Thursday 5 November 2015

फाउंडेशन फ्यिोर दी लोटो से सीख ले सरकार। 500 होनहार बालिकाएं बढ़ रही हैं आगे। शिक्षा खासकर बालिका शिक्षा पर केन्द्र


और राज्य सरकारें करोड़ों रुपए पूरा करती हंै, लेकिन इसके बाद भी सार्थक  परिणाम सामने नहीं आते। लेकिन वहीं अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पुष्कर में फाउंडेशन फ्यिोर दी लोटो इंडिया नाम का संस्थान बगैर किसी सरकारी सहयोग के आज 500 से भी ज्यादा बालिकाओं की शिक्षा का खर्च वहन कर रहा है। न केवल शिक्षा बल्कि बालिकाओं के सभी परिधान जूते, मौजे और घर की अन्य जरुरतों को भी संस्थान द्वारा पूरा किया जाता है। फाउंडेशन की स्थापिका मारा सान्द्री व गोदालुप तापिया पायकर व अध्यक्ष ज्योतिस्वरूप महर्षि (दीपू) स्वयं पुष्कर के आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर आर्थिक दृष्टि से कमजोर परिवारों की बालिकाओं का चयन करते हैं, बालिका को उसके घर से पुष्कर के स्कूल तक लाने की जिम्मेदारी भी इसी संस्था की है। यानि इस संस्था में जिस बालिका ने प्रवेश पा लिया फिर उसकी सभी जरुरतें संस्था द्वारा पूरी की जाती है। बालिका को तीन चार वर्ष की उम्र से ही गोद ले लिया जाता है। आठवीं कक्षा तक संस्था का स्वयं का स्कूल है, लेकिन आठवीं के बाद भी उच्च शिक्षा तक की सम्पूर्ण जिम्मेदारी संस्था द्वारा ही निभाई जाती है। उच्च शिक्षा पर चाहे कितनी भी राशि खर्च हो, सभी का वहन संस्था करती है। 
दीपावली ड्रेस का वितरण:
समाज और सरकार के लिए प्रेरणा बनी संस्था ने 5 नवम्बर को पुष्कर में एक समारोह आयोजित किया। समारोह में संस्था से जुड़ी 500 से भी ज्यादा सभी बालिकाओं को दीपावली पर्व की डे्रस दी गई। ऐसा नहीं कि मुफ्त में दी जा रही ड्रेस दिल्ली के किसी कबाड़ी बाजार से खरीद कर लाई गई हो और फिर बालिकाओं को दी गई हो। दीपावली डे्रस के लिए एक-एक बालिका को नाम लिया गया और फिर राजस्थानी संस्कृति के अनुरूप डे्रस को तैयार किया गया। बालिका के लिए इससे ज्यादा खुशी का कोई अवसर नहीं हो सकता। संस्था के अध्यक्ष ज्योतिस्वरूप महर्षि ने बताया कि इस तरह के आयोजन साल में दो बार आयोजित किए जाते हैं। इतना ही नहीं कुछ परिवारों को तो पक्के मकान भी बना  कर दिए गए हैं। समारोह में अजमेर नगर निगम के पूर्व उपमाहपौर सोमरत्न आर्य, पुष्कर भाजपा मंडल के अध्यक्ष पुष्कर नारायण भाटी, पत्रकार नाथू शर्मा, ईश्वर पाराशर आदि ने भी अपने विचार रखे। समारोह में मनबेला और थॉमस ने भी अपने विचार रखे। संस्था की संस्थापिका मारा सान्द्री का शुभाकमनाओं वाला ऑडियो टेप सुनाया गया। समारोह का संचालन अनिल पाराशर ने किया। 
बालिका शिक्षा को सामाजिक सरोकारों से जोड़ा जाए:
संस्था के पदाधिकारियों ने मुझे समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया। संस्था के उद्देश्य को देखते हुए मैंने समारोह में शामिल होने की सहमति दी। समारोह में मैंने सुझाव दिया कि बालिका शिक्षा को सामाजिक सरोकार से जोड़ा जाए, जब संस्था के पदाधिकारी ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर आर्थिक दृष्टि से कमजोर परिवारों की बालिकाओं का चयन करते हैं, तब बालिका के परिवार के पुरुष सदस्य से शराब, तम्बाकू, गुटखा व अन्य नशीले पदार्थों का सेवन न करने का संकल्प भी करवाया जावे। 
संबंधित बालिका को भी ऐसी शिक्षा दे, जिससे वे अपने घर में किसी को भी शराब आदि का सेवन न करने दें। मैंने यह भी सुझाव दिया कि संस्था को कोई सरकारी सुविधा नहीं लेनी चाहिए, स्वयं का स्कूल भवन बनाने के लिए भी आम लोगों से ही सहयोग लिया जाए। मैंने संस्था के पदाधिकारियों से आग्रह किया कि वे यह नहीं कहें कि हम गरीब बालिकाओं को सम्पूर्ण शिक्षा दे रहे हैं। गरीब कहना बालिका के सम्माान को ठेस पहुंचाना है। यदि संस्था को अपनी प्रगति किसी को बतानी ही है, तो उसे यह कहना चाहिए कि हम होनहार बालिकाओं को आगे बढ़ा रहे हैं। संस्था को कुछ ऐसी बालिकाओं पर फोकस करना चाहिए जो डॉक्टर, इंजीनियर, आईएएस, आईपीएस बन सके। बालिकाओं में जबरदस्त उत्साह और उमंग था। हर बालिका अपनी क्षमता से ज्यादा योग्यता दिखाने को आतुर थी। समारोह में जिस तरह से बालिकाएं अनुशासित रही, उससे प्रतीत हो रहा था कि संस्था को चलाने वाले जबरदस्त मेहनत कर रहे हैं। भले ही आर्थिक दृष्टि से कमजोर परिवारों की बालिकाओं को लाया गया हो, लेकिन मुझे पूरे समारोह में एक भी बालिका मानसिक और शारीरिक दृष्टि से कमजोर नजर नहीं आई। ऐसा लगा कि जैसे ये बालिकाएं किसी मोटी फीस वाले पब्लिक स्कूल की स्टूडेंट हैं। 
चार हजार का लक्ष्य:
समारोह में संस्था के अध्यक्ष महर्षि ने कहा कि वर्तमान में 501 बालिकाएं अध्ययन कर रही हैं, लेकिन संस्था का लक्ष्य चार हजार बालिकाओं को आगे बढ़ाने का है। उन्होंने बताया कि संस्था की श्ुारुआत एक जुलाई 2003 को मात्र 42 बालिकाओं के साथ हुई थी। इसके साथ ही अक्टूबर 2004 से 31 वृद्धों को 400 रुपए मासिक पेंशन, 31 परिवारों को प्रतिमाह खाद्य सामग्री आदि के कार्य भी किए जा रहे हैं। 
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-9829071511

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