Wednesday 9 December 2015

क्या संसद से कोर्ट को धमका रही है कांग्रेस।


समझ में नहीं आता कि नेशनल हेराल्ड के मामले में कांग्रेस संसद को क्यों ठप कर रही है। इस मामले में अभी न तो सीबीआई, न दिल्ली पुलिस, न आयकर, न विदेश मंत्रालय ने कोई जांच की है। यह मामला पूरी तरह वरिष्ठ वकील सुब्रह्मणयम स्वामी और दिल्ली के मेट्रोपोलियन मजिस्ट्रेट की अदालत के बीच का है। सबको पता है कि नेशनल हेराल्ड अखबार की पांच हजार करोड़ की सम्पत्ति को हथियाने में सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने जो गड़बड़ी की उसी को लेकर सुब्रह्मणयम स्वामी ने एक याचिका दिल्ली की स्थानीय अदालत में दायर की थी। पिछले दो वर्ष से किसी न किसी कारण से राहुल-सोनिया और अन्य आरोपी मेट्रोपोलियन की अदालत में उपस्थित नहीं हो रहे थे। मजिस्ट्रेट ने 8 दिसम्बर को उपस्थित होने के लिए जो अंतिम नोटिस दिए, उसको भी दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी गई, लेकिन सोनिया-राहुल की इस प्रार्थना को भी हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। कायदे से 8 दिसम्बर को ही सोनिया-राहुल के साथ-साथ मोतीलाल बोहरा, ऑस्कर फर्नाडिस, सेम पित्रोदा, सुमन दुबे आदि आरोपियों को अदालत में पेश होना था, लेकिन चैन्नई की बाढ़ और दूसरे बहानों के कारण 19 दिसम्बर की तारीख ले ली गई। सुब्रह्मणयम स्वामी की याचिका पर अभी मेट्रोपोलियन अदालत ने कोई निर्णय नहीं दिया है और न ही राहुल गांधी, सोनिया गांधी आदि को फर्जीवाड़े का आरोपी माना है। लेकिन इसके बावजूद भी 9 दिसम्बर को कांग्रेस के सांसदों ने लोकसभा और राज्यसभा में हंगामा किया। सोनिया गांधी ने कहा कि मैं इंदिरा गांधी की बहू हंू, इसलिए किसी से भी नहीं डरती हंू। वहीं राहुल गांधी ने कहा कि वे पहले की तरह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से सवाल करते रहेंगे। सवाल उठता है कि कौन सोनिया गांधी को डरा रहा है और कौन राहुल को सवाल पूछने से रोक रहा है? नरेन्द्र मोदी की स्थिति तो यह है कि वे संसद में जीएसटी बिल को पास करवाने के लिए सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह को अपने घर पर चाय पीने के लिए बुला रहे हैं। 9 दिसम्बर को कांग्रेस के सांसदों ने दोनों सदनों में नेशनल हेराल्ड को लेकर जो हंगामा किया, उससे ऐसा प्रतीत हुआ कि कांग्रेस संसद से कोर्ट को धमकाने का प्रयास कर रही है। कांग्रेसी यह समझते हैं कि किसी की भी इतनी हिम्मत नहीं होनी चाहिए कि वह सोनिया गांधी और राहुल गांधी को उपस्थित होने के आदेश दे। क्या कांग्रेसी सोनिया-राहुल को देश की न्यायपालिका से भी ऊपर समझते हैं? जिस मामले में सरकार की कोई भी जांच एजेंसी शामिल नहीं है, उस मामले में सीधे केन्द्र सरकार को दोषी ठहराया जाना उचित नहीं माना जा सकता है। यदि सुब्रह्मणयम स्वामी ने झूठे आरोप लगाए हैं तो राहुल-सोनिया अदालत में प्रतिवाद करना चाहिए। सोनिया-राहुल जवाब देने के लिए दिल्ली की अदालत में उपस्थित हो नहीं रहे और उनके सांसद संसद में हंगामा कर रहे हैं। यदि नेशनल हेराल्ड की 5 हजार करोड़ की सम्पत्ति हड़पने में कोई बेइमानी नहीं हुई है, तो फिर राहुल-सोनिया अदालत में जाकर जवाब क्यों नहीं देते? राहुल-सोनिया झूठे आरोप लगाने के आरोप में सुब्रह्मणयम स्वामी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा भी कर सकते हैं। अभी तो मेट्रोपोलियन अदालत ने सिर्फ उपस्थित होने के आदेश दिए हंै, उसी में कांग्रेस इतना बिलबिला रही है। यदि अदालत ने कोई आरोप तय कर दिए तो कांग्रेस का क्या होगा? क्या अपने शासन में कांग्रेस ने सीबीआई का दुरुपयोग कर विपक्षी दलों के नेताओं के खिलाफ आरोप नहीं लगवाए? नरेन्द्र मोदी, अमित शाह ही क्यों, मुलायम सिंह,मायावती, लालू प्रसाद यादव, ममता बनर्जी आदि अनेक ऐसे नेता हैं जो राहुल-सोनिया की कांग्रेस पर सीबीआई के दुरुपयोग का आरोप लगा चुके हैं। यदि सुब्रह्मणयम स्वामी की शिकायत पर सीबीआई जांच कर मामला अदालत में पेश करती तो यह माना जा सकता था कि नरेन्द्र मोदी ने सीबीआई का दुरुपयोग कर राहुल-सोनिया को फंसाया है। नेशनल हेराल्ड के मामले में तो अदालत तो स्वयं जांच पड़ताल कर रही है। यदि कोई बेइमानी नहीं हुई तो सोनिया-राहुल को घबराने की कोई जरुरत नहीं है, क्योंकि दिल्ली की अदालत बेवजह सोनिया-राहुल को जेल नहीं भेजेगी। 
(एस.पी. मित्तल)
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