Tuesday 1 December 2015

मोदी के नवाज शरीफ से मिलने पर असहिष्णुता झंडाबरदार खुश होंगे।



पाकिस्तान से लगी हमारी सीमा पर चाहे कितने भी हालात खराब हों, लेकिन इसके बाद भी 30 नवम्बर को पेरिस में पीएम नरेन्द्र मोदी ने पाकिस्तान के पीएम नवाज शरीफ से न केवल हाथ मिलाया, बल्कि एकांत में बैठ कर बात भी की। पिछले दिनों जी-20 के देशों के आर्थिक सम्मेलन में भी मोदी-नवाज शामिल हुए। लेकिन तब मोदी ने मुलाकात नहीं की। लेकिन देश की आंतरिक स्थिति के दबाव की वजह से ही इस बार 30 नवम्बर को मोदी को नवाज से बात करनी ही पड़ी। ये वो ही मोदी हैं, जो कांग्रेस के शासन में पाकिस्तान के साथ ऐसी मुलाकातों का विरोध करते थे। तब मोदी का कहना था, जब तक पाकिस्तान हमारी सीमा पर गोलीबारी व आतंकी कार्यवाही बंद नहीं करें, तब तक बात नहीं करनी चाहिए। ऐसा नहीं कि मोदी के पीएम बनने के बाद सीमा पार से गोलीबारी अथवा आतंकियों को भेजना बंद कर दिया हो, उल्टे अब पहले से भी ज्यादा आतंकी वारदातें हो रही हंै और पाकिस्तान की ओर से लगातार गोलाबारी जारी है। लेकिन इसके बावजूद भी मोदी ने नवाज शरीफ से बात की है और अब आने वाले दिनों में विदेश सचिव स्तर की वार्ता भी हो सकती है। असल में मोदी ने पाकिस्तान के खिलाफ जो सख्त रुख अपनाया था, उसे भी भारत में असहिष्णुता से जोड़ दिया गया था। पूर्व विदेश मंत्री और कांग्रेस के नेता सलमान खुर्शीद ने तो पाकिस्तान जाकर कह दिया कि मोदी जब तक पीएम हैं, तब तक भारत-पाक के संबंध नहीं सुधर सकते हैं। यदि दोनों देशों के संबंध सुधारने हैं तो मोदी को पीएम पद से हटाना पड़ेगा। इधर जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम फारुख अब्दुल्ला ने कह दिया कि भारतीय फौज भी कश्मीर में आतंकवादियों का मुकाबला नहीं कर सकती है। संसद से सड़क तक शोर मचाया गया कि देश में असहिष्णुता बढ़ गई है। बिहार चुनाव के दौरान तो साहित्यकारों और फिल्मकारों में अवार्ड लौटाने की हौड़ मच गई। असहिष्णुता को लेकर देश में जो माहौल बनाया गया, उसी के दबाव में मोदी को नवाज शरीफ से बात करनी पड़ी। इस बात का कोई परिणाम निकले या नहीं, लेकिन भारत के सख्त रवैये का रुख कमजोर हुआ है। इससे उन्हीं ताकतों को फायदा मिलेगा जो भारत में आतंककारी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहे हैं। अब असहिष्णुता के झंडादरबार भी खुश है कि मोदी को नवाज से बात करनी पड़ी। 30 नवम्बर को जिस बयान को लेकर संसद में सीपीआई के सांसद मोहम्मद सलीम ने केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह पर हमला बोला था, आज उस बयान को छापने वाली आउटलुक पत्रिका ने सार्वजनिक माफी मांगी है। इससे प्रतीत होता है कि एक सुनियोजित षडय़ंत्र के तहत असहिष्णुता का मुद्दा उछाला जा रहा हैं। कुछ लोग इस देश को उस राह पर ले जा रहे है, जहां से लौटना मुश्किल होगा। 

(एस.पी. मित्तल)
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