Monday 16 November 2015

अवार्ड लौटाने वालों को राष्ट्रपति ने लताड़ा



बिहार में नरेन्द्र मोदी और भाजपा की हार हो जाने के बाद अब कोई साहित्यकार, लेखक, फिल्मकार आदि अपने अवार्ड नहीं लौटा रहे हैं, लेकिन बिहार चुनाव के दौरान जिन लोगों ने अवार्ड लौटाए उन्हें राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने लताड़ लगाई है। 16 नवम्बर को नेशनल प्रेस डे के समारोह में बुद्धिजीवियों  को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि सम्मान की कद्र होनी चाहिए। यह मेहनत और प्रतिभा का सार्वजनिक सम्मान है। ऐसे अवार्ड  को संजोए और सम्मान करें। संवेदनशील लोग कुछ घटनाओं से परेशान होने की बजाए बहस और तर्क करें। उसमें कोई दो राय नहीं कि राष्ट्रपति ने दो टूक शब्दों में स्पष्ट कर दिया है कि अवार्ड लौटाना गलत है। हम सब जानते हैं कि राष्ट्रपति पद संवैधानिक है और उसका दलगत राजनीति से कोई सरोकार नहीं होता है। यह माना कि राष्ट्रपति बनने से पहले प्रणब मुखर्जी लम्बे समय तक कांग्रेस के नेता रहे। मुखर्जी कांग्रेस की सरकारों में प्रभावी मंत्री भी रहे। 
गत कांग्रेस के शासन में जब प्रणब मुखर्जी को राष्ट्रपति बनाया गया, तब कांग्रेस के अधिकांश नेताओं ने यही माना कि वे राष्ट्रपति भवन में बैठ कर कांगेस के हितों की रक्षा करेंगे, लेकिन राष्ट्रपति ने 16 नवम्बर को निष्पक्ष नजरिए से अपनी बात को रखा। जो कांग्रेस अवार्ड लौटाने के मुद्दे पर हाय-तौबा मचा रही थी उस कांग्रेस को भी राष्ट्रपति ने जवाब दे दिया। 
अब क्यों नहीं लौटा रहे अवार्ड:
राष्ट्रपति की सीख अपनी जगह है, लेकिन यह सवाल उठता है कि अब अवार्ड क्यों नहीं लौटाए जा रहे हैं? क्या देश में असहिष्णुता का दौर समाप्त हो गया है? क्या कुछ साहित्यकारों, लेखकों और फिल्मकारों को सिर्फ बिहार चुनाव के दौरान ही असहिष्णुता का अहसास हो रहा था? क्या बिहार में नरेन्द्र मोदी और भाजपा की हार के बाद देश में चारों तरफ सामप्रदायिक सद्भावना का माहौल हो गया है? पूर्व में जब कुछ बुद्धिजीवी अपने अवार्ड लौटा रहे थे, तब भी आरोप लगे थे कि अवार्ड लौटाने वाले कांग्रेस के इशारे पर ऐसा कर रहे हैं। अब जब अवार्ड लौटाने का सिलसिला बंद हो गया है, तब माना जा रहा है कि आरोप सही थे। 
अकबुरुद्दीन को ही बनाया भारत का प्रतिनिधि:
मुसलमानों को लेकर कांग्रेस के नेता कुछ भी कहें, लेकिन केन्द्र सरकार ने एक बार फिर निष्पक्ष निर्णय लेते हुए सैय्यद अकबरुद्दीन को ही संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत का स्थाई प्रतिनिधि नियुक्त किया है। आकबरुद्दीन को गत कांग्रेस के शासन में विदेश मंत्रालय में प्रवक्ता बनाया गया था। नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनने के बाद भी अकबरुद्दीन ही विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता बने रहे। अकबरुद्दीन हाल ही में ही प्रवक्ता के पद से तभी हटे, जब उनकी विदेश मंत्रालय से सेवा निवृत्ति हो गई। लेकिन अकबरुद्दीन ने दुनिया भर में जिस तरह भारत का पक्ष रखा, उसे देखते हुए ही अब मोदी सरकार ने अकबरुद्दीन को संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत का स्थाई प्रतिनिधि नियुक्त किया है। 14 नवम्बर को भी मोदी ने इंग्लैंड में कहा था कि राजस्थान के अलवर शहर में रहने वाले इमरान खान में भारत बसता है। मालूम हो कि इमरान ने 52 कम्प्यूटर एप्लीकेशन निर्मित की हैं, जो स्कूली शिक्षा को सरल बनाते हैं। 
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511

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