Sunday 3 January 2016

अब 643 रुपए चुकाने होंगे रसोई गैस सिलेंडर के। पेट्रोल-डीजल की कीमतें भी जनता की समझ से परे।



उपभोक्ता को अब 643 रुपए रसोई गैस सिलेंडर चुकाने होंगे। सरकार ने इस नई दर का निर्धारण 1 जनवरी से किया है। इसलिए यह नहीं पता की उपभोक्ता के खाते में सब्सिडी के तौर पर कितनी राशि वापस आएगी। अधिकांश उपभोक्ता सब्सिडी की राशि का ध्यान ही नहीं रखते हैं। हर उपभोक्ता का ध्यान सिलेंडर की कीमत चुकाने पर होता है। कोई तीन माह पहले उपभोक्ता को सिलेंडर के 500 रुपए चुकाने होते थे और फिर सब्सिडी भी वापस मिलती थी, अब उपभोक्ता की यह परेशानी है कि सिलेंडर के 643 रुपए चुकान होंगे। बताया जा रहा है कि सरकार ने 50 रुपए से भी ज्यादा की वृद्धि प्रति सिलेंडर की है। महंगाई की वजह से पहले ही उपभोक्ता का बुरा हाल है। उस पर सिलेंडर की मूल्य वृद्धि से परेशानी और बढ़ गई है। सरकार ने अब यह भी नहीं बताया कि सिलेंडर की कीमत में इतनी वृद्धि क्यों की गई है। अलबत्ता सरकार ने फरमान जारी कर 10 लाख की वार्षिक आय वाले उपभोक्ता को सब्सिडी से वंचित कर दिया गया है।
तेल की कीमतें:
पेट्रोल और डीजल की कीमतें भी उपभोक्ता के समझ में नहीं आ रही हंै। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में जब 1 बैरल कच्चा तेल 110 डॉलर में मिलता था, तब देश में पेट्रोल की कीमत अधिकतम 75 रुपए प्रति लीटर थी, लेकिन आज अब मात्र 38 डॉलर में 1 बैरल कच्चा तेल मिल रहा है,तो देश में औसतमन 60 रुपए प्रति लीटर पेट्रोल मिलता है। जानकारों के अनुसार बाजार में कच्चे तेल में 60 प्रतिशत तक की कमी आई है, जबकि भारत में पेट्रोल की कीमत मात्र 10 प्रतिशत तक ही घटाई गई है। नरेन्द्र मोदी की सरकार यह कह कर पल्ला झाड़ लेती है कि पेट्रोल और डीजल के दामों पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है। तेल कंपनियां अपने नफा नुकसान को ध्यान में रखते हुए पेट्रोल-डीजल की कीमतों का निर्धारण करती हैं। सवाल उठता है कि यदि तेल कंपनियां लूट मार कर रही हैं, तो फिर इसे रोकने की जिम्मेदारी किसकी है? नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि न खाऊंगा और खाने दूंगा। माना मोदी खुद भ्रष्टाचार नहीं कर रहे है, लेकिन यदि तेल कंपनी के अधिकारी लूट मार कर रहे है तो उसे रोकने की जिम्मेदारी मोदी की है। यदि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 38 डॉलर से बढ़कर 60 डॉलर प्रति बैरल हो जाएगी तो क्या देशमें पेट्रोल 80 रुपए प्रति लीटर बेचा जाएगा और यदि कच्चा तेल 100 डॉलर प्रति बैरल हो गया तो पेट्रोल की कीमतों का अनुमान लगाना ही मुश्किल होगा। असल में पेट्रोलियम मंत्रालय की नीतियां पारदर्शी और ईमानदारी पूर्ण नहीं हंै। इसलिए देश के आम नागरिक को यह लगता है कि तेल कंपनी लूट मार कर रही है। 

(एस.पी. मित्तल)
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