Sunday 8 November 2015

मुनाफाखोरी के दौर में बगैर लाभ के माल की बिक्री। सहकारी भारती और दयाल बाग का अनुकरणीय प्रयास।



बाजारीकरण के इस दौर में जब हर व्यक्ति मुनाफाखोरी में लगा हुआ है, तब बिना किसी लाभ के माल की बिक्री की जाए तो यह प्रशंसनीय है। 8 नवम्बर को मुझे ऐसे ही दो स्थानों पर जाने का अवसर मिला। अजमेर के पुष्कर रोड स्थित आदर्श विद्या निकेतन स्कूल के परिसर में बड़े पैमाने पर दीपावली पर्व की मिठाई बनाई जा रही थी, राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ से जुड़े संगठन सहकार भारती के संगठन प्रमुख अमृत अग्रवाल ने बताया कि प्रतिवर्ष दीपावली के अवसर पर सहकारिता की भावना से मिठाई की बिक्री की जाती है, आमजनों से पहले ही ऑर्डर प्राप्त किए जाते हैं और फिर धनतेरस के दिन घरों तक उपभोक्ता को मिठाई पहुंचाई जाती है। इस बार भी दीपावली के अवसर पर मात्र 110 रुपए प्रति किलो के भाव से नमकीन दी जा रही है, जबकि बाजार में यही नमकीन 150 रुपए से लेकर 200 रुपए तक में बिक रही है। इसी प्रकार 600 रुपए किलो वाली काजू की कतली 450, 380 रुपए किलो वाले मक्खन बड़े 220, 350 रुपए वाली मूंग की बर्फी 200, 100 रुपए प्रति किलो वाला पेठा 75 रुपए में उपलब्ध करवाया गया है। इस बार 6 हजार किलो मिठाई और नमकीन का ऑर्डर मिला था, जिसे पूरा किया गया है, बाजार में जब मिठाईमहंगी है, तब हम बिना लाभ के उपभोक्ताओं को सस्ती दर पर उपलब्ध करवा रहे हैं। सस्ती दर पर ही नहीं बल्कि मिठाई भी शुद्ध है। हमारे ही कार्यकर्ता ऑर्डर देने वाले उपभोक्ता के घर तक पहुंचाएंगे। 
कमल लागत आए इसके लिए संस्था से जुड़े कई कार्यकर्ता रात और दिन मेहनत करते हैं, इसमें सम्मान सिंह बडग़ुर्जर, श्याम सुंदर ओझा, सरदार रतन सिंह, देवीलाल, चिरंजी लाल आदि की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। 
दयाल बाग: 
8 नवम्बर को ही सहकारिता की भावना से संचालित दयाल बाग संस्थान की प्रदर्शनी में भी जाने का अवसर मिला। यह प्रदर्शनी भी दीपावली पर्व पर प्रतिवर्ष माकड़वाली रोड स्थित दयाल बाग संस्थान के परिसर में लगाईजाती है। इस प्रदर्शनी में बिना लाभ के वस्तुओं की बिक्री की जाती है। संस्था से जुड़े डॉ. एस.के.अरोड़ा ने बताया कि संस्थान ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सिलाई कढ़ाई के शिविर लगाए जाते हैं। प्रशिक्षित महिलाएं फिर अपने उत्पाद को तैयार करती हैं और उन्हीं उत्पादों को प्रदर्शनी में बेचा जाता है। बिक्री में लाभ का कोई उद्देश्य नहीं होता है। इसमें जहां उपभोक्ता को सस्ती दर पर सामग्री मिलती है, वहीं महिलाओं को अपने उत्पाद का उचित मूल्य मिल जाता है। इस प्रदर्शनी के महत्त्व का अंदाजा इसी से लगाया जाता है कि बिक्री शुरू होने के मात्र एक घंटे बाद ही सारा माल बिक जाता है। शहरवासी इस प्रदर्शनी का सालभर इंतजार करते हैं। 
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511

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