Monday 16 November 2015

नवाज शरीफ और फारुख अब्दुल्ला के बयानों के मायने



जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम फारुख अब्दुल्ला ने 15 नवम्बर को अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में जियारत की। जियारत के बाद फारुख अब्दुल्ला ने मीडिया से कहा कि जिस प्रकार पाकिस्तान के पीएम नवाज शरीफ ने हिन्दुओं की सुरक्षा का भरोसा दिया है,उसी प्रकार भारत के पीएम नरेन्द्र मोदी को भी देश के मुसलमानों की सुरक्षा का भरोसा दिलवाना चाहिए। देश के ताजा हालातों में मुसलमान स्वयं को असुरक्षित महसूस कर रहा है। फारुख अब्दुल्ला के बयान के अगले ही दिन यानि 16 नवम्बर को पाक पीएम नवाज शरीफ का एक और बयान सामने आया। नवाज शरीफ ने कश्मीर के अलगाववादी नेताओं को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में कश्मीर में जनमत संग्रह की बात का समर्थन किया गया है। यानि कश्मीर में वर्तमान में जो लोग रहे रहे हैं, उनसे यह पूछा जाए कि वे भारत में रहना चाहते हैं या स्वतंत्र देश बनना चाहते हैं। पूरा देश जानता है कि कश्मीर में फारुख अब्दुल्ला के परिवार का ही अधिकांश समय तक शासन रहा। फारुख अब्दुल्ला के पिता,पुत्र और स्वयं जब सीएम रहते हैं तो संगीनों के साए में रहते हैं और जब फारुख अब्दुल्ला परिवार सत्ता में नहीं होता है तो अपने इग्लैंड वाले निवास पर चले जाते हैं। अब्दुल्ला परिवार के शासन में ही कश्मीर से हिन्दू परिवारों को मार-मार कर भगा दिया गया। आज भी कोई चार लाख हिन्दू दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। 
कश्मीर में भाजपा के सहयोग से ही पीडीपी की सरकार चल रही और केन्द्र में भी नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार है, लेकिन इसके बावजूद भी एक कश्मीरी हिन्दू को वापस उसके घर में बसाने की हिम्मत नहीं हो रही है। इसके बावजूद भी फारुख अब्दुल्ला का गैर जिम्मेदाराना बयान सामने आता है। गंभीर बात तो यह है कि फारुख अब्दुल्ला ने यह बयान सूफी संत ख्वाजा साहब की दरगाह में जियारत के मौके पर दिया। जबकि दुनियाभर के तनावपूर्ण हालात में सूफीवाद ही एक ऐसा रास्ता है, जो कट्टर वाद से मुकाबला कर सकता है। ख्वाजा साहब ने सूफीवाद के माध्यम से ही शांति भाईचारे का पैगाम दिया। यही वजह है कि आज दरगाह में बड़ी संख्या में हिन्दू समुदाय के लोग जियारत करने आते हैं। देश के वीआईपी भी भले ही पुष्कर तीर्थ न जाए, लेकिन दरगाह में जियारत जरूर करते हैं। बड़ी अजीब बात है कि फारुख अब्दुल्ला मुसलमानों की सुरक्षा की बात करते है और नवाज शरीफ हमारे कश्मीर में जनमत संग्रह के लिए अलगाववादियों को पत्र लिखते हैं। अच्छा हो कि फारुख अब्दुल्ला ख्वाजा साहब के बताए मार्ग पर चलकर सद्भावना का माहौल बनाने में सहयोग करें। 
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511

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