Wednesday 9 December 2015

पत्रिका प्रबन्धन असली और स्थायी पाठकों की पीड़ा को भी समझें



मोबाइल एप से सेलिब्रेशन ऑफर में शामिल होने का मामला
अजमेर के सिविल लाइन्स इलाके में रहने वाले राजस्थान पत्रिका के असली और स्थायी पाठक राज माथुर का 9 दिसम्बर की सुबह मुझे फोन आया। राज माथुर मेरे ब्लॉग के भी प्रशंसक हंै। राज माथुर का मुझ पर यह भरोसा था कि पत्रिका के पाठकों की जो पीड़ा है उस पर मैं ही लिख सकता हूं। हालाकि सेलिब्रेशन ऑफर ड्रॉ का मामला पूरी तरह पत्रिका प्रबंधन का आन्तरिक मामला है लेकिन राज माथुर ने मेरे ब्लॉग पर जो भरोसा जताया है, उसे कायम रखते हुए में पत्रिका प्रबंधन तक राज माथुर जैसे लाखों असली और स्थायी पाठकों की पीड़ा को पहुुंचाने का प्रयास कर रहा हूूं। राज माथुर जैसे लाखों पाठक हैं जिन्होंने तीन-चार महीने तक लगातार पत्रिका को पढ़ा और जब किसी भी दिन अखबार में ड्रॉ का कूपन छपा तो उसे काटकर रख लिया। थोड़े दिन पहले जब पत्रिका में ही ड्रॉ का फार्मेट प्रकाशित हुआ तो पाठकों ने निर्देशों के मुताबिक फार्मेट पर अपने कूपन चिपकाए और निर्धारित संग्रहण केन्द्र पर जमा भी करवाएं। इसमें कोई दो राय नहीं कि अखबार के पाठकों के बीच पत्रिका का सेलिब्रेशन ऑफर बहुत लोकप्रिय रहा। स्वयं पत्रिका प्रबंधन ने भी महसूस किया कि उनके लाखों पाठकों ने तीन-चार महीने की मशक्कत कर कूपनों को जमा करवाया है। लेकिन अब पत्रिका के इन्हीं लाखों पाठकों की पीड़ा है कि मोबाइल एप के माध्यम से उसी सेलिब्रेशन ऑफर के ड्रॉ  में शामिल होने का अवसर दिया जा रहा है। एप के माध्यम से एक नहीं बल्कि परिवार के 4 सदस्य एक झटके में ड्रॉ में शामिल हो सकते हैं। जिन पाठकों ने तीन-चार महीने की मशक्कत के बाद कूपन जमा करवाए हैं उनकी यह पीड़ा है कि मोबाइल एप में ड्रॉ में इतनी आसान एन्ट्री क्यों दी जा रही है। माना कि अब स्मार्ट मोबाइल का जमाना है और पत्रिका प्रबंधन भी स्मार्ट मोबाइल रखने वाले युवाओं को आकर्षित करना चाहता है इसलिए यह नया और अनोखा प्रयोग किया गया है। पत्रिका प्रबंधन के इस प्रयोग की तो प्रशंसा होनी ही चाहिए, लेकिन अच्छा होता कि पत्रिका प्रबंधन मोबाइल एप वाले पाठकों के लिए अलग से कोई ड्रॉ निकालता। ऐसा नहीं कि पत्रिका प्रबंधन को अपने असली और स्थायी पाठकों की पीड़ा का एहसास न हो। हम सबने देखा कि जब विगत दिनों पत्रिका ने अपना मोबाइल एप जारी किया तब स्वयं माना कि अब पाठकों को प्रतिदिन पत्रिका में से कूपन काटने, फार्मेट पर चिपकाने, संग्रहण केन्द्र पर जमा कराने आदि झंझटों से निजात मिल गई है। यानि प्रबंधन ने स्वयं स्वीकार किया है कि हमारे पाठकों ने झंझट झेलकर कूपनों को जमा करवाया है। सवाल उठता है कि जब प्रबंधन को अपने पाठकों की झंझटों के बारे में पता था तो फिर उसी सेलिब्रेशन ऑफर ड्रॉ में मोबाइल एप के माध्यम से एन्ट्री क्यों दी गई? 9 दिसम्बर को पत्रिका के परिवार परिशिष्ट के मुख्य पृष्ठ पर यूनिक मोबाइल कोड का स्टीकर चिपकाया गया है। यह सही है कि यह कोड उसी परिवार को मिलेगा, जिसमें नियमित पत्रिका आ रहा है। लेकिन इसके साथ ही इस एक यूनिक कोड से परिवार के चार सदस्य उस ड्रॉ में शामिल हो जाएंगे, जिसके लिए लाखों पाठकों ने झंझट झेला है। पत्रिका प्रबंधन को ऐसा उपाय करना चाहिए जिससे कूपन जमा करवाने वाले पाठकों को संतुष्टि मिले। फिलहाल ऐसे पाठक मोबाइल एप वाले पाठकों से संतुष्ट नहीं है।
आकर्षक है ड्रॉ :
पत्रिका का सेलिब्रेशन ऑफर ड्रॉ बेहद आकर्षक है। तीन लग्जरी और तीन सामान्य कारों के साथ-साथ 21 मोटर बाइक, फ्रिज, वाशिंग मशीन, रेफ्रिजरेटर आदि के इनाम दिए जाएंगे। मोबाइल एप के जरिए लक्की ड्रॉ में पाठकों को शामिल करने वाला राजस्थान पत्रिका देश का पहला दैनिक समाचार पत्र बन गया है।
(एस.पी. मित्तल)
(spmittal.blogspot.in) M-09829071511

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