Wednesday 30 December 2015

अफसर रिटायर हो तो प्यारे मोहन त्रिपाठी की तरह।


राजस्थान सरकार के जनसम्पर्क निदेशालय के संयुक्त निदेशक प्यारे मोहन त्रिपाठी 31 दिसम्बर को अजमेर के सूचना केन्द्र से रिटायर हो रहे हैं। निदेशालय के इतिहास में यह पहला अवसर होगा, जब संयुक्त निदेशक स्तर का अधिकारी जिला मुख्यालय के सूचना केन्द्र से विदाई ले रहा है। सूचना केन्द्र से विदाई लेना कोई खामी नहीं है, बल्कि त्रिपाठी ने प्रदेश भर के जनसम्पर्क अधिकारियों के समक्ष एक मिसाल प्रस्तुत की है। यह तो अच्छा हुआ कि त्रिपाठी निदेशालय में जाकर नहीं बैठे। मेरा दावा है कि यदि त्रिपाठी जयपुर स्थित निदेशालय में नौकरी कर लेते तो निदेशक के पद से ही रिटायर होते। रिटायर भी आसानी से नहीं बल्कि जिस तरह मुख्य सचिव सी.एस.राजन ने एक्सटेंशन लिया है, ठीक उसी प्रकार त्रिपाठी भी एक्सटेंशन पर एक्सटेंशन लेते रहते। अभी भी भले ही 31 दिसम्बर को त्रिपाठी अजमेर का सूचना केन्द्र छोड़ दे, लेकिन थोड़े दिन बाद किस सरकारी दफ्तर में बैठे मिले कुछ कहा नहीं जा सकता। कुछ लोग आलोचना करते हैं कि त्रिपाठी ने अपनी 35 वर्ष की नौकरी का अधिकांश समय अजमेर में गुजार दिया, लेकिन आलोचकों को यह समझना चाहिए कि त्रिपाठी में वो कला है जो साधारण अफसर में देखने को नहीं मिलती। त्रिपाठी 35 वर्ष की सेवा में दो तीन वर्ष के लिए चूरू, बीकानेर और भीलवाड़ा घूम आए, लेकिन इसके बाद अजमेर में ही झंडा गाड़े रखा। आज त्रिपाठी संयुक्त निदेशक के पद से रिटायर हो रहे हो, लेकिन उनकी पहचान पीआरओ (जनसम्पर्क अधिकारी) के रूप में ही बनी हुई है। स्वयं त्रिपाठी भी अपने आप को आज भी पीआरओ ही मानते हंै। यह त्रिपाठी का कमाल है कि अजमेर में पीआरओ पदोन्नत हुए तो फिर यहीं पर सहायक निदेशक, उपनिदेशक और संयुक््रत निदेशक की पदोन्नति प्राप्त की। तीन माह पहले जब उपनिदेशक से संयुक्त निदेशक पदोन्नत हुए तो इष्र्या रखने वालों ने कहा कि अब तो अजमेर से जाना ही पड़ेगा, क्योंकि पीआरओ के पद पर संयुक्त निदेशक कैसे काम कर सकता है। लेकिन त्रिपाठी ने सरकार से ऐसा आदेश निकलवाया, जिसमें लिखा गया कि संयुक्त निदेशक के पद पर पदोन्नति के बाद अग्रिम आदेशों तक त्रिपाठी अजमेर के सूचना केन्द्र में ही नियुक्त रहेंगे। सरकार का वो अग्रिम आदेश 30 दिसम्बर तक भी नहीं आया और पुराने आदेश से ही त्रिपाठी 31 दिसम्बर को रिटायर हो रहे हैं। 
राजस्थान में सरकार भाजपा और कांग्रेस की रही, लेकिन यदि राजस्थान में ममता बनर्जी की टीएमसी और जयललिता की आईडीएमके की सरकारें होती तो भी त्रिपाठी इसी तरह पीआरओ गिरी कर लेते। असल में सरकारों का कोई फर्क  नहीं पड़ता। अफसर ऐसा हो जो हर सरकार में फिट हो। मेरा मानना तो यह है कि एक जनवरी 2016 से त्रिपाठी को अजमेर में अफसरों का कोचिंग सेंटर खोल लेना चाहिए। इस सेंटर में अपने अनुभव से उन तरकीबों के बारे में विस्तार से जानकारी देनी चाहिए, ताकि अफसर एक ही कुर्सी पर जमा रहे। त्रिपाठी जिस कुर्सी पर बैठे, वो कुर्सी कांटों भरी है। इधर, तुनकमिजाज कलेक्टरों से पाला तो इधर धरती आसमान एक करने वाले पत्रकारों से संबंध। आलोचक कुछ भी कहें, लेकिन प्रशासन और प्रेस के बीच टिके रहने मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है। त्रिपाठी को यह भी पता रहता था कि किस अधिकारी और किस पत्रकार को कितना सम्मान देना है। अजमेर जिले से जो विधायक मंत्री बनते थे, उन्हें भी यह पता रहता था कि त्रिपाठी जी ने बड़े-बड़े मंत्रियों को चलता कर दिया है। सिटी मजिस्ट्रेट, कलेक्टर, डिविजनल कमिश्नर, एस.पी., आईजी की तो त्रिपाठी की पीआरओ गिरी के सामने कोई स्थिति ही नहीं है। मुझे याद है कि वसुंधरा राजे ने अपने पिछले कार्यकाल में प्रदेशभर के पीआरओ की बैठक बुलाई थी तो भरी कॉन्फ्रेंस में त्रिपाठी ने ही कहा था कि पीआरओ तो नारद मुनि है। वसुंधरा राजे ने आश्चर्य से पूछा-कैसे? त्रिपाठी ने कहा मैडम जिस प्रकार नारद जी देवलोक की खबरों का प्रसारण इधर-उधर करते थे, उसी प्रकार पीआरओ सरकार की खबरों का प्रसारण मीडिया में करवाता है। त्रिपाठी के इस कथन के बाद ही राजे ने जनसम्पर्क विभाग को मजबूती प्रदान करवाई। साठ वर्ष की उम्र में भी त्रिपाठी युवा बने हुए है। 31 दिसम्बर को रिटायर होने से पहले सूचना केन्द्र के रंगमंच का लोकार्पण भी करवा रहे हैं। इसे त्रिपाठी की सफलता ही कहा जाएगा कि इस समारोह में केन्द्रीय मंत्री, प्रदेश के मंत्री तमाम प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित रहेंगे। इस समारोह को ही त्रिपाठी का विदाई समारोह कहा गया है। अब यदि किसी को त्रिपाठी की काबिलीयत समझ में नहीं आ रही है तो उसकी अक्ल का भगवान ही मालिक है। मेरा त्रिपाठी जी से पारिवारिक संबंध हैं। मेरे सुख-दुख में त्रिपाठी साथी रहे हैं। मेरी ईश्वर से प्रार्थना है कि त्रिपाठी जी को जल्द से जल्द किसी सरकारी महकमे में काम करने का अवसर मिले। बिना किसी विवाद के रिटायर हो जाना भी अपने आप में मायने रखता है। ईश्वर ने त्रिपाठी को जो मिलनसारिता प्रदान की है, वह हमेशा बनी रहे। त्रिपाठी के छोटे भाई प्रेम प्रकाश त्रिपाठी इस समय जयपुर में मुख्यमंत्री सचिवालय में उपनिदेशक के पद पर कार्यरत हैं।  अगले चार माह में प्रेम प्रकाश त्रिपाठी भी प्रदेश के जनसम्पर्क विभाग में सबसे वरिष्ठ अफसर होंगे। 

(एस.पी. मित्तल)
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