के ब्रांड एम्बेसेडर हैं



पहले शाहरूख खान और अब आमिर खान को लगता है कि देश में असहनशीलता का माहौल है। ये वो ही आमिर खान हैं, जिन्हें भारत की जनता शाहरूख खान से अलग मानती रही है। यही वजह रही कि जब टीवी पर 'सत्यमेव जयतेÓ जैसे कार्यक्रम को चलाया गया तो सवा सौ करोड़ लोगों ने आमिर खान की प्रशंसा की। भारत सरकार ने भी अपने स्वच्छता अभियान एवं अन्य अभियानों के विज्ञापनों में आमिर खान का ही चयन किया। आमिर तो लगातार चैनलों पर यह बताते रहे कि उनका भारत कितना सुंदर है, लेकिन अब अचानक आमिर को यह लगने लगा है कि भारत असहनशील हो गया है और उनकी पत्नी किरण देश छोडऩा चाहती हंै। आमिर के असहनशीलता की बात अपनी ओर से नहीं बल्कि पत्नी किरण की ओर से कही है। सवाल उठता है कि क्या किरण अनपढ़ पत्नी है? किरण ने तो आमिर की कई फिल्मों का निर्देशन किया है। किरण ने आमिर को तब गले लगाया जब वे पहले से ही शादीशुदा थे। जिस किरण ने सारी रस्मों को तोड़ते हुए आमिर से निकाह किया, उस किरण को अपनी संस्कृति वाला भारत कैसे बुरा लग सकता है? अच्छा हो कि आमिर ने जो बात अपनी पत्नी के हवाले से कही है वह बात किरण खुद मीडिया के सामने कहे। समझ में नहीं आता कि आखिर आमिर खान जैसे लोग इस देश से चाहते क्या है? आमिर जिन लोगों पर असहनशीलता का इशारा कर रहे हैं उन्हीं लोगों ने फिल्में देखकर आमिर को अमीर बनाया है। आमिर की फिल्मों के लिए सिनेमा हॉल के बाहर लम्बी लाइन लगाई है। आज दुनिया में आमिर को इसलिए शोहरत मिली है कि भारत में एक बड़ा वर्ग उनकी फिल्मों को देखता है। आमिर ने कभी यह सोचा कि यदि भारत के सहनशील लोग उनकी फिल्में नहीं देखते तो क्या वे इतनी शोहरत पा सकते थे? आज आमिर शोहरत के जिस मुकाम पर खड़े हैं उसमें भारत के फिल्म पे्रमियों का ही योगदान है। आमिर ने अपनी दूसरी-तीसरी पत्नी किरण की सोच के बारे में तो बताया, अच्छा होता कि आमिर अपनी पहली पत्नी की सोच के बारे में भी देश की जनता को बताते।

(एस.पी. मित्तल)
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बहुत फर्क है सीएम की पोती और गरीब की बेटी में।



सरकारी स्कूलों में पढऩे वाली छात्राओं के लिए राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे ने मुख्यमंत्री हमारी बेटी योजना चला रखी है। इसके अंतर्गत होनहार बेटियों को आगे बढ़ाने की अनेक लाभकारी योजनाएं हैं। सीएम राजे ने भले ही ऐसी योजना चला रखी हो, लेकिन कथनी और करनी में रात-दिन का फर्क है। राजे की यह योजना किस तरह चल रही है, इसकी पोल दैनिक भास्कर के अजमेर संस्करण के चीफ रिपोर्टर सुरेश कासलीवाल ने खोल कर रख दी है। कासलीवाल की एक खोज पूर्ण स्टोरी भास्कर में 24 नवम्बर को प्रकाशित हुई है। 
सीएम राजे 22 और 23 नवम्बर को दो दिवसीय अजमेर-पुष्कर दौरे पर रहीं। जिला कलेक्टर डॉ. आरुषि मलिक की पहल पर सीएम को जयपुर रोड स्थित शिक्षा विभाग के ईटी सेल का भी निरीक्षण करना था, लेकिन यह निर्धारित नहीं हुआ कि सीएम ईटी सेल में 22 को आएंगी या 23 नवम्बर को। तय कार्यक्रम के अनुसार ईटी सेल के परिसर में ही सीएम को हमारी बेटी योजना में चयनित चार मेधावी छात्राओं से भी मिलवाना था। चूंकि कलेक्टर के आदेश थे, इसलिए अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी दर्शना शर्मा सावित्री गल्र्स स्कूल की बीपीएल परिवार की छात्रा चेतना वर्मा व उपसना तथा नसीराबाद स्थित कॉन्वेंट स्कूल की रुपाली गुर्जर व प्रियंका जाधव और चार शिक्षिकाओं को लेकर 22 नवम्बर को प्रात: 11 बजे ही ईटी सेल पर पहुंच गई। गरीब परिवार की बेटियां, शिक्षिकाएं और अधिकारी दिनभर खड़ी रही, लेकिन सीएम राजे नहीं आई। कलेक्टर ने फिर आदेश दिए कि 23 नवम्बर को भी गरीब परिवार की बेटियां प्रात: 11 बजे ईटी सेल के परिसर में आकर खड़ी हो जाएं, क्योंकि सीएम राजे किसी भी समय आ सकती हैं। राजे 23 नवम्बर को दोपहर तीन बजे ईटी सेल आई तो गरीब बेटियों को लगा कि अब तो सीएम से मुलाकात हो ही जाएगी। लेकिन बेटियों के आंखों में उस समय आंसू आ गए जब सीएम राजे ईटी सेल के कक्ष का निरीक्षण कर रवाना हो गई। गराीब बेटियों ने कलेक्टर से पूछा भी कि आखिर सीएम हमसे क्यों नहीं मिली? लेकिन कलेक्टर डॉ. मलिक कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सकीं। फलस्वरूप गरीब बेटियां आंसू टपकाते हुए अपने घर चली गईं। यानि लगातार दो दिन तक गरीब बेटियों का अपमान होता रहा। एक ओर जहां सीएम राजे दो दिन से खड़ी गरीब बेटियों से नहीं मिली, वहीं अपनी पोती भैरवी से मिलने के लिए मेया गल्र्स कॉलेज पहुंच गई। 21 नवम्बर को मुख्यमंत्री सचिवालय से मिनट दर मिनट जो प्रोग्राम जारी हुआ, उसमें सीएम का मेयो गल्र्स जाने का कार्यक्रम नहीं था, लेकिन जब पेाती को दादी के अजेमर आने का पता चला तो उसने मिलने की इच्छा जताई। पोती की ख्वाहिश को पूरा करने के लिए सीएम राजे ने अचानक अपने दौरे के कार्यक्रमों में बदलाव किया और मेया गल्र्स पहुंच गईं। बड़े आराम से दादी-पोती की मुलाकात हुई। जानकारों की माने तो कलेक्टर ने जो कार्यक्रम निर्धारित किया था, उसके अंतर्गत पोती वाले समय में ही ईटी सेल में गरीब बेटियों से मिलना था। चूंकि 22 नवम्बर को सीएम पहले अपनी पोती से मिलने मेया गल्र्स चली गई, इसलिए ईटी सेल के निरीक्षण पर नहीं आ सकी। यानि मुख्यमंत्री की पोती और गरीब की बेटी में बहुत फर्क है। 
जिला प्रमुख की उपेक्षा:
सीएम का ईटी सेल का कार्यक्रम जिला परिषद की ओर से आयोजित किया गया था। कार्यक्रम में स्वच्छता अभियान में एक पोस्टर का भी विमोचन होना था। पोस्टर जिला परिषद के द्वारा ही तैयार करवाया गया, लेकिन गंभीर बात यह रही कि इस कार्यक्रम के बारे में जिला प्रमुख वंदना नोगिया को कोई जानकारी नहीं दी गई और न ही उन्हें कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया। 22 नवम्बर को सीईओ राजेश चौहान से नोगिया ने जानकारी ली, लेकिन फिर भी जिला प्रमुख को यह नहीं बताया गया कि स्वच्छता अभियान के पोस्टर का विमोचन सीएम राजे करेंगी। जबकि जिला स्वच्छता अभियान की संयोजक वंदना नोगिया ही है। बाद में नोगिया ने अपने स्तर पर जानकारी जुटाई तो बिना बुलाए ही नोगिया ईटी सेल के कार्यक्रम में पहुंच गई। 
असल में जिला कलेक्टर डॉ. मलिक स्वच्छता अभियान का श्रेय स्वयं लेना चाहती हैं। इसमें किसी की दखलांदाजी कलेक्टर को पसंद नहीं है। गांव में रिकॉर्ड तोड़ शौचालय बनवाने में अजेमर जिले को अव्वल माना जा रहा है। शौचलय की राशि जिला परिषद के माध्यम से ही खर्च हो रही है, लेकिन जिला परिषद में क्या हो रहा है, इसकी जानकारी जिला प्रमुख वंदना नोगिया को नहीं रहती है। नोगिया को भी पता है कि सीईओ साहब जिला प्रशासन के ही आदेश मानेंगे। पूर्व में नेागिया ने तत्कालीन एसीओ हेड़ा को दिशा-निर्देश देने की कोशिश की तो हेड़ा ने सरेआम जिला प्रमुख के सरकारी वाहन से लालबत्ती उतरवाकर नोगिया को अपमानित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। 
फोटो: कलेक्टर को दु:खड़ा सुनाती गरीब बेटियां। 
(एस.पी. मित्तल)
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Monday 23 November 2015

मंत्रियों के बजाए भाजपा अध्यक्षों को तवज्जों दी मुख्यमंत्री ने



मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने 23 नवम्बर को अपने अजमेर दौरे में मंत्रियों के बजाए संगठन के जिलाध्यक्षों को तवज्जो दी। हुआ यंू कि मुख्यमंत्री दोपहर एक बजे पुष्कर से स्थानीय पुलिस लाइन स्थित हेलीपेड पर पहुंची। राजे को यहां से ईटी सेल के निरीक्षण और दरगाह जियारत के लिए जाना था, लेकिन राजे ने हेलीपेड पर उपस्थित स्कूली शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी, महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिता भदेल आदि को हेलीपेड पर ही रुकने के लिए कहा। इसके साथ ही राजे ने देहात भाजपा के अध्यक्ष प्रो.बी.पी.सारस्वत, शहर अध्यक्ष अरविंद यादव, जिला कलेक्टर डॉ. आरुषि मलिक को अपनी कार में बैठने के निर्देश दिए। देवनानी और भदेल को यह उम्मीद थी कि वे दोनों भी सी.एम. के साथ दरगाह जाएंगे। देवनानी की उम्मीद इसलिए ज्यादा रही क्योंकि रास्ते में जिस ई.टी.सेल  का निरीक्षण किया, वह ई.टी.सेल देवनानी के शिक्षा विभाग के अधीन ही आता है। देवनानी और भदेल अजमेर शहर से ही भाजपा के विधायक है, लेकिन मुख्यमंत्री ने जिस तरह से भाजपाध्यक्षों को तवज्जो दी, उसको लेकर राजनीतिक क्षेत्रों में अनेक चर्चाएं व्याप्त है। देवनानी और भदेल की आपसी राजनीतिक दुश्मनी भी आम चर्चा का विषय बनी हुई हंै। मंत्रियों के बजाए अपनी कार में कलेक्टर आरुषि मलिक को बैठाकर भी मुख्यमंत्री ने अनेक संकेत दे दिए हैं। 
सड़क पर छुए जैन संत के पैर:
इसे संयोग ही कहा जाएगा कि 23 नवम्बर को मुख्यमंत्री ख्वाजा साहब की दरगाह से जियारत कर जब पुलिस लाइन स्थित हेलीपेड की ओर जा रही थीं। तभी महावीर सर्किल के निकट जैन संत पुलक सागर महाराज से सामना हो गया। जैन संत श्रद्धालुओं के साथ मुख्य मार्ग से गुजर रहे थे। राजे ने अपना काफिला रुकवाया और कार से उतर कर सड़क पर चल रहे जैन संत के चरण स्पर्श किए। राजे ने जिस आत्मियता और श्रद्धा के साथ चरण स्पर्श किए,उससे पुलक सागर महाराज भी अभीभूत हो गए। मालूम हो कि रविवार को ही राजे ने यहां छोटे धड़े की नसियां में जाकर जैन संत से आशीर्वाद लिया था, तब राजे ने आग्रह किया था कि उनके जयपुर स्थित सीएम हाऊस पर कलश स्थापना की जाए। जैन संत ने कहा कि आगामी जनवरी माह में जयपुर प्रवास के दौरान कलश की स्थापना की जाएगी। 
(एस.पी. मित्तल)
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सीएम राजे के दौरे के साथ ही अजमेर प्रशासन का तो हो गया पूर्णिमा स्नान



अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पुष्कर मेले में कार्तिक पूर्णिमा का स्नान 24 नवम्बर की मध्यरात्रि के बाद से शुरू होगा, लेकिन सीएम वसुंधरा राजे के दो दिवसीय दौरे की समाप्ति के साथ ही 23 नवम्बर को ही अजमेर प्रशासन का तो पूर्णिमा स्नान हो गया। पूरे दौरे में राजे ने प्रशासन को लेकर कोई नाराजगी प्रकट नहीं की। उल्टे रवाना होते समय जिला कलेक्टर डॉ. आरुषि मलिक की पीठ थपथपा दी। प्रशासन भी सीएम की दो दिन की यात्रा को पूरी तरह सफल मान रहा है। 23 नवम्बर की शाम को जब राजे पुलिस लाइन के हेलीपेड से रवाना हुई तो जिला प्रशासन ने राहत की सांस ली। सीएम के दौरे में पुष्कर के क्षेत्रीय विधायक सुरेश सिंह रावत और नगर पालिका के अध्यक्ष कमल पाठक को भी अपनी योग्यता दिखाने का अवसर मिला। राजे ने जब अपने सिंधिया परिवार के ग्वालियर घाट पर पूजा अर्चना की तो पुष्कर की स्वच्छता को लेकर विधायक रावत और पालिका अध्यक्ष पाठक की प्रशंसा की। राजे ने संसार प्रसिद्ध ब्रह्मा मंदिर के दर्शन किए, यहां मंदिर के महंत सोमपुरी ने राजे को चुनरी ओढ़ाई। दो दिवसीय यात्रा में अजमेर देहात भाजपा के अध्यक्ष बी.पी.सारस्वत भी साए की तरह साथ रहे। सारस्वत हाल ही में लगातार दूसरी बार अध्यक्ष बने। सारस्वत को राजे का संरक्षण माना जाता है। 
(एस.पी. मित्तल)
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आखिर ऐसी छवि क्यों बनी अजमेर के मित्तल अस्पताल की।



हार्ट सर्जरी करवाने के बाद नरेन्द्र पाल सिंह कोचर की मौत होने और वेंटीलेटर पर रखने के मामले में जो पुलिस कार्यवाही हुई, उस संदर्भ में मैंने सोशल मीडिया पर 22 नवम्बर को एक पोस्ट डाली थी। इस पोस्ट में मृतक कोचर के पुत्र के द्वारा पुलिस में जो रिपोर्ट लिखवाई गई थी उसका जिक्र था। रिपोर्ट में अजमेर के पुष्कर रोड स्थित प्राइवेट मित्तल अस्पताल पर गंभीर आरोप लगाए गए। इस खबर के पोस्ट होते ही लोगों ने तीखी प्रतिक्रिया दी। आमतौर पर अस्पतालों के खिलाफ नाराजगी रहती ही है, लेकिन मित्तल अस्पताल के खिलाफ कुछ ज्यादा ही नकारात्मक भाव लोगों में देखा गया। मेरे कोई 375 वाट्सएप ग्रुप, कोई तीस हजार से भी ज्यादा पाठकों वाला ब्लॉग तथा फेसबुक अकाउंट पर हजारों प्रतिक्रिया मिली। मैं यहां सभी प्रतिक्रियाएं तो नहीं दे सकता, लेकिन दो प्रतिकियाताओं का चयन किया है। इसमें जहां नाराज लोगों की भावनाएं भी हैं, वहीं मित्तल अस्पताल के पक्ष में विचार व्यक्त करने वालो की मंशा है। मेरा मित्तल अस्पताल वालों से कोई दुराग्रह नहीं है। मैंने 22 नवम्बर को भी पूरी निष्पक्षता के साथ खबर को पोस्ट किया और अब 23 नवम्बर को भी कर रहा हंू। नरेन्द्र सिंह कोचर की मौत और वेंटीलेटर पर रखने के प्रकरण में मित्तल अस्पताल प्रबंधन और डॉक्टरों का कितना दोष है, यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा, लेकिन अस्पताल के प्रबंधन को इस बात पर तो विचार करना ही चाहिए कि आखिर लोगों के मन में इतना गुस्सा क्यों हैं?
भूल सुधार:
22 नवम्बर को डाली गई पोस्ट में गिरफ्तार होने वाले डॉक्टर का नाम प्रमोद लिखा गया,जबकि गिरफ्तार होने वाले डॉक्टर का नाम प्रदीप पोखरणा है। मित्तल अस्पताल में डॉ. प्रमोद दाधीच श्वास से संबंधित बीमारियों का इलाज करते हैं और नरेन्द्र पाल सिंह की हार्ट सर्जरी के मामले में डॉ. प्रमोद की कोई भूिमका नहीं है। पुलिस ने शांतिभंग के आरोप में डॉ. प्रदीप पोखरणा को गिरफ्तार किया था। हालांकि बाद में डॉ. पोखरणा को भी जमानत पर छोड़ दिया। प्रदीप की जगह प्रमोद के नाम का उल्लेख होने पर मुझे खेद है।
नाराज लोगों की भावना:
अजमेर के पूर्व जिला प्रमुख और हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील एस.के.सक्सेना ने पूरे प्रकरण पर जो भावनाएं व्यक्त की है, उन्हें मैं ज्यों का त्यों प्रदर्शित कर रहा हंू। 
संभवत मित्तल अस्पताल का मूल लक्ष्य एवं धेय मात्र धन कमाना ही रह गया है। स्वर्गीय घीसीबाई चेरीटेबल ट्रस्ट मात्र छलावा है या उक्त ट्रस्ट मात्र रियायती दर पर जमीन प्राप्त करना था या सरकार से मान्यता  या विभिन्न कारपोरेट सेक्टर, निजी या सार्वजनिक, कंपनियों, केंद्र  एवं राज्य सरकार से मान्यता प्राप्त उनके कर्मचारियों को आकर्षित करना रहा है। सरकारी अस्पतालों में व्याप्त गंदगी, मूलभूत संसाधनों की कमी एवं भारी भीड़ और चिकित्सकों की कत्र्तव्यपरायणता के प्रति  उदासीनता, लापरवाही जनसामान्य को मित्तल अस्पताल  की ओर जाने को बाध्य करते हैं, क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति स्वयं अथवा परिजन को अच्छा से अच्छा इलाज उपलब्ध करा कर स्वस्थ देखना चाहता है, चाहे इन संस्थानों में इलाज कराया जाना उसकी माली हैसियत के परे ही क्यों ही न हो। परन्तु एक बार के अनुभव के उपरातं भुगतभोगी फिर दुबारा न तो स्वयं फिर इस अस्पताल को आना पंसद करता है और न ही किसी दूसरे को वहां इलाज हेतु जाने की सलाह देता है। रविवार को अस्पताल प्रबंधन के विरूद्ध पुलिस थाने में दर्ज रिपोर्ट कि हृदय की शल्य चिकित्सा के उपरातं मृत्यु हो जाने के उपरांत भी रोगी को वेंटीलेटर पर रखा जाना कहा गया जब कि रोगी की मौत पहले ही हो चुकी थी तथा परिजनों को तीन दिनों तक इलाजरत रोगी तक नहीं जाने दिया गया। पुलिस ने पहले रिपोर्ट लिखने से मना किया, लेकिन बाद में सिख समाज के सैकड़ों लोगों के एकत्रित होने पर रिपोर्ट लिखने को बाध्य होना पड़ा, जिस पर एक डॉक्टर को गिरफ्तार भी बताया गया तथा एक डाक्टर भागने में सफल रहा। संभवत: रिपोर्ट लिखना या गिरफ्तारी मजबूरी रही हो, क्योंकि आज महारानी वसुन्धरा मुख्यमंत्री अजमेर, पुष्कर यात्रा पर थी अन्यथा पुलिस प्रबंधन के भौतिक प्रभाव में रिपोर्ट लिखने को टाल देती या समाज के दबाव में रिपोर्ट लिखी गई, जिस घटनाक्रम पर प्रभावकारी ब्लॉग अत्यधिक संवेदनशील निष्पक्षता के धनी पत्रकार एस.पी.मित्तल जी सायं ही लिख दिया जि़स को पढ़ कर मुझ को यह लिखने की प्रेरणा जनहित में अनुभव होने पर मैंने अभिव्यक्ति  इस लेख के माध्यम से की है। बिना किसी द्वेष भावना के मैं कहना चाहंूगा कि इस प्रकार की घटनाएं आम होती जा रहीं हैं। अत राजस्थान सरकार व स्थानीय प्रशासन को इस घटना का संज्ञान लिया जाकर न केवल इस प्रकार की घटना की पुनरावृत्ति को रोकना चाहिए, बल्कि घटना विस्तृत जांच उच्चस्तरीय रूप से किसी निष्पक्ष तकनीकी सक्षम बोर्ड  या न्यायिक संस्था से जांच कराई जानी चाहिए, क्योंकि जन सामान्य जीवन के साथ रोज-रोज होने वाला नंगा नाच बंद हो । साथ ही जांच की विषय वस्तु यह भी हो कि चेरीटेबल ट्रस्ट के रूप प्राप्त सुविधाओं के अनुरूप सभी उत्तरदायित्व का निर्वहन किया जा रहा या नहीं । यद्यपि भूखंड आंवटन एंव भूमि की प्रकृति भूरूपान्तरण आदि पर भी जांच की जानी चाहिए। प्रबंधन को भी आत्म चिंतन करना चाहिए कि वे स्वयं के उद्देश्य से भटक नहीं गए हैं, अन्यथा दरवेश मा.हर प्रसाद जी  मिश्रा, जिनकी आजमकद तस्वीर वहां विद्यमान है एवं जिन गुरूजी द्वारा उद्घाटन किया गया था उन की रूह को बेचैनी महसूस हो रही होगी। नि:संदेह हर मेडिकल संस्था का अपना अनुशासन होता है, लेकिन रोगी के परिजन को निजी मेडिकल स्टोर से ही मेडीसनस खरीदना आवश्यक करना कहां तक उचित है, जबकि वहां दवाएं बाजार की तुलना में काफी महंगी दी जाती हैं। क्यों रोगी की मृत्यु के उपरांत डेडबॉडी रात को ही पिछले दरवाजे से निकाली जाती है। आईसीयू में रोगी को रखे जाने पर परिजन को अंदर जाने नहीं दिया जाता तथा आईसीयू के चार्जेस के बावजूद भी वेंटीलेटर, डाक्टर व अन्य प्रकार के चार्जेस अलग से लिये जाते हैं। क्या डाक्टर को अधिकाधिक जांचे करवाये जाने या बिना आवश्यकता के आईसीयू में भर्ती करने को प्रेरित नहीं किया जाता, यदि ऐसा है तो आत्म चितंन का गम्भीर विषय है। प्रबन्धन को ज्ञात है कि किसी भी अस्पताल की लाईफ लाइन विशेषज्ञ डॉक्टर होते है, जबकि अधिकांश डाक्टर जवाहर लाल नेहरू अस्पताल से सेवानिवृत्ति प्राप्त है तथा कुछ विशेषण अन्य संस्थानों में अल्पकालीन अवधि तक सेवारत रहे हैं, अतं उन को विशेषज्ञ संबोधित कर या प्रचारित कर आमजन के साथ न्याय किया जा रहा है। हां, एक बात अवश्य है कि विशेषज्ञ डाक्टर का नाम, डीग्रियां व पूर्व अनुभव बोर्डों पर लिखा हुआ है। फिर भी कोई आता है तो प्रबन्धन उत्तरदायी नहीं है। प्रशासन बहुत मेहरबान है, तब ही सार्वजनिक सड़क पर पार्किंग की इजाजत है, जबकि पार्किंग अस्पताल परिसर में ही होनी चाहिए। भवन निर्माण  स्वीकृति  में पार्किंग स्थान अवश्य दिखाया गया होगा, अन्यथा नक्शा पास नहीं किया जा सकता। हां, यदि कोई गरीब का ठेला या झोपड़ी सार्वजनिक रास्ते पर होती तो प्रशासन सक्रियता जरूर दिखाता। चेरीटेबल अस्पताल होने के कारण यह भी जांच का विषय है कि प्रति दिन कितने गरीबों का नि:शुल्क इलाज किया जा रहा है या केवल खानापूर्ति की जा रही है। क्या पैरा मेडिकल स्टाफ नियमानुसार प्रशिक्षित है, क्या निर्माण ने ऐतिहासिक झील आनासागर  के आंव-केचमेंट एरिया में अवरोध किया है जो राजस्थान उच्च न्यायालय  द्वारा अब्दुल रहमान के केस पारित निर्णय के विरुद्ध है, जिसका अनुसरण कर ही राजस्थान उच्च न्यायालय की जयपुर पीठ ने रामगढ़ बांध से सम्बन्धित जनहित याचिका में दिल्ली रोड, काकूस-जयपुर स्थित अस्पताल व मेडिकल कालेज के भवन के एक भाग को तोड़ कर पानी के प्राकृतिक बहाव को पूर्ववत बहाल को कहा। सीवरेज  का एसटीपी निर्माण एवं संचालन के उपरांत वातावरण की शुद्धता भी विचारणीय बिन्दू है।
-सत्य किशोर सक्सेना,एडवोकेट,पूर्व जिला प्रमुख,अजमेर मो. 9414003192
समर्थकों का मन:
मेरे फेसबुक अकाउंट पर जो प्रतिक्रियाएं मिली है, उनमें हिमांशु चौधरी भी है। इसमें अस्पताल प्रबंधन का पक्ष रखन के साथ-साथ आलोचकों को भी जवाब दिया गया है। मैं पत्रकारिता का ईमानदारी के साथ धर्म निभाते हुए हिमांशु चौधरी की प्रतिक्रिया को भी यहां प्रदर्शित कर रहा हंू। इसमें मेरी भी आलोचना की गई है। 
S.p. Mittal Ji
well done!
Wese aapne apne Constitutional Right Article 19(1) ka bilkul sahi fayeda uthaya hai... Parr aapki kuchh ˜æéçÅUØæ´ mai thik karna chahta hoon.... 
* आप आरोप लगा सकते हैए फैसला सुनाने का हक़ आपको किसने दिया।
* मेरी जानकारी के मुताबिक यह वही मित्तल अस्पताल है जहां आपके परिजन भी इलाज करवाते हैं।
* आलोचना कीजिये पर औपचारिकता और अनुसाशन से।
* यह अभी साबित नहीं हुआ की मित्तल अस्पताल दोषी है या यह सिख परिवार तो कृपया Constructive Criticism  का इस्तेमाल कीजिये।
मेरी सभी आलोचकों को चेतावनी
* अगर इतना ही बुरा है मित्तल अस्पताल तो आप लोग क्यों जाते हैं, वहां इलाज करवाने।
अस्पताल बंद करो, करवाई करो, ये करो, वो करो, यह सब कहना आपके अधिकार में नहीं।
और हां जब जिंदगी और मौत से झूझते मरीजों को मित्तल अस्पताल वाले बचाते है, तब कहाँ जाता है आपका Journalism, S.P. Mittal ji? 
मैं कोई मित्तल अस्पताल के प्रशासन से नहीं हूँए पर एक जागरूक नागरिक हूँ जिसने इस अस्पताल को सैकड़ो जिंदगियां बचाते देखा।
किसी की इज्जत से खेलने से पहले अपने गिरेबान में जरूर झांके।
-हिमांशु चौधरी

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Sunday 22 November 2015

मौत के बाद भी दो दिन तक वेंटिलेटर पर रखा। मित्तल अस्पताल के खिलाफ मामला दर्ज। डॉक्टर गिरफ्तार



मौत के बाद भी दो दिन तक मृतक को वेंटिलेटर पर रखने के मामले में पुष्कर रोड स्थित मित्तल अस्पताल के प्रबंधन के खिलाफ क्रिश्चियनगंज स्थित पुलिस स्टेशन पर मामला दर्ज कर लिया गया है। इसके साथ ही मित्तल अस्पताल के डॉ.प्रदीप को गिरफ्तार कर लिया गया है जबकि आरोपी डॉक्टर सूर्य फरार हो गया है। बी के कौल नगर निवासी जसदीप सिंह ने रिपोर्ट में कहा है कि उसके 61 वर्षीय पिता नरेन्द्र पाल सिंह की हार्ट सर्जरी 18 नवम्बर को मित्तल अस्पताल में करवाई गई थी, लेकिन ऑपरेशन के बाद से किसी भी परिजन को मरीज से मिलने नहीं दिया गया। डॉक्टरों का कहना रहा कि तबीयत खराब होने की वजह से नरेन्द्र सिंह को वेंटिलेटर पर रखा गया। पहले तो परिजनों ने डॉक्टर और अस्पताल प्रबंधन की बात पर भरोसा किया, लेकिन 21 नवम्बर को जब सब्र का बांध टूट गया तो परिजनों ने हर हाल में नरेन्द्र सिंह से मिलने की जिद्द की। इस पर डॉक्टरों ने कह दिया कि नरेन्द्र पाल की मृत्यु हो गई है। रिपोर्ट में आरोप लगाया गया कि 18 नवम्बर को ऑपरेशन बिगडऩे की वजह से ही नरेन्द्र पाल की मौत हो गई लेकिन इसके बावजूद भी दो दिनों तक मृतक को वेंटिलेटर पर रखा गया। हालांकि पुलिस ने पहले तो रिपोर्ट लिखने से ही इंकार कर दिया, लेकिन जब सिक्ख समुदाय के सैकड़ों लोग अस्पताल में हंगामा करने लगे तो पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज की और साथ ही डॉ.प्रदीप को गिरफ्तार कर लिया गया। जबकि दूसरा डॉक्टर सूर्य फरार हो गया है।
अस्पताल की सफाई :
नरेन्द्र पाल सिंह की मौत पर मित्तल अस्पताल के प्रबंधन और डॉ.सूर्य ने सफाई दी है। इसमें कहा गया कि 18 नवम्बर को हार्ट का ऑपरेशन पूरी तरह सफल रहा, लेकिन मरीज रक्तचाप की बीमारी से ग्रसित था और तीनों नसों में रूकावट थी इसलिए मृत्यु हुई। मृतक के परिजनों को समय-समय पर सभी गतिविधियों से अवगत कराया गया। यह आरोप गलत है कि मौत के बाद भी नरेन्द्र पाल को वेंटिलेटर पर रखा गया।
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तो श्री सीमेन्ट को इसलिए दी थी करोड़ो की खनन भूमि।



सीएम राजे के कहने पर ढाई करोड़ का खर्च
राजस्थान के जागरूक लोगों को याद होगा कि सीएम वसुंधरा राजे ने खान विभाग के केबिनेट मंत्री की हैसियत से ब्यावर की श्री सीमेन्ट कंपनी को सैकड़ों बीघा खनन भूमि कोडिय़ों के भाव आवंटित की थी। यह आवंटन तब किया गया जब दो दिन बाद केन्द्र सरकार की नई खनन नीति आने वाली थी, इस नई नीति में आवंटन पर रोक लगाई गई थी, तब श्री सीमेन्ट के साथ-साथ इमामी सीमेन्ट, लाफार्ज और आर के मार्बल की वण्डर सीमेन्ट को भी खनन भूमि आवंटित की गई थी। हालांकि केन्द्र सरकार में दबाव के बाद सभी आवंटनों को रद्द कर दिया गया। अब वो ही श्री सीमेन्ट सीएम राजे के कहने से अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पुष्कर मेले पर कोई ढाई करोड़ रुपए खर्च कर रही है। सरकार ने इस बार पुष्कर मेले में कुछ कार्यक्रम करने का जिम्मा टीम वर्क आट्र्स प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी को दिया है। इस कम्पनी का चयन भी मुख्यमंत्री के स्तर पर ही हुआ है। कंपनी को श्री सीमेंट वाले कोई ढाई करोड़ रुपए का भुगतान करेंगे। जिस पुष्कर मेले का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर महत्व है, उस मेले में जो आयोजन हो रहे है उसका नाम श्री सीमेंट दी सेक्रेड पुष्कर महोत्सव रखा गया है। पुष्कर मेले की ख्याति को भुनाने का अधिकार सिर्फ वसुंधरा राजे ही दे सकती हंै। वसुंधरा राजे श्री सीमेन्ट और टीम वर्क आर्टस प्राइवेट लिमिटेड का कितना तगड़ा गठजोड़ है इसका अंदाजा टीम वर्क कंपनी के एमडी संजय रॉय के द्वारा जारी प्रेस नोट से लगाया जा सकता है। इस प्रेस नोट में स्वीकार किया गया है कि मेले के सारे आयोजन श्री सीमेन्ट द सीक्रेड पुष्कर महोत्सव के अंतर्गत हो रहे हंै और उनकी कम्पनी ही 22 से 24 नवम्बर के बीच धार्मिक सांस्कृतिक, आध्यात्मिक आयोजन करवा रही है। इसके लिए संजय रॉय  ने राजस्थान सरकार और श्री सीमेंट के प्रति आभार भी प्रकट किया गया है। इतना ही नहीं इस प्रेसनोट में वसुंधरा राजे का संदेश भी लिखा गया है यानि जो संजय रॉय श्री सीमेन्ट से ढाई करोड़ रुपए लेकर कार्यक्रम कर रहे हैं उसमें सीएम राजे का बयान भी अपने स्तर पर जारी कर दिया। पता नहीं संजय रॉय को सीएम राजे ने कोई संदेश भेजा या नहीं लेकिन संजय रॉय ने अपने प्रेसनोट में यह दावा किया है कि सीएम राजे ने उनके कार्यक्रम की प्रशंसा की है और लोगों को जश्न मनाने का आह्वान किया है। इस पूरे आयोजन से ऐसा प्रतीत होता है कि पुष्कर मेला इस बार ठेके पर हो रहा है।
महाआरती को लेकर विवाद :
चूंकि पुष्कर के सरोवर के घाट पर महाआरती का आयोजन भी ई-फेक्टर नामक कंपनी कर रही है इसलिए 22 नवम्बर को मुख्यमंत्री के आगमन पर तीर्थ पुरोहित संघ और कंपनी के अधिकारियों के बीच विवाद हो गया। कंपनी के अधिकारी चाहते थे कि सीएम राजे की पीठ सरोवर की ओर हो और फिर कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी जाए, लेकिन पुरोहित संघ के अध्यक्ष श्रवण पाराशर ने स्पष्ट कह दिया कि यदि वसुंधरा राजे की पीठ सरोवर की ओर करवाई गई तो महाआरती में तीर्थ पुरोहित भाग नहीं लेंगे। इस धमकी के बाद ही कंपनी को झुकना पड़ा।
जैन संत से लिया आशीर्वाद:
सीएम राजे ने 22 नवम्बर को अजमेर में जैन संत पुलक सागर महाराज से आशीर्वाद लिया। इससे पहले जैन संत और राजे के बीच टेलीफोन पर संवाद हुआ था। 
धर्मशाला का उद्घाटन:
सीएम राजे ने अपने अजमेर दौरे में लोहागल गांव स्थित स्वातंत्रता सैनानी कप्तान दुर्गा प्रसाद चौधरी धर्मशाला का उद्घाटन भी किया। इस अवसर पर कप्तान साहब के पुत्र और दैनिक नवज्योति अखबार के मालिक दीनबंधु चौधरी ने राजे के प्रति आभार जताया। 
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Saturday 21 November 2015

पतजंलि नहीं बनाती इंस्टेंट नूडल्स - बाबा रामदेव



योग गुरु बाबा रामदेव ने हाल ही में मैगी के मुकाबले पतजंलि पीठ के जो नूडल्स बाजार में उतारे थे उसके संबंध में 21 नवम्बर को बाबा रामदेव ने कहा है कि पतजंलि संस्था इंस्टेंट नूडल्स नहीं बनाती है। बाबा ने यह बात केन्द्र सरकार के खाद्य विभाग के नोटिस मिलने के बाद कही है। इस नोटिस में कहा गया है कि पतजंलि ने इंस्टेंट नूडल्स बनाने का लाइसेंस नहीं लिया है, ऐसे में पतजंलि के नाम से बाजार में बिक रहे नूडल्स अवैध हैं। इस नोटिस के जवाब में बाबा रामदेव ने कहा कि वे तो दूसरे की फैक्ट्री में नूडल्स बनवाते हैं। उनकी पतजंलि तो सिर्फ नूडल्स बेचने का काम करती है। पतजंलि के लिए जो फैक्ट्रियां नूडल्स बनाती हैं, उनके पास आटे से बने खाद्य पदार्थ बनाने का लाइसेंस है। यह बात अलग है कि गत दिनों जब मैगी के मुकाबले पतजंलि नूडल्स बाजार में उतारे गए तब खुद बाबा रामदेव ने कहा था कि यह पतजंलि का उत्पाद है और यह भी बताया कि मैगी तो मैदा से बनती है जबकि उनके नूडल्स आटे से बने हुए हैं। इतना ही नहीं प्रचार के लिए बाबा ने खुद नूडल्स पकाए और दिखाने के लिए खाए भी।
(एस.पी. मित्तल)
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क्या न्यूज चैनलों को आतंकवादियों के धमकी भरे वीडियो दिखाने चाहिए



इन दिनों अनेक न्यूज चैनलों पर आतंकवादियों के धमकी भरे वीडियो दिखाए जा रहे हैं। कभी तालिबान, कभी अलकायदा तो कभी आईएस के आतंकवादी हमले करने की धमकी दे रहे हैं। पहले तो नकाबपोश आतंकी धमकी देते थे लेकिन ताजा मामलों में देखा गया है कि आतंकी अपने हाथ में बंदूक लेकर अपना चेहरा भी दिखा रहे हैं। खुले आम यह बताया जा रहा है कि किन-किन देशों में आतंकी हमले होंगे। सवाल उठता है कि जब पूरी दुनिया दहशत के माहौल में है तब न्यूज चैनलों पर ऐसे धमकी भरे वीडियो दिखाए जाने चाहिए? माना कि मीडिया को पूर्ण आजादी होनी चाहिए, लेकिन यदि मीडिया आजादी की आड़ में दहशत का माहौल बनाए तो फिर उस पर अंकुश तो लगना ही चाहिए। इंटरनेट के युग में आतंकवादी अपने वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड कर देते हैं। चैनल वाले सोशल मीडिया से ही वीडियो चुरा कर चैनलों पर दिखाते हैं। इससे यह भी पता नहीं चलता कि वीडियो किस स्थान पर बनाया गया है तथा धमकी देने वाले आतंकी कहां पर हैं लेकिन ऐसे वीडियो से दहशत जबरदस्त हो जाती है। अब तो यहां तक कहा गया है कि आईएस के खूंखार आतंकी बगदादी के पास रासायनिक हथियार पहुंच गए हैं। ऐसे में धमकियों की गंभीरता और बढ़ रही है। अभी हाल ही में फ्रांस में हुए आतंकी हमले के बाद माहौल कुछ ज्यादा ही तनावपूर्ण हो गया है। जहां यूरोप के देश आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्यवाही कर रहे है वहीं ऐसे संगठनों के नेताओं ने बूरे परिणाम भुगतने की बात कही है। यूरोप के अनेक देशों के नागरिक ऐसी धमकियों से भयभीत भी हैं। 20 नवम्बर को माली की एक होटल में जिस तरह पर्यटकों को बंधक बनाया गया उससे तो माहौल  कुछ ज्यादा ही खराब हुआ है। असल में आतंकियों के खिलाफ जब-जब सख्त कार्यवाही की गई, तब-तब हालात बिगड़े है, लेकिन यह भी सही है कि आतंकवादी घटनाएं वर्ष भर होती रहती है। कई बार समझौता और शांति की पहल की जाती है लेकिन थोड़े ही दिनों में आतंकवादी ऐसी वारदात कर देते हैं, जिससे शांति की पहल धरी रह जाती है।
(एस.पी. मित्तल)
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पुष्कर मेले में उड़ते दिखे हॉट एयर बैलून। अदालत ने कहा- अजमेर में नहीं चल सकता वाद।



अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पुष्कर मेले में अब ई-फैक्टर के हॉट एयर बैलून अब उड़ते रहेंगे। अदालत ने बैलून के उडऩे पर किसी भी प्रकार से रोक लगाने से इंकार कर दिया है। पूर्व लोक अभियोजक विवेक पाराशर ने अजमेर की सिविल अदालत में एक जनहित याचिका प्रस्तुत कर बैलून के उडऩे पर रोक लगाने की मांग की थी। यह याचिका मेला शुरू होने से पहले 17 नवम्बर को पेश की गई, जिस पर याचिकाकर्ता, जिला प्रशासन और संबंधित पक्षकारों की बहस सुनी गई और 21 नवम्बर को मजिस्ट्रेट पूर्वा चतुर्वेदी ने आदेश दिया कि यह याचिका अजमेर की अदालत में नहीं चल सकती है। अब इस याचिका को पुष्कर की सिविल अदालत में पेश किया जा रहा है, लेकिन विधि के जानकारों के अनुसार मेला अवधि में हॉट एयर बैलून को उडऩे से कोई नहीं रोक सकता है। क्योंकि 22 नवम्बर का रविवार है और जब 23 नवम्बर को पुष्कर की अदालत में सुनवाई होगी तो पहले संबंधित पक्षकारों को नोटिस जारी होंगे। 24 नवम्बर को पुष्कर मेले और 25 नवम्बर को गुरुनानक जयंती का सार्वजनिक अवकाश है। यदि 26 नवम्बर को सुनवाई भी हुई तो प्रशासन की ओर से जवाब देने का समय मांगा जाएगा और इसी के साथ पुष्कर मेले का समापन हो जाएगा। असल में हॉट एयर बैलून को उड़ाने वाली कम्पनी ई-फैक्टर प्रभावशाली व्यक्तियों का समूह है। भले ही कम्पनी ने पुष्कर क्षेत्र में बैलून उड़ाने के लिए केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय से विधिवत अनुमति नहीं ली हो, लेकिन राज्य सरकार और प्रशासन पर कम्पनी का दबदबा है। प्रशासन के अधिकारियों की मेहरबानी से ही कम्पनी हॉट एयर बैलून की एक उड़ान के लिए 250 डॉलर वसूल रही है। इतना ही नहीं मेला मैदान में एक विशेष स्थान बनाया गया है, जिसमें प्रति व्यक्ति एक हजार का शुल्क वसूला जा रहा है। सरकार की ओर से भी इस कम्पनी को 70 लाख रुपए का भुगतान किया जाएगा।
सीएम 22 को आएंगी:
सीएम वसुंधरा राजे पुष्कर मेले को देखने के लिए 22 नवम्बर को आएंगी। शाम को महाआरती के कार्यक्रम में भाग लेने के बाद राजे का 23 नवम्बर को वापस जयपुर लौटने का कार्यक्रम है। सीएम के दौरे को देखते हुए मेला क्षेत्र में सुरक्षा बढ़ा दी गई।
(एस.पी. मित्तल)
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Friday 20 November 2015

अदालत के ऊपर उड़ते रहेंगे हॉट एयर बैलून अन्तर्राष्ट्रीय पुष्कर मेले में उड़ रहे हॉट एयर


 बैलून पर 20 नवम्बर को भी सिविल अदालत का कोई निर्णय नहीं आ सका। अजमेर के पूर्व लोक अभियोजक विवेक पाराशर ने 17 नवम्बर को सिविल अदालत में एक जनहित याचिका पेश की। इसमें कहा गया कि पुष्कर मेले में हॉट एयर बैलून को उड़ाने की जो अनुमति जिला कलेक्टर ने दी है, वह गैर कानूनी है। ऐसे बैलून की अनुमति केन्द्रीय नागरिक एवं उड्डयन मंत्रालय द्वारा दी जानी चाहिए। इसके जवाब में लोक अभियोजक अजय वर्मा ने 20 नवम्बर को एक प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया। इसमें कहा गया कि यह वाद जनहित याचिका की श्रेणी में नहीं आता है और जिला प्रशासन ने नियमों के अन्तर्गत ही ई-फैक्टर नामक कम्पनी को बैलून उड़ाने की अनुमति दी है। वर्मा ने आग्रह किया कि इस याचिका को खारिज किया जाए। वहीं पाराशर ने कहा कि ई-फैक्टर कम्पनी एक उड़ान के पर्यटकों से 250 डॉलर वसूल कर रही है जबकि इस कम्पनी को विदेशी मुद्रा में कारोबार करने का कोई अधिकार नहीं है। उम्मीद थी कि 20 नवम्बर को बैलून उड़ाने पर स्टे मिल जाएगा, लेकिन अदालत ने अपने निर्णय को 21 नवम्बर तक के लिए टाल दिया। लेकिन अब माना जा रहा है कि मेला समाप्ति तक कोई निर्णय संभव नहीं है। 22 नवम्बर को रविवार है और 25 नवम्बर को पुष्कर मेला समाप्त हो जाएगा।
सरोवर पर उड़ रहे हैं बैलून:
जिला प्रशासन ने मेला क्षेत्र में बैलून उड़ाने की सशर्त अनुमति दी है। इसमें कम्पनी को पाबंद किया गया है कि पवित्र सरोवर के ऊपर बैलून नहीं उड़ाएगी, लेकिन कम्पनी के बैलून खुलेआम सरोवर के ऊपर उड़ रहे हैं। कम्पनी की गतिविधियों पर प्रशासन का कोई नियंत्रण नहीं है, क्योंकि इस कम्पनी का चयन मुख्यमंत्री सचिवालय के स्तर पर हुआ है। सरकार ने जहां कम्पनी को 250 डॉलर प्रति व्यक्ति शुल्क लेने की छूट दी है वहीं कम्पनी ने मेला मैदान में करीब 3 सौ लोगों के बैठने का एक विशेष स्थान बनाया है, जिसमें एक हजार रुपए का प्रवेश शुल्क रखा गया है। इस विशेष स्थान पर बैठकर पर्यटक मेला मैदान की गतिविधियों को सुविधाजनक तरीके से देख सकते हैं। मजे की बात यह है कि कम्पनी जहां अनेक कामों का शुल्क वसूल रही है वहीं सरकार की ओर से 70 लाख रुपए का भुगतान भी किया जा रहा है। इसी प्रकार एक अन्य कम्पनी टीपवक्र्क को ढाई करोड़ रुपए दिए जा रहे हैं। यह कम्पनी कैलाश खैर जैसे कलाकारों को बुलाकर मेले में कार्यक्रम करवा रही है।
(एस.पी. मित्तल)
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बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना।



नीतीश के शपथ ग्रहण में राहुल कुछ ऐसे ही लगे।
हमारे देश में एक रोचक मुहावरा है- बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना। इस मुहावरे का अर्थ सब जानते हैं इसलिए मैं यहां इसकी व्याख्या नहीं कर रहा हूं लेकिन लगता है कि 20 नवम्बर को पटना में नीतीश कुमार के शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने उपस्थिति दर्ज करवाकर यह मुहावरा स्वयं पर चरितार्थ कर लिया है। नीतीश ने अपने शपथ ग्रहण समारोह में उन नेताओं और मुख्यमंत्रियों को बुलाया, जिन्होंने अपने-अपने राज्यों में कांग्रेस को उखाड़ फेंका है। ममता बनर्जी ने कांग्रेस से ही बगावत कर पश्चिम बंगाल में कांग्रेस को पूरी तरह मिट्टी में मिला दिया। महाराष्ट्र में कांग्रेस शरद पवार की एनसीपी के भरोसे है। जम्मू-कश्मीर में फारूख अब्दुल्ला और उनके पुत्र उमर अब्दुल्ला के रहमोकरम पर राहुल की पार्टी है। अरविन्द केजरीवाल ने तो दिल्ली में कांग्रेस का निशान ही मिटा रखा है। कांग्रेस के लिए इससे ज्यादा शर्मनाक बात और क्या हो सकती है कि 70 विधायकों में से एक भी कांग्रेस का नहीं है। खुद नीतीश कुमार ने भी अपने बिहार में कांग्रेस का बैण्ड बजा रहा है। इस बार चुनाव में लालूप्रसाद यादव की मेहरबानी रही, जिसकी वजह से समझौते में कांग्रेस को 40 सीटें मिली और 27 उम्मीदवार विधायक बन गए। राहुल इस बात से उत्साहित हो सकते हैं कि बिहार में उनके 27 विधायक हैं। नीतीश कुमार ने अपने शपथ ग्रहण में यह प्रदर्शित किया कि गैर कांग्रेसी और गैर भाजपाई नेता उनके साथ हैं। हालांकि इसमें मुलायम और मायावती अपवाद रहे,  लेकिन शपथ ग्रहण समारोह में जिस प्रकार राहुल गांधी ने वीआईपी अंदाज में एन्ट्री की, उससे यह भी पता चलता है कि राहुल गांधी को राजनीति में अभी बहुत कुछ सीखना है। टीवी पर प्रसारित लाइव कार्यक्रम में लोगों ने देखा कि समारोह के अन्त में राहुल आए और कोने पर लगी एक कुर्सी पर बैठ गए। इसी पंक्ति में 9 राज्यों के सीएम और दिग्गज नेता बैठे हुए थे। जब फारूख अब्दुल्ला ने राहुल को देखा तो उन्होंने पहल कर राहुल को सभी नेताओं से मिलवाया। यानि राहुल उन सभी नेताओं से मिले, जिन्होंने अपने-अपने राज्यों में कांग्रेस का खात्मा कर दिया। इस समय लोकसभा में कांग्रेस के मात्र 44 सांसद हैं जो पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के टीएमसी के आसपास ही है। यदि कांग्रेस को मिटाने वाले नेताओं से मिलकर राहुल गांधी खुश हो रहे हैं तो फिर भगवान ही रक्षा करे।
तेजस्व बने डिप्टी सीएम
ऐसा प्रतीत होता है कि बिहार में लालू ने अभी से ही नीतीश को नीचा दिखाने का काम शुरू कर दिया है। लालू के दबाव से ही नीतीश को 20 नवंबर को लालू के बेटे तेजस्व यादव को डिप्टी सीएम बनाने की घोषणा करनी पड़ी यानि जो नीतीश कुमार पांचवीं बार सीएम बने और कई बार केन्द्रिय मंत्री रह चुके उन्हें लालू के 26 वर्षीय बेटे को डिप्टी सीएम बनाना पड़ा है। लालू के दूसरे बेटे तेजप्रताप यादव ने भी कैबिनेट मंत्री की शपथ ली है। लालू का परिवार 9 बच्चों के साथ कुल 11 सदस्यों का है। इसमें सेअब तक पांच सदस्य सक्रिय राजनीति में हैं। लालू, राबड़ी, दोनों पुत्र तथा बेटी मीसा यादव लालू की अन्य बेटियां भी आने वाले दिनों में राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाएंगी।

आखिर वसुंधरा के रिसर्जेंट में पीएम नरेन्द्र मोदी नहीं आए।



दो दिन का रिसर्जेन्ट राजस्थान 20 नवम्बर को एक ही सत्र के बाद समाप्त हो गया। उद्घाटन अथवा समापन समारोह में पीएम नरेन्द्र मोदी को बुलाने के लिए राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे ने हर संभव कोशिश की थी। खुद राजे दिल्ली में मोदी से मिली और निमंत्रण दिया। इतना ही नहीं अरुण जेटली, नितिन गडकरी जैसे अपने समर्थकों को से भी पीएम पर दबाव डलवाया कि थोड़ी देर के लिए जरूर आएं। यह भी बताया गया कि देशी विदेशी निवेश के लिए पिछले दो साल से सरकार तैयारी कर रही है, लेकिन इन सब प्रयासों के बावजूद भी पीएम मोदी वसुंधरा के रिसर्जेंट में शामिल नहीं हुए। ऐसा नहीं कि पीएम विदेश यात्रा पर पर हो। 
19 और 20 नवम्बर को रिसर्जेंट राजस्थान इसलिए किया गया, क्योंकि इन दिनों पीएम भारत में ही है। जो जागरुक दर्शक न्यूज चैनल देखते हैं और अखबार पढ़ते हैं उन्होंने भी यह देखा होगा कि 19 और 20 नवम्बर को पीएम मोदी दिल्ली से बाहर किसी समारोह में भी नहीं दिखे। इतना ही नहीं कोई विदेशी शिष्टमंडल भी पीएम से मिलने नहीं आए। यानि दोनों दिन पीएम मोदी दिल्ली के सरकारी आवास 7 रेसकोर्स पर ही थे। कोई पूर्व निर्धारित कार्यक्रम न होने के बाद भी मोदी का रिसर्जेंट राजस्थान में नहीं आना चर्चा का विषय बना हुआ है। हालांकि अरुण जेटली से लेकर नरेन्द्र तोमर तक केन्द्रीय मंत्री शामिल हुए, लेकिन पीएम की उपस्थित में रिसर्जेंट राजस्थान को जो ऊंचाईयां मिलनी थी, वह नहीं मिल पाई। दो दिन के समारोह में पीएम मोदी का कोई संदेश भी पढ़कर नहीं सुनाया गया। आमतौर पर किसी समारोह में अतिविशिष्ट व्यक्ति किन्हीं कारणों से उपस्थित नहीं हो पाता है। तो कम से कम अपना संदेश तो भिजवाता ही है। कहा जा रहा है कि मोदी के नहीं आने से देश के कई बड़े उद्योगपति भी समारोह में नहीं आए। 
90 में 45 उद्योगपति ही शामिल हुए। सवाल उठता है कि आखिर पीएम मोदी क्यों नहीं आए? क्यों मोदी वसुंधरा सरकार से नाराज है? सब जानते हैं कि राजे को लेकर केन्द्र में कांग्रेस ने संसद को ठप कर रखा है। गत मानसून सत्र में कांग्रेस लगातार राजे से इस्तीफे की मांग करती रही, अब शुरू होने वाले शीतकालीन सत्र में भी कांग्रेस अपनी मांग पर कायम है। यानि सवा महीने के शीतकालीन सत्र को भी कांग्रेस चलने नहीं देगी। कांग्रेस का अडिय़ल रवैया कितना सही अथवा गलत है। यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन संसद के नहीं चलने से पीएम मोदी राजनीतिक दृष्टि से दबाव में बताए जाते हैं। भले ही चुनावी सभाओं में मोदी कांग्रेस पर कितना भी हमला करें, लेकिन संसद का नहीं चलना मोदी को भी अखरता है। कहीं ऐसा तो नहीं शीतकालीन सत्र में होने वाली बड़ी राजनीतिक घटनाओं को ध्यान में रखते हुए पीएम मोदी वसुंधरा के रिसर्जेंट में नहीं आए। वसुंधरा के लिए यह पेरशानी का सबब है कि उनके खास माने जाने वाले राजस्थान के खान विभाग के प्रमुख शासन सचिव अशोक सिंघवी भ्रष्टाचार के आरोप में जेल में पड़े हुए हैं। राजे ही खान विभाग की केबिनेट मंत्री भी हैं। इसी प्रकार क्रिकेट के भस्मासुर ललित मोदी से कोई 12 करोड़ रुपए शेयर के नाम पर लेने के गंभीर आरोप भी राजे पर हैं। देखना है कि पीएम मोदी के नहीं आने के परिणाम क्या सामने आते हैं। 
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Thursday 19 November 2015

हाटॅ एयर बैलून पर अजमेर प्रशासन उलझा



अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पुष्कर मेले में इन दिनों उड़ रहे हॉट एयर बैलून की अनुमति को लेकर अजमेर प्रशासन उलझ गया है। एयर बैलून की उड़ान को अवैध बताते हुए अजमेर के पूर्व लोक अभियोजक विवेक पाराशर ने सिविल न्यायालय में एक वाद दयार किया है। इस वाद पर 19 नवम्बर को जब सुनवाई हुई, तो प्रशासन के अधिकारियों की ओर से कहा गया कि इस मामले में सोच समझ कर जवाब दिया जाएगा। न्यायालय ने 20 नवम्बर को फिर से सुनवाई निर्धारित की है। पाराशर ने आरोप लगाया है कि हॉट बैलून की उड़ान को लेकर जिला प्रशासन ने जो अनुमति दी है, वह पूरी तरह अवैध है। हॉट बैलून की अनुमति केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा दी जाती है। मंत्रालय के विशेषज्ञ ही संबंधित उड़ान क्षेत्र का निरीक्षण करते हैं और उसके बाद ही उपयुक्त मानते हुए अनुमति देते हैं। जिला प्रशासन में इस तरह के विशेषज्ञ है ही नहीं। वाद में कहा गया कि पुष्कर मेले में हॉट एयर बैलून की उड़ान जोखिम भरी है। बैलून की वजह से मेला क्षेत्र में गंभीर हादसा हो सकता है। वाद की गंभीरता को देखते हुए ही न्यायालय ने जिला प्रशासन को नोटिस जारी किए थे। प्रशासन को 19 नवम्बर को जवाब देना था, लेकिन जवाब के लिए एक दिन का और समय मांगा गया है। इधर, हॉट एयर बैलून वाली ई-फैक्टर इंटरटेनमेंट कंपनी में खलबली मच गई है। इस कंपनी को ही राज्य सरकार ने उच्च स्तर पर पुष्कर मेले में विभिन्न आयोजन करने का ठेका दिया है। यहां तक कि पुष्कर घाट पर होने वाले धार्मिक आयोजनों में भी कंपनी का दखल हो रहा है। कंपनी ने इस बात को स्वीकार किया है कि मेला मैदान पर एक ऐसा स्थान बनाया गया है, जहां से सभी कार्यक्रम सुविधाजनक तरीके से देखे जा सकते हैं। लेकिन इस आरक्षित स्थान पर प्रवेश के लिए पर्यटकों को एक हजार रुपए का भुगतान करना होगा। 
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आखिर कलेक्टर ने दे ही दिया पुष्कर के विधायक को सम्मान।



अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त तीर्थनगरी पुष्कर के भाजपा विधायक सुरेश सिंह रावत गदगद हंै। ऐतिहासिक पुष्कर मेले का झंडारोहण 19 नवम्बर को विधायक रावत ने ही किया। पुष्कर मेले में झंडा रोहण हमेशा जिला कलेक्टर के द्वारा ही किया जाता है। गत बार भी कलेक्टर डॉ. आरुषि मलिक ने ही झंडा रोहण किया था। गत बार मेले की तैयारियों को लेकर कलेक्टर और विधायक आमने-सामने भी हो गए थे, लेकिन इस बार कलेक्टर ने विधायक को झंडारोहण का अवसर देकर उत्साहित कर दिया। संभवत: पुष्कर मेले के इतिहास में यह पहला अवसर है, जब क्षेत्रीय विधायक ने झंडारोहण किया हैं। यही वजह है कि अब विधायक रावत बार-बार कह रहे है कि प्रशासन ने मेले में माकूल इंतजाम किए है। अब रावत कलेक्टर मलिक की प्रशंसा करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे है। झंडा रोहण की रस्म के साथ ही पांच दिवसीय पुष्कर मेले का आगाज भी हो गया है। 
महाआरती में भी सब खुश:
19 नवम्बर की शाम को पुष्कर के घाटों पर हुई महाआरती में भी जिला कलेक्टर मलिक ने सब को खुश कर दिया। तीर्थ पुरोहितों से लेकर पुष्कर के हितों के लिए चिता व्यक्त करने वाले सभी लोगों को महाआरती में शामिल कर लिया गया। पुष्कर के जिन जागरुक लोगों ने गत वर्ष मेले में कलेक्टर मलिक को देखा है, उनका कहना है कि इस बार कलेक्टर साहिबा में बहुत बदलाव है। ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया जा रहा है, जिसमें समस्याएं खड़ी होती हों। इसके विपरीत नाराज लोगों को भी छोटा-बड़ा काम देकर खुश किया जा रहा है। 22 नवम्बर को सीएम वसुंधरा राजे पुष्कर आएंगी। कलेक्टर को पूरा भरोसा है कि सीएम के सामने पुष्कर के लोग उनकी खूश प्रशंसा करेंगे। डॉ. मलिक को सार्वधिक प्रशंसा की उम्मीद विधायक रावत से ही है। 
भूल गए सलामी देना 
19 नवम्बर को मेला मैदान में प्रात: 9 बजे जब विधायक रावत ने झंडारोहण किया तो उपस्थित अधिकारी और अन्य अतिथि झंडे को सलामी देना ही भूल गए। इधर झंडा लहरने के साथ ही पुलिस बैंड ने राष्ट्रगान शुरू किया तो उधर अधिकांश लोग वापस अपनी कुर्सियों पर जाकर बैठ गए। कायदे से सभी लोगों को विधायक के साथ ही राष्ट्रगान के समय खड़े होकर झंडे के प्रति सम्मान प्रकट करना चाहिए था। 
अशोक टांक की पीड़ा
प्रतिवर्ष पुष्कर मेले में अंतर्राष्ट्रीय कलाकार अशोक टांक की सक्रिय भूमिका रहती है। मेले में टांक अपने ऊंट को आकर्षक ढंग से सजाते है। टांक ने वर्षों पहले ऊंट सजाने की जो परंपरा शुरू की वह आज भी जारी है। 19 नवम्बर को भी झंडा रोहण के समय टांक अपने ऊंट को सजा कर लाए, लेकिन टांक की अब यह पीड़ा है कि राज्य सरकार में ऊंट को संरक्षित पशु तो घोषित कर दिया, लेकिन इसके नियम अभी तक भी नहीं बनाए हैं। जिसकी वजह से ऊंटों का कारोबार करने वालों को भारी परेशानी हो रही है। टांक ने कहा है कि वे इस मामले को 22 नवम्बर को सीएम राजे के सामने उठाएंगे।
कम आए पंजाब के घोड़े:
प्रतिवर्ष पुष्कर मेले में पंजाब के घोड़े बिक्री के लिए बड़ी संख्या में आते रहे हैं। लेकिन इस बार पंजाब के घोड़ों की संख्या बहुत कम रही है। पंजाब के घोड़े खरीदने के लिए देशभर से व्यापारी और रईस परिवारों के लोग आते हैं, लेकिन इस बार ऐसे लोगों को मायूस होना पड़ा। मालूम हो कि पंजाब के युवा नशे में जकड़े हुए हैं, इससे शायद घोड़ों की नस्ल भी खराब हो गई है। 
कलेक्टर ने लगाई झाडू:
जिला कलेक्टर डॉ. आरुषि मलिक ने पुष्कर तीर्थ पुरोहित संघ के अध्यक्ष श्रवण पाराशर, मेला मजिस्ट्रेट हीरा लाल मीना सहित अन्य जनप्रतिनिधियों के साथ झाडू निकालकर 'मेरा स्वच्छ पुष्कर अभियानÓ की शुरुआत की। जिला कलेक्टर ने ब्रह्मा मंदिर के सामने मुख्य सड़क व दुकानों के नीचे पड़े कचरे को उठाकर दुकानदारों से अनुरोध किया कि वे अपनी दुकानों के बाहर पर्याप्त संख्या में डस्टबीन रखे और उनके यहां आने वाले ग्राहक व यात्रियों से कचरा डस्टबीन में डालने की व्यवस्था करें। उन्होंने कहा कि यदि दुकानदारों व नागरिकों द्वारा पूरा सहयोग मिला तो यह तीर्थ स्थल 'मेरा स्वच्छ पुष्करÓ कहलाएगा। जिला कलेक्टर डॉ. आरुषि मलिक ने ब्रह्मा मंदिर से ब्रह्म चौक बाजार तक पैदल चलकर सभी दुकानदारों को सफाई के बारे में व्यक्तिगत तौर पर समझाया।  उन्होंने पुष्कर घाटों पर भी जाकर सफाई की। नगर पालिका के पूर्व उपाध्यक्ष जयनारायण दग्दी सहित अन्य पार्षद सहित यात्रियों ने भी सफाई अभियान में अपनी भागीदारी निभायी।
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उद्योगपतियों और केन्द्रीय मंत्रियों की प्रशंसा से खुश होने के साथ-साथ वसुंधरा राजे आम व्यक्ति की समस्याओं का समाधान भी करें।



राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे इस बात से बेहद खुश होंगी कि 19 नवम्बर को जयपुर में हुए रिसर्जेन्ट राजस्थान के उद्घाटन समारोह में देश के प्रमुख उद्योगपतियों और प्रभावशाली केन्द्रीय मंत्रियों ने राजे की प्रशंसा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। सब ने कहा कि राजस्थान में देशी-विदेशी निवेश का शानदार माहौल है और राजस्थान की धरती सोना उगलती है। अडाणी, अम्बानी, टाटा, बिड़ला, गोदरेज, महिन्द्रा जैसे दिग्गज उद्योपतियों ने राजे की पीठ थपथपाने मे ंकोई कंजूसी नहीं की और अरुण जेटली, वैंकेया नायडू, सुरेश प्रभु, अन्नत कुमार आदि केन्द्रीय मंत्रियों ने तो देश का सबसे प्रगतिशील राज्य राजस्थान को ही माना। इसमें कोई दो राय नहीं कि किसी भी प्रदेश के विकास में बड़े उद्योगपतियों की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है। आज भी राजस्थान के युवा या तो विदेश जते हैं या फिर दिल्ली, मुम्बई, पूणे, बैंगलूरू आदि बड़े शहरों में नौकरी करते हैं। अभिभावक इस बात से परेशान है कि उनके पुत्र-पुत्रियों के लायक जयपुर में कोई कंपनी ही नहीं है। ऐसे माहौल में रिसर्जेंट राजस्थान सफल हो और उद्योगपति अपने वायदे के मुताबिक अपनी ईकाई राजस्थान में लगाए। लेकिन इसके साथ ही सीएम राजे को जमीनी हकीकत भी समझनी चाहिए। कोई 250 करोड़ रुपए खर्च कर रिसर्जेट राजस्थान के चकाचौंध वाले समारोह को सफल तो बनाया जा सकता है, लेकिन यह भी देखना होगा कि कहीं अपने प्रदेश के ही लघु उद्यमी तिल-तिल मर तो नहीं रहे हैं। इसी प्रकार मध्यमवर्गीय परिवार के लोग छोटे-छोटे कार्यों के लिए सरकारी दफ्तरों के धक्के तो नहीं खा रहे हैं। 
19 नवम्बर को रिसर्जेट राजस्थान के उद्घाटन समारोह को मैंने बारीक नजर से देखा। एक बार तो लगा कि मेरा राजस्थान ऑस्ट्रेलिया और सिंगापुर से भी आगे निकल गया  है, लेकिन जब प्रदेश की समस्याओं की ओर देखा तो लगा कि दीया तले अंधेरा है। मैं सीएम राजे को ज्यादा नहीं दो-चार सच्चाई से इस मौके पर अवगत कराना चाहता हंू। राजे को याद होगा कि कोई 10 माह पहले न्याय आपके द्वारा अभियान चलाया गया था, इस अभियान में लगें शिविरों में अधिकांश समस्याएं भूमि नामांतरण की थी। सरकार के राजस्व विभाग के पटवारियों और अन्य कार्यालयों ने काली कमाई करने के लिए दोषपूर्ण नामांतरण कर दिए। वार्किंग जमाबंदी से जब आधार जमाबंदी बनाई गई तो सरकारी कारिंदों ने उन खातेदारों के नाम दर्ज कर दिए, जिन्होंने अपनी भूमि का बेचान पूर्व में ही कर दिया था। राजे इस बात का पता लगा ले कि कैम्पों में लाखों शिकायतें इसी बात की मिली। जब सरकारी कारिंदों ने गलती या बेइमानी की तो फिर एक ही आदेश में सुधार हो जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जिन लोगों ने राजे के शिविर में आवेदन किए उनके आवेदन 10 माह बाद भी लंबित पड़े हैं। जिस व्यक्क्ति  ने पटवारी से लेकर नायब तहसीलदार, तहसीलदार और एसडीओ तक को रिश्वत दी, उसी का काम हो पाया है। यह तो हकीकत है ग्रामीण क्षेत्र की। अब राजे मैडम शहरी क्षेत्र की सच्चाई को जाने। आम व्यक्ति मकान बनाने के लिए नक्शे की मंजूरी को तरस रहा है। सरकार ने सड़कों की चौड़ाई के जो मापदंड निर्धारित किए हैं, उसके मुताबिक नक्शे स्वीकृत नहीं हो सके। ऐसे में अवैध निर्माणों की बाढ़ राजस्थान के हर शहर में है। सरकारी कारिंदों की मौज हो गई है। अवैध निर्माण को गिराने और सीज करने का डर दिखाकर जब चाहे तब वसूली की जा रही है। प्रदेश में बिजली पहले ही मंहंगी है और उस पर वार्षिक उपयोग के आधार पर सिक्यूरिटी राशि जिस प्रकार ली जा रही है, उससे तो लघु उद्यमियों की कमर ही टूट गई है। मंदी के इस दौर में फैक्ट्रियों के बिजली के बिल तक जमा करवाना मुश्किल हो रहा है। स्थानीय निकायों में जिस प्रकार भ्रष्टाचार व्याप्त है, उसका हाल तो और भी बुरा है। 
अडाणी और अम्बानी जैसे औद्योगिक घराने यह जानते है कि अफसरशाही से किस प्रकार काम करवाया जाता है। इसका भी एक उदाहरण दे रहा हंू। राजस्थान में रिलायंस के 4जी के मोबाइल टावर लग रहे हैं। स्थानीय निकास के निर्धारित शुल्क का भुगतान करने के बाद भी रिलायंस कंपनी ने प्रत्येक टावर पर पचास हजार रुपए रिश्वत निर्धारित कर रखी है। टावर लगाने के लिए मुकेश अम्बानी तो राजस्थान आएंगे नहीं, अम्बानी की कंपनी के कर्मचारी की काम करेंगे। अम्बानी को यह पता है कि राजे के राज में जब उनकी कंपनी का अधिकारी जयपुर नगर निगम या अजमेर नगर निगम के दफ्तर में जाएगा तो उसे दक्षिणा तो देनी ही पड़ेगी। मैंन देखा कि वेदांता ग्रुप के फाउंडर व चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने भी राजे की प्रशंसा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। यह वही वेदांता ग्रुप है जो भारत सरकार की नवरत्न कंपिनयों में से एक हिन्दुस्तान जिंक को हड़प कर गया। सब जानते हैं कि पूरे प्रदेश में वेदांता ग्रुप जो जिंक निकाल रहा है, वह सोने से कम नहीं है। वेदांता ग्रुप के खिलाफ कोई सुनने वाला नहीं है। चाहे अजेमर का घूघरा क्षेत्र हो या भीलवाड़ा का आगुचा। ऐसे ग्रुप के मालिक राजे की प्रशंसा तो करेंगे ही। राजे से पहले कांग्रेस के शासन में अशोक गहलोत की स्तुति इसी ग्रुप के द्वारा की जाती थी। राजे बड़े उद्योगों को आमंत्रित करें, यह अच्छी बात है, लेकिन यह भी देंखे कि इस प्रदेश के आम व्यक्ति की समस्याओं का समाधान हो रहा है या नहीं। 
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Wednesday 18 November 2015

पुष्कर मेले में आरती भी इवेंट कम्पनी करवाएगी तीर्थ पुरोहितों का विरोध दरकिनार



हिन्दुओं के तीर्थस्थल पुष्कर के कार्तिक मेले के इतिहास में यह पहला अवसर होगा जब मेले के दौरान सरोवर के किनारे आरती भी इवेन्ट कम्पनी करवाएगी। राजस्थान की भाजपा सरकार की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने इफेक्टर नामक इवेंट कंपनी को आरती सहित अन्य आयोजनों के लिए 70 लाख रुपए दिए है। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर पुष्कर में 5 दिवसीय धार्मिक आयोजन प्रतिवर्ष होते है। इस बार भी 19 नवम्बर से आयोजनों की शुरूआत होगी, जो 24 नवम्बर को पूर्णिमा स्नान के साथ समाप्त होंगे। पुष्कर मेले में आरती आयोजन तीर्थ पुरोहित ही करते है, लेकिन इस बार इफेक्टर नामक कम्पनी पुष्कर के घाटों पर आरती के इंतजाम करेगी। कम्पनी में आरती के आयोजन को देखने के लिए 22 नवम्बर को मुख्यमंत्री राजे स्वयं पुष्कर आएगी। घाट पर कम्पनी द्वारा आरती के आयोजन का तीर्थ पुरोहितों ने विरोध किया था लेकिन सरकार ने पुरोहितों के विरोध का दरकिनार कर दिया। हालांकि पुरोहितों ने इसे धार्मिक कार्यो में हस्तक्षेप माना है। असल में इस बार जिला प्रशासन भी इफेक्टर कम्पनी के सामने नतमस्तक है, चूंकि इस कम्पनी का चयन मुख्यमंत्री सचिवालय के स्तर पर हुआ है इसलिए प्रशासन के किसी भी अधिकारी की हिम्मत कम्पनी के कामकाज में दखल देने की नहीं है। जानकारों की माने तो अजमेर के प्रभारी मंत्री वासुदेव देवनानी और जिला कलेक्टर डॉ. आरू षी मलिक को भी यह नहीं पता कि पांच दिवसीय मेले में क्या कार्यक्रम होंगे तथा उनकी क्या तैयारियां चल रही है। औपचारिकता के लिए देवनानी ने मेले से पहले एक बैठक ली थी और कलेक्टर मेला क्षेत्र में इधर-उधर घूमकर टाइम पास कर रही है। कम्पनी के अधिकारी पुलिस को सिर्फ यह बता रहे है कि मेला क्षेत्र में किस स्थान पर कार्यक्रम होगा ताकि सुरक्षा के इंतजाम किए जाए। कार्यक्रम में क्या होगा अथवा क्या प्रस्तुतियां दी जाएगी इसकी जानकारी किसी को नहीं दी जा रही है। जिस मेला मैदान पर जिला कलेक्टर की तूती बोलती थी उस मैदान पर कम्पनी की सीईओ का डण्डा चल रहा है। मेला मैदान पर शाम के समय जो सांस्कृतिक और रंगारंग कार्यक्रम होते थे उनकी जगह अब कम्पनी के कलाकार प्रस्तुति देंगे। गंभीर बात यह है कि मेला मैदान पर एक हजार रुपए प्रवेश शुल्क रख दिया गया है। एक हजार रुपए का शुल्क कम्पनी ने अपने स्तर पर निर्धारित किया है। ई-फेक्टर की तरह एक और कम्पनी टीमवर्क को भी मेले के आयोजनों का ठेका दिया गया है। सूत्रों के अनुसार इस कम्पनी को ढाई करोड़ रुपए का भुगतान किया गया है। यह कम्पनी पुष्कर के निकट रेतीले भू-भाग में पशुपालकों के लिए कार्यक्रम प्रस्तुत करेगी। इसके अतिरिक्त कैलाश खेर जैसे सूफी गायकों को बुलाकर कार्यक्रम करवाए जाएंगे।
प्रशासन को राहत :
जिस तरह इवेंट कम्पनियों को ठेका दिया गया है उससे इस बार प्रशासन को राहत मिली है। पूर्व में मेले की व्यवस्थाओं के लिए जिला प्रशासन के अधिकारी उद्योगपतियों और व्यापारियों से दान एकत्रित करते थे। मेले के आयोजन के लिए राज्य सरकार कोई अतिरिक्त बजट नहीं देती थी लेकिन इवेंट कंपनी को करोड़ों रुपए का भुगतान करने में वसुंधरा सरकार ने कोई कंजूसी नहीं दिखाई है। इस बार प्रशासन को दान के लिए उद्योगपतियों के आगे झोली नहीं फैलानी पड़ी। सूत्रों की माने तो सीएम राजे जिले के भाजपा नेताओं, मंत्रियों, विधायकों अथवा प्रशासनिक अधिकारियों के बुलावे पर नहीं आ रही बल्कि इवेंट कंपनियों के आग्रह पर पुष्कर मेले में आ रही है।
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क्या मायने रखते हैं आतंकवाद पर बराक ओबामा और दरगाह दीवान आबेदीन के बयान



कुख्यात इस्लामिक आतंकी संगठन आईएस के हाल ही के फ्रांस हमले के बाद अमरीका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा कि आतंकवाद पर मुस्लिम प्रतिनिधियों को जितनी मजबूती के साथ विरोधी करना चाहिए, उतना होता नहीं है। इसलिए आतंककारियों के हौंसले बुलंद होते हैं। बराक ओबामा के विचारों के आसपास ही मुस्लिम धर्मगुरु जैनुअल आबेदीन ने कहा है कि आतंकवाद के विरोध में मुसलमानों को एकजुट होना चाहिए। सब जानते हैं कि बराक ओबामा की पृष्ठ भूमि मुस्लिम परिवार की रही है तथा जैनुअल आबेदीन अजमेर स्थित संसार प्रसिद्ध सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के दीवान हैं। दीवान की हैसियत से ही आबेदीन का दुनियाभर के मुसलमानों के बीच मान सम्मान है। आबेदीन ने फ्रांस पर हुए आईएस के हमले के बाद एक बयान जारी कर कहा कि  आतंकवादी इस्लाम के ही दुश्मन नहीं है, बल्कि मानवता के दुश्मन भी हंै। दुनियाभर में आतंकवाद और चरमपंथियों की चुनौतियों से मुकाबले के लिए इमामों, धार्मिक नेताओं और अन्य विद्वानों को आगे आना चाहिए। उन्होंने माना कि कुछ लोग इस्लाम की छवि खराब कर रहे हैं। दुनियाभर में तेजी से बढ़ रहे आतंकवाद के संदर्भ में ओबामा और दीवान आबेदीन के बयान कितने मायने रखते हैं,इसका पता आने वाले दिनों में चलेगा। ऐसा नहीं कि इन दोनों नेताओं ने पहली बार बयान दिया हो। दुनिया में जब-जब भी आईएस जैसे आतंकी संगठन हिंसक वारदातें करते हैं, तब-तब ओबामा और आबेदीन ऐसे ही बयान जारी करते हैं, लेकिन न तो ओबामा की पहल पर मुस्लिम प्रतिनिधियों ने मजबूती के साथ आतंकारियों का विरोध किया और न ही दीवान आबेदीन के आह्वान पर मुसलमान आतंकवाद के खिलाफ एकजुट हुए। इसमें कोई दोराय नहीं कि इन दोनों ही नेताओं के बयान हर समय एक अच्छी पहल होते हंै, लेकिन यह देखने में आया है कि आतंकवादी एक के बाद एक बड़ी वारदात को अंजाम देते हैं। 
यहां यह बात भी महत्त्वपूर्ण है कि इस्लामी आतंकी संगठन सिर्फ ईसाई अथवा हिन्दुओं को ही निशाना नहीं बनाते, बल्कि मुस्लिमों को भी बेरहमी से मौत के घाट उतारते है। गत वर्ष पाकिस्तान में एक सैनिक स्कूल में आतंकी हमला कर छोटे-छोटे मुस्लिम बच्चों को बेदर्दी से मौत की नींद सुला दिया गया। जिन भी इस्लामिक देशों में आतंकी वारदातें हो रही हैं, वहां आंतकियों के सामने सरकारें लाचार हैं। वर्तमान में इराक, इरान, अफगानिस्तान, बंग्लादेश, पाकिस्तान, सीरिया आदि देशों के ऐसे ही हालात हैं। ओबामा कोई सात साल पहले जब अमरीका के राष्ट्रपति बने थे, तब यह उम्मीद जताई गई थी कि यूरोप के देशों के संबंध इस्लामिक देशों से सुधरेंगे। इसके लिए ओबामा ने भी इराक से अमरीकी फौजों को वापस बुलाने का फैसला किया। लेकिन इसके बावजूद भी संबंधों में अपेक्षित सुधार नहीं हो पाया। अब तो इस्लामिक आतंकी संगठन ओबामा को भी अपना दुश्मन नम्बर वन मानते हैं। यूरोप और इस्लामिक देशों के बीच जो तनावपूर्ण हालात हैं, उसका सबसे ज्यादा असर भारत पर पड़ेगा। वैसे भी भारत की सीमाएं पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बंग्लोदश आदि से लगी हुई हैं। ऐसे माहौल में ख्वाजा साहब की दरगाह के दीवान का बयान आतंकी संगठनों को सकारात्मक सोच के साथ ग्रहण करना चाहिए। सब लोग मानते हैं कि आतंकवाद के इस माहौल में ख्वाजा साहब का सूफीवाद ही शांति का रास्ता निकाल सकता है। 
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