Saturday 2 January 2016

12 दिनों तक राममय बना रहा अजमेर



सुनील दत्त जैैन की टीम ने कर दिया कमाल
अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त धार्मिक नगरी अजमेर गत 12 दिनों तक राममय बनी रही। देश के इतिहास में यह पहला अवसर होगा जब 51 अरब राम नाम मंत्रों की पुस्तकाओं की 12 दिनों तक लगातार परिक्रमा होती रही। आयोजकों को भी नहीं पता कि कितने लाख लोग परिक्रमा कर गए। गत 21 दिसम्बर को प्रात: 8 बजे से परिक्रमा का जो दौर चला, वह एक जनवरी की शाम को जाकर थमा। एक जनवरी को अंतिम दिन तो अजमेर के आजाद पार्क में पैर रखने की जगह नहीं थी। ऐसा लगा कि पूरा शहर ही राम नाम मंत्रों की परिक्रमा के लिए आ गया है। अजमेर शहर ही नहीं बल्कि आसपास के जिलों से आकर राम भक्तों ने 51 अरब मंत्रों की परिक्रमा की। आयोजकों को भी उम्मीद नहीं थी कि परिक्रमा का कार्यक्रम इतना सफल होगा। आयोजकों ने परिक्रमा के इस कार्यक्रम से सभी राजनैतिक दलों के प्रतिनिधियों, प्रशासनिक अधिकारियों, समाजसेवियों, साहित्यकारों, पत्रकारों आदि के साथ-साथ साधु संतों को जोडऩे में कोई कसर नहीं छोड़ी। प्रतिदिन किसी ना किसी संत को बुलाकर धार्मिक प्रवचन करवाए गए। उस राम मय माहौल की कल्पना कीजिए जब जय श्री राम के उद्घोष के साथ हजारों श्रद्धालु परिक्रमा कर रहे हों और इधर आजाद पार्क के दूसरे छोर पर साधु संत प्रवचन दे रहे हों। भारतीय संस्कृति में तो एक बार राम नाम का जाप करने से ही पुण्य की प्राप्ति होना बताया गया है, लेकिन वे लोग तो बहुत भाग्यशाली हैं जिन्होंने 51 अरब राम नाम लिखी पुस्तिकाओं की परिक्रमा की।
जैन की टीम :
राम नाम परिक्रमा के आयोजन को सफल बनाने में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के अजमेर महानगर के संघ चालक सुनील दत्त जैन और उनकी टीम की महत्वपूर्ण भूमिका रही। जैन स्वयं आयोजन समिति के संयोजक बने जबकि सुभाष काबरा, कंवल प्रकाश किशनानी और उमेश गर्ग को सह संयोजक बनाया। इन तीनों सह संयोजकों ने कमाल की मेहनत की। सह संयोजकों ने न केवल आर्थिक सहयोग के इंतजाम किए बल्कि समाज के विभिन्न वर्गो के प्रतिनिधियों को भी बड़ी संख्या में जोड़ा। सुनील दत्त जैन को संघ के अनुशासन और कार्यक्रमों का अच्छा तर्जुबा है। आम तौर पर संघ के पदाधिकारी सार्वजनिक आयोजनों से दूर ही रहते है। यहां तक कि संघ की जन कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी नहीं दी जाती है, लेकिन जैन ने परिक्रमा का बड़ा और सफल आयोजन कर यह दर्शा दिया कि वे अजमेर महानगर में आम लोगों को जोड़कर काम कर सकते हैं। हालांकि जैन का राजनैतिक क्षेत्र में आने का अभी कोई विचार नहीं है, लेकिन भाजपा के मंत्रियों, विधायकों और पदाधिकारियों का मानना है कि यदि जैन को राजनैतिक क्षेत्र की कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जाती है तो सफलता मिल ही जाएगी। सभी को साथ लेकर चलने की क्षमता जैन ने दिखा दी है। छत्तीस के आकड़े वाले स्कूली शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी और महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिता भदेल को भी संयुक्त रूप से परिक्रमा के कार्यक्रम में जोड़ दिया। किशनानी, काबरा, गर्ग जैसे नेता तो इसी बात से खुश हैं कि उन्हें जैन के साथ काम करने का अवसर मिला है। इन तीनों ने भी अपनी क्षमता से परे जाकर शानदार प्रदर्शन किया है। किशनानी ने तो अपना व्यावसायिक कामकाज छोड़कर राम नाम का काम दिनभर किया। यह बात अलग है कि किशनानी की इस सक्रियता से भाजपा के कुछ नेता खुश नहीं है।
(एस.पी. मित्तल)
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