Tuesday 10 November 2015

बिना तनाव के दिन गुजरे, तो रोज है दीपावली दीपावली का पर्व क्यों मनाया जाता है, इसके


 बारे में तो मैं कुछ नहीं लिख रहा हँू क्योंकि सब लोग जानते हैं। मुझे यह भी पता है कि दीपावली का पर्व मनाने के लिए लोग क्या-क्या जतन करते हैं। कुछ लोग जश्न मनाने के लिए कई दिन तैयारियां करते हैं जो जिस प्रवृति का है, वह उसी के अनुरूप दीपावली का पर्व मनाता है, लेकिन मेरा मानना है कि यदि आपका दिन बिना तनाव के गुजरे तो उसी दिन ही दीपावली है। ऐसा नहीं हो सकता कि आपके जीवन में बहुत सारे तनाव हो और फिर आप एक या दो दिन दीपावली का जश्न मनाएं। यदि आपके घर परिवार में सुख शांति है तो सच मानिए आप रोज दीपावली का जश्न मना रहे हैं। 
यदि किसी परिवार में बेटा शराब पीकर देर रात को घर आ रहा है या बेटी ऐसा कोई काम कर रही है जिसकी वजह से माता-पिता चिंतित हैं तो फिर ऐसी दीपावली के कोई मायने नहीं है। यदि कोई पत्नी अपने पति की शराब और जुआ की लत से दु:खी है तो उस परिवार में भी दीपावली के कोई मायने नहीं है। यदि आपने लाखों रुपए का ऋण ले रखा है और उसे चुकाना मुश्किल है तो भी दीपावली के कोईमायने नहीं है। परिवार के सदस्यों में आपसी क्लेश है तो भी दीपावली के कोई मायने नहीं है। यदि परिवार में बुजुर्ग सदस्यों का सम्मान नहीं हो रहा है, तो भी दीपावली का जश्न नहीं मनाया जाना चाहिए। जिन परिवारों के सदस्य अस्पताल में भर्ती हैं, उनसे जाना जा सकता है कि दीपावली के जश्न के क्या मायने है। जिन परिवारों के सदस्य जेल में हैं वे भी बता सकते हैं कि दीपावली इस बार कैसी है। दीपावली के अवसर पर पटाखे चलाने, नई वस्तुएं खरीदने, घर पर रोशनी करने, मिठाइयां खाने आदि से ही कोई जश्न नहीं होता, बल्कि परिवार के सभी सदस्य स्वस्थ रहकर एक साथ सुख शांति से रहे तभी दीपावली मनाने के मायने हैं। 
दूसरों की मदद कर मनाएं:
असल दीपावली तो तभी है, जब आपकी वजह से दूसरे को खुशी मिले। अपने लिए तो सभी जीते हैं, लेकिन दूसरे के लिए जीना ही जीना होता है। यदि हम इस दीपावली पर किसी जरूरतमंद व्यक्ति को खुशी दे सके तो यह ज्यादा अच्छा होगा और नहीं तो कम से कम एक ऐसे व्यक्ति से बात कर ले, जो अब तक आपसे नाराज है। यदि हर एक व्यक्ति ने अपने से नाराज व्यक्ति से संवाद कर लिया तो आप कल्पना कीजिए की समाज में कितना सुंदर वातावरण बनेगा।
सोशल मीडिया पर दीपावली:
सोशल मीडिया पर सक्रिय अनेक लोग दीपावली की शुभकामनाएं देने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। यह अभियान अभी दो-तीन और चलेगा। वाट्सएप पर दिनभर शुभकामनाओं का दौर चल रहा है। मजे की बात यह है कि जो लोग ऐसी शुभकामनाएं दे रहे हैं, उनमें से अनेक अपने पड़ौसी से भी बात नहीं करते हैं। समझ में नहीं आता कि सोशल मीडिया पर शुभकामनाएं देने से क्या हो जाएगा।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511

No comments:

Post a Comment