Tuesday 17 November 2015

आजम खान और मणिशंकर जैसे नेता आखिर क्यों देते हैं ऐसे बयान



फ्रांस की राजधानी पेरिस पर हुए आतंकी हमले के संदर्भ में यूपी के ताकतवर मंत्री आजमखान ने कहा कि यह एक्शन का रिएक्शन है। वहीं कांग्रेस के सांसद और पूर्व केन्द्रीयमंत्री मणिशंकर अय्यर ने हाल ही की अपनी पाकिस्तान यात्रा में कहा कि यदि पाकिस्तान के लोग भारत में नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री पद से हटाने में मदद करें तो हम सहयोग लेने को तैयार हैं। सवाल आजम खान और मणिशंकर के बयानों का नहीं है। सवाल यह है कि आखिर ऐसे नेता ऐसे बयान क्यों देते हैं? असल में ये दोनों ही नेता राजनीतिक दलों से जुड़े हुए हैं। राजनीति में राजनेता वो ही करता है जो उसे चुनावी जंग में जीत दिलाता हो। उत्तर प्रदेश में आजम खान मुसलामनों के सबसे बड़े नेता बनना चाहते हैं। 
इसमें कोई दोराय नहीं कि राजनीति की दृष्टि से उत्तर प्रदेश में आजम खान की स्थिति दिनों दिन मजबूत होती जा रही है। ऐसा नहीं कि सभी मुसलमान आजम खान को पसंद करते हैं, लेकिन उनके पास इतने वोट तो हैं ही जो उन्हें हर चुनाव में जीत दिलवा सके। अपने समर्थकों के दम पर ही आजम खान अब समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंहयादव को भी चुनौती दे रहे हैं। लोकतंत्र में वो ही राजा होता है, जो चुनाव जीते। मणिशंकर कांग्रेस के उन 44 सांसदों में शामिल है जो गत लोक सभा चुनाव में जीते हैं। चुनाव में किस प्रकार जीत हो इसको ध्यान में रखते हुए ही आजम खान और मणिशंकर जैसे नेता बयान देते हैं। भले ही ऐसे बयानों का कोई अर्थ न निकले। मणिशंकर से यह पूछा जा सकता है कि नरेन्द्र मोदी को हटाने के लिए पाकिस्तान के लोग मदद करेंगे? लेकिन मणि यह जानते हैं कि पाकिस्तान में दिए गए इस बयान का असर भारत पर पड़ेगा। इसी प्रकार आजमखान को भी इस बात का अहसास है कि एक्शन के रिएक्शन वाले बयान से उनके समर्थक बेहद खुश होंगे। कुछ लोगों को भले ही आजम और मणि के बयान देशद्रोह वाले लगते हो, लेकिन वर्तमान में देश में जो हालात हैं, उसमें इन दोनों नेताओं का कुछ भी बिगडऩे वाला नहीं है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि हमारा देश किस दिशा में जा रहा है। सब जानते हैं कि पाकिस्तान में बैठे आतंकियों ने ही मुम्बई पर 26/11 का हमला करवाया था और ठीक उसी प्रकार पेरिस पर भी हमला हुआ। यानि मणिशंकर उस देश की मदद चाहते हैं जिसने भारत पर आतंकी हमला करवाया था। मुम्बई हमले के बाद भी भारत की सरकारों ने पाकिस्तान के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की और आतंरिक दबाव की वजह से उसी पाकिस्तान के साथ वार्ताओं का दौर जारी रखा। वहीं पेरिस पर आतंकी हमले के दो दिन बाद ही फ्रांस ने सीरिया के उन स्थानों पर बमबारी शुरू कर दी, जहां आईएस के ठिकाने बने हुए है। पेरिस हमले के लिए आईएस को ही जिम्मेदार माना जा रहा है। आईएस ने भी धमकी दी है कि यदि उसके ठिकानों पर बमबारी जारी रखी गई तो अमरीका सहित यूरोप के देशों पर पेरिस जैसे ही हमले होंगे। इन दिनों आतंक की वजह से विश्वभर का माहौल कैसा है, इसका अंदाजा तुर्की में हुए जी 20 देशों के सम्मेलन से लगाया जा सकता है। यह सम्मेलन सिर्फ आर्थिक मामलों के लिए होता है, लेकिन इस बार सम्मेलन के दोनों दिन पेरिस का आतंकी हमला ही छाया रहा। गंभीर बात तो यह रही कि अमरीका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा कि आईएस जैसे आतंकी संगठन को दुनिया के चालीस देशों से आर्थिक मदद मिलती है। इतना ही नहीं इन चालीस देशों में जी-20 में शामिल कुछ देश भी शामिल है। सब जानते हैं कि यह वही आईएस है, जिसके लड़ाके हमारे कश्मीर में खुलेआम झंडे लहरा रहे हैं और पाकिस्तान जिन्दाबाद के नारे लगाते हैं। आजम खान और मणिशंकर अय्यर जैसे नेता यह समझे की भारत पर आतंक का कितना बड़ा खतरा मंडरा रहा है। आज देश को बचाने की जरुरत है। 
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511

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