Thursday 19 November 2015

उद्योगपतियों और केन्द्रीय मंत्रियों की प्रशंसा से खुश होने के साथ-साथ वसुंधरा राजे आम व्यक्ति की समस्याओं का समाधान भी करें।



राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे इस बात से बेहद खुश होंगी कि 19 नवम्बर को जयपुर में हुए रिसर्जेन्ट राजस्थान के उद्घाटन समारोह में देश के प्रमुख उद्योगपतियों और प्रभावशाली केन्द्रीय मंत्रियों ने राजे की प्रशंसा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। सब ने कहा कि राजस्थान में देशी-विदेशी निवेश का शानदार माहौल है और राजस्थान की धरती सोना उगलती है। अडाणी, अम्बानी, टाटा, बिड़ला, गोदरेज, महिन्द्रा जैसे दिग्गज उद्योपतियों ने राजे की पीठ थपथपाने मे ंकोई कंजूसी नहीं की और अरुण जेटली, वैंकेया नायडू, सुरेश प्रभु, अन्नत कुमार आदि केन्द्रीय मंत्रियों ने तो देश का सबसे प्रगतिशील राज्य राजस्थान को ही माना। इसमें कोई दो राय नहीं कि किसी भी प्रदेश के विकास में बड़े उद्योगपतियों की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है। आज भी राजस्थान के युवा या तो विदेश जते हैं या फिर दिल्ली, मुम्बई, पूणे, बैंगलूरू आदि बड़े शहरों में नौकरी करते हैं। अभिभावक इस बात से परेशान है कि उनके पुत्र-पुत्रियों के लायक जयपुर में कोई कंपनी ही नहीं है। ऐसे माहौल में रिसर्जेंट राजस्थान सफल हो और उद्योगपति अपने वायदे के मुताबिक अपनी ईकाई राजस्थान में लगाए। लेकिन इसके साथ ही सीएम राजे को जमीनी हकीकत भी समझनी चाहिए। कोई 250 करोड़ रुपए खर्च कर रिसर्जेट राजस्थान के चकाचौंध वाले समारोह को सफल तो बनाया जा सकता है, लेकिन यह भी देखना होगा कि कहीं अपने प्रदेश के ही लघु उद्यमी तिल-तिल मर तो नहीं रहे हैं। इसी प्रकार मध्यमवर्गीय परिवार के लोग छोटे-छोटे कार्यों के लिए सरकारी दफ्तरों के धक्के तो नहीं खा रहे हैं। 
19 नवम्बर को रिसर्जेट राजस्थान के उद्घाटन समारोह को मैंने बारीक नजर से देखा। एक बार तो लगा कि मेरा राजस्थान ऑस्ट्रेलिया और सिंगापुर से भी आगे निकल गया  है, लेकिन जब प्रदेश की समस्याओं की ओर देखा तो लगा कि दीया तले अंधेरा है। मैं सीएम राजे को ज्यादा नहीं दो-चार सच्चाई से इस मौके पर अवगत कराना चाहता हंू। राजे को याद होगा कि कोई 10 माह पहले न्याय आपके द्वारा अभियान चलाया गया था, इस अभियान में लगें शिविरों में अधिकांश समस्याएं भूमि नामांतरण की थी। सरकार के राजस्व विभाग के पटवारियों और अन्य कार्यालयों ने काली कमाई करने के लिए दोषपूर्ण नामांतरण कर दिए। वार्किंग जमाबंदी से जब आधार जमाबंदी बनाई गई तो सरकारी कारिंदों ने उन खातेदारों के नाम दर्ज कर दिए, जिन्होंने अपनी भूमि का बेचान पूर्व में ही कर दिया था। राजे इस बात का पता लगा ले कि कैम्पों में लाखों शिकायतें इसी बात की मिली। जब सरकारी कारिंदों ने गलती या बेइमानी की तो फिर एक ही आदेश में सुधार हो जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जिन लोगों ने राजे के शिविर में आवेदन किए उनके आवेदन 10 माह बाद भी लंबित पड़े हैं। जिस व्यक्क्ति  ने पटवारी से लेकर नायब तहसीलदार, तहसीलदार और एसडीओ तक को रिश्वत दी, उसी का काम हो पाया है। यह तो हकीकत है ग्रामीण क्षेत्र की। अब राजे मैडम शहरी क्षेत्र की सच्चाई को जाने। आम व्यक्ति मकान बनाने के लिए नक्शे की मंजूरी को तरस रहा है। सरकार ने सड़कों की चौड़ाई के जो मापदंड निर्धारित किए हैं, उसके मुताबिक नक्शे स्वीकृत नहीं हो सके। ऐसे में अवैध निर्माणों की बाढ़ राजस्थान के हर शहर में है। सरकारी कारिंदों की मौज हो गई है। अवैध निर्माण को गिराने और सीज करने का डर दिखाकर जब चाहे तब वसूली की जा रही है। प्रदेश में बिजली पहले ही मंहंगी है और उस पर वार्षिक उपयोग के आधार पर सिक्यूरिटी राशि जिस प्रकार ली जा रही है, उससे तो लघु उद्यमियों की कमर ही टूट गई है। मंदी के इस दौर में फैक्ट्रियों के बिजली के बिल तक जमा करवाना मुश्किल हो रहा है। स्थानीय निकायों में जिस प्रकार भ्रष्टाचार व्याप्त है, उसका हाल तो और भी बुरा है। 
अडाणी और अम्बानी जैसे औद्योगिक घराने यह जानते है कि अफसरशाही से किस प्रकार काम करवाया जाता है। इसका भी एक उदाहरण दे रहा हंू। राजस्थान में रिलायंस के 4जी के मोबाइल टावर लग रहे हैं। स्थानीय निकास के निर्धारित शुल्क का भुगतान करने के बाद भी रिलायंस कंपनी ने प्रत्येक टावर पर पचास हजार रुपए रिश्वत निर्धारित कर रखी है। टावर लगाने के लिए मुकेश अम्बानी तो राजस्थान आएंगे नहीं, अम्बानी की कंपनी के कर्मचारी की काम करेंगे। अम्बानी को यह पता है कि राजे के राज में जब उनकी कंपनी का अधिकारी जयपुर नगर निगम या अजमेर नगर निगम के दफ्तर में जाएगा तो उसे दक्षिणा तो देनी ही पड़ेगी। मैंन देखा कि वेदांता ग्रुप के फाउंडर व चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने भी राजे की प्रशंसा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। यह वही वेदांता ग्रुप है जो भारत सरकार की नवरत्न कंपिनयों में से एक हिन्दुस्तान जिंक को हड़प कर गया। सब जानते हैं कि पूरे प्रदेश में वेदांता ग्रुप जो जिंक निकाल रहा है, वह सोने से कम नहीं है। वेदांता ग्रुप के खिलाफ कोई सुनने वाला नहीं है। चाहे अजेमर का घूघरा क्षेत्र हो या भीलवाड़ा का आगुचा। ऐसे ग्रुप के मालिक राजे की प्रशंसा तो करेंगे ही। राजे से पहले कांग्रेस के शासन में अशोक गहलोत की स्तुति इसी ग्रुप के द्वारा की जाती थी। राजे बड़े उद्योगों को आमंत्रित करें, यह अच्छी बात है, लेकिन यह भी देंखे कि इस प्रदेश के आम व्यक्ति की समस्याओं का समाधान हो रहा है या नहीं। 
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511

No comments:

Post a Comment