Monday 30 November 2015

असहिष्णुता पर संसद में बहस देश के माहौल को और खराब करेगी।



देश में असहिष्णुता को लेकर 30 नवम्बर को लोकसभा में जोरदार बहस हुई। बहस की शुरुआत ही माहौल को खराब करने से हुई। सीपीआई के सांसद मोहम्मद सलीम ने नरेन्द्र मोदी के पीएम बनने को लेकर जो टिप्पणी की, उस पर गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने नाराजगी जताई। इसके बाद सलीम के कथन को लोकसभा की कार्यवाही से बाहर कर दिया गया। देश में लगातार बढ़ रही आतंकवादी घटनाओं को लेकर माहौल पहले ही खराब है और उस पर संसद में जिस तरह से बयान दिए जा रहे हैं, उससे तो माहौल और खराब होगा। बहस को सुनने से प्रतीत होता है कि विपक्षी दलों के नेताओं को सरकार पर हमला करने का शानदार अवसर मिल गया है। नरेन्द्र मोदी भले ही कश्मीर में जाकर दीपावली मनाए अथवा अपने भाषणों में कानपुर की नूरजहां और अलवर के इमरान के उल्लेखनीय कार्य का बखान करें, लेकिन फिर भी विपक्ष का यही कहना है कि केन्द्र की भाजपा सरकार के कृत्य से हिन्दू और मुसलमानों के बीच फसाद हो रहा है। बार-बार विपक्षी नेताओं ने यही कहा कि साम्प्रदायिक तनाव और आतंकी घटनाएं इसलिए हो रही है कि केन्द्र में मोदी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार चल रही है। मोहम्मद सलीम का तो यहां तक कहना था कि कांग्रेस के शासन में जब अलकायदा का जोर था, तब कश्मीर अथवा देश के दूसरे हिस्सों के मुस्लिम युवक कभी भी अलकायदा की ओर आकर्षित नहीं हुए। लेकिन वर्तमान दौर में मुस्लिम युवा आईएस जैसे आतंकी संगठन की ओर आकर्षित हो रहे हैं। समझ में नहीं आता कि संसद में बहस किस दिशा में जा रही है। विपक्ष के जो नेता पूर्व में संसद के बाहर जो आरोप लगाते थे, उससे भी ज्यादा गंभीर आरोप संसद में लगाए जा रहे हैं। लेकिन कोई भी नेता यह नहीं बता रहा कि आखिर सरकार को करना क्या चाहिए? या इस सरकार ने ऐसा कौनसा काम किया है, जिसकी वजह से यह जाहिर होता हो कि आम मुसलमानों पर अत्याचार हो रहे हैं। अच्छा हो कि संसद में इस मुद्दे पर एक सार्थक बहस हो और विपक्ष के नेता उन बिन्दुओं पर बोलें,जिनसे केन्द्र सरकार को कटघरे में खड़ा किया जा सके। क्या सिर्फ केन्द्र में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बन जाने से ही देश में असहिष्णुता नहीं हो जाती? आज जो लोग असहिष्णुता का आरोप लगा रहे हैं, उन्हें यह भी समझना चाहिए कि आजादी के बाद 50-55 वर्षों तक देश में कांग्रेस और उनके सहयोगी दलों का ही शासन रहा है। नरेन्द्र मोदी कोई सेना के भरोसे तख्ता पलट कर पीएम नहीं बने हैं, बल्कि देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था के अंतर्गत पीएम बने हैं। देश की जनता ने पूर्ण बहुमत देकर केन्द्र में भाजपा की सरकार बनाई है। सरकार से मतभेद होना आम बात है और विपक्षी नेताओं को सरकार की कमजोरियों को ही सामने लाना चाहिए। जिस तरह से असहिष्णुता पर संसद में बहस हो रही है, उससे तो आतंकवादियों को ही बल मिलेगा। नेताओं को यह भी समझना चाहिए कि देश की जमीनी हकीकत क्या है।
हैड कांस्टेबल गिरफ्तार:
दिल्ली पुलिस ने 30 नवम्बर को बीएसएफ के हैड कांस्टेबल अब्दुल रशीद को गिरफ्तार किया है। अब्दुल रशीद जम्मू के राजौरी क्षेत्र में तैनात था। रशीद पर आरोप है कि बीएसएफ की गोपनीय जानकारी चुरा कर पाकिस्तान की कुख्यात एजेंसी आईएसआई को दे रहा था। पुलिस ने इसके साथ चार अन्य युवकों को भी गिरफ्तार किया है। इन चारों युवकों पर आईएसआई का एजेंट होने का आरोप है। पुलिस के अनुसार पाक एजेंटों ने हर सूचना के एक-एक लाख रुपए रशीद को दिए हैं। पुलिस अब इस मामले में गहन जांच पड़ताल कर रही है। पुलिस को यह भी जानकारी मिली कि पाक एजेंट नई दिल्ली में पाकिस्तान उच्चायोग के किसी अधिकारी से मिलने वाले थे। 

(एस.पी. मित्तल)
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