Monday 2 November 2015

केन्द्र के दबाव से हटाया नवदीप सिंह को एसीबी से।



वसुंधरा सरकार की फिर हुई किरकिरी। 
राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे ने 2 नवम्बर को अचानक गृह विभाग के कार्य की समीक्षा की और एसीबी के डीजपी नवदीप सिंह को हटाने का फैसला किया। नवदीप सिंह के साथ ही आईजी हवा सिंह घुमरिया को भी एसीबी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। कहा जा रहा है कि इन दोनों अधिकारियों ने सरकार के काम काज को लेकर दैनिक भास्कर के 31 अक्टूबर के अंक में जो बयान दिया, उसी की वजह से दोनों को एसीबी से हटाया गया है। यह तो सरकार का अपना तर्क हो सकता है, लेकिन सच्चाई यह है कि एक बार फिर केन्द्र सरकार के दबाव में वसुंधरा सरकार को कार्यवाही करने पड़ी। यदि भास्कर में बयानबाजी ही आधार है, तो आईजी दिनेश एम.एन. के खिलाफ भी कार्यवाही होनी चाहिए थी, क्योंकि दिनेश ने भी हवा सिंह की तरह ही डीजी नवदीप सिंह पर अपराधियों को बचाने का आरोप लगाया था। लेकिन सीएम राजे ने दिनेश एम.एन. को एसीबी से हटाने की हिम्मत नहीं दिखाई, क्योंकि दिनेश एम.एन.के जरिए ही वसुंधरा सरकार की कार गुजारियां केन्द्र सरकार तक पहुंची हंै। यह सब जानते हैं कि बहुचर्चित सोहराबुद्दीन एनकाउंटर की वजह से दिनेश एम.एन. का भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से सीधा संवाद है। सब जानते हैं कि राजस्थान के बहुचर्चित खान आवंटन घोटाले को उजागर करने में आईजी दिनेश की ही भूमिका रही। दिनेश ने ही बड़ा ऑपरेशन कर खान आवंटन में भ्रष्टाचार को पकड़ा और वसुंधरा सरकार के खान विभाग प्रमुख शासन सचिव अशोक सिंघवी सहित दस अधिकारियों और प्रभावशाली व्यक्तियों को गिरफ्तार किया। ऐसे लोग अभी भी जेल में ही पड़े हुए हैं। सीएम राजे ने जब नवदीप सिंह को एसीबी का डीजी बनाया था, तब भी राजनीतिक और पुलिस महकमे में आचश्र्य व्यक्त किया गया था, क्योंकि नवदीप सिंह की पत्नी गत शासन में कांग्रेस की विधायक रही थी। जानकारों की मानें तो एसीबी के ईमानदार अधिकारी वसुंधरा सरकार के भ्रष्ट अफसरों को गिरफ्तार करना चाहते थे, लेकिन नवदीप सिंह डीजी की हैसियत से अनुमति नहीं दे रहे थे। पिछले दिनों आईजी दिनेश ने जब खान आवंटन के भ्रष्टाचार में अशोक सिंघवी को गिरफ्तार करने की योजना बनाई तो नवदीप सिंह ने सबसे पहले सीएम को जानकारी दे दी। यहां खास तौर से उल्लेखनीय है कि वसुंधरा राजे ही खान विभाग की केबिनेट मंत्री हैं, क्योंकि उन्होंने खान विभाग का राज्यमंत्री बना रखा है। सूत्रों के अनुसार एसीबी के डीजी नवदीप सिंह की संदिग्ध गतिविधियों के बारे में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के माध्यम से केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह को विस्तृत जानकारी दी गई। इन जानकारियों में सवाल उठाया गया कि आखिर सीएम राजे नवदीप सिंह को ही क्यों एसीबी का डीजी बनाए रखना चाहती हंै? अभी यह तो जानकारी नहीं मिली कि राजनाथ के कहने पर वसुंधरा ने नवदीप को हटाया, लेकिन 2 नवम्बर को सीएम ने जिस तरह अचानक गृह विभाग की समीक्षा बैठक की, उससे प्रतीत होता है कि नवदीप को हटाने में केन्द्र का दबाव रहा है। अब भूपेन्द्र कुमार दत्त को एसीबी का नया डीजी बनाया गया है, जबकि नवदीप को होमगार्ड का डीजी।
मनोज भट्ट तटस्थ: 
किसी भी राज्य में डीजी प्रशासन ही महत्त्वपूर्ण होता है, लेकिन राजस्थान में डीजी प्रशासन मनोज भट्ट तटस्थ बने हुए हैं। पुलिस के आला अफसरों के अनुसार भट्ट न तो एसीबी के विवादों में उलझे और न ही सीएम की ओर से कोई दिशा निर्देश दिए। सीएम राजे और नवदीप सिंह के सीधे संवाद की वजह से मनोज भट्ट बीच में आए ही नहीं। भट्ट की लाचारी को भी केन्द्रसरकार की जानकारी में लाया गया था। वर्तमान परिस्थितियों में भट्ट नाम मात्र के डीजी प्रशासन हैं, क्योंकि हैंड कांस्टेबल का तबदाला भी सरकार के निर्देश पर हो रहा है। भट्ट कभी भी तबदालों के लफड़े में पड़े ही नहंी। लेकिन भट्ट ने अपनी साफ सुथरी साख को बनाए रखा। 
आर.के.मार्बल के खिलाफ भी गुप्त कार्यवाही
वसुंधरा सरकार ने मार्बल किंग आर.के.मार्बल के मालिक अशोक पाटनी को चित्तौड़ में जो 255 एकड़ खनन भूमि कौडिय़ों के भाव दी उस आर.के.मार्बल के खिलाफ आयकर विभाग ने भी गुप्त कार्यवाही की। आर.के.मार्बल के देशभर में 25 ठिकानों पर जो छापामार कार्यवाही हुई उसकी भनक राजस्थान सरकार को नहीं लगने दी गई। आमतौर पर आयकर विभाग जब छापामार कार्यवाही करता है, तो संबंधित राज्य की पुलिस का ही उपयोग होता है, लेकिन आयकर विभाग  ने आर.के.मार्बल के ठिकानों की जांच के समय वसुंधरा सरकार की पुलिस का इस्तेमाल ही नहीं किया। इसके बजाए सीआरपीएफ का उपयोग किया गया। आर.के.मार्बल के मामले में भी केन्द्र सरकार ने वसुंधरा सरकार पर भरोसा नहीं किया। 
कटारिया भी बेकार:
राजे ने यूं तो गुलाबचंद कटारिया को गृहमंत्री बना रखा है, लेकिन पूरा प्रदेश जानता है कि कटारिया नाम मात्र के गृहमंत्री हंै। कटारिया की छवि ईमानदार राजनेता की है। लेकिन अपने बड़बोलेपन से कटारिया ने स्वयं का महत्त्व कम कर रखा है। इसका पूरा फायदा राजे को मिल रहा है। 
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511

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