Friday 1 January 2016

जैन धर्म के अहिंसा के मंत्र से ही विश्व में शांति।



एक जनवरी को अजेमर के वैशाली नगर स्थित जैन स्थानक में श्रीशांति नाथ जी के छंद का जाप किया गया। इस अवसर पर आयोजित समारोह में राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस जे.के.रांका, देश के पूर्व रक्षा सचिव अजय विक्रम सिंह तथा मैंने अतिथि के तौर पर भाग लिया। जस्टिस रांका ने जैन साध्वियों के समक्ष सिर झुका कर अपनी श्रद्धा प्रकट की, वह काबिले तारीफ रही। जस्टिस रांका की सादगी की सभी श्रद्धालुओं ने प्रशंसा की। अजय विक्रम सिंह आम तौर पर किसी समारोह का अतिथि बनने से बचते हैं, लेकिन भू-वैज्ञानिक राजकुमार नाहर के आग्रह को वे टाल नहीं सके। मेरे लिए तो यह जैन साध्वियों का आशीर्वाद ही रहा मुझ जैसे कलमघसीट को भी सम्मान प्राप्त करने का अवसर मिल गया। इस धार्मिक समारोह में विदूषी साध्वी कुमुदलता जी ने कहा कि जैन धर्म के अहिंसा के सिद्धांत से ही विश्व में शांति कायम हो सकती है। आज जिस तरह से आतंकवादी घटनाएं हो रही हैं, उससे कभी भी विश्व युद्ध हो सकता है। जब कोई भी धर्म हिंसा नहीं सिखाता तो फिर धर्म की आड़ लेकर निर्दोष लोगों को क्यों मारा जाता है? हमें यह समझना चाहिए कि मरने वाला किसी धर्म का व्यक्ति नहीं, बल्कि वह इंसान है। जैन धर्म में तो मुंह पर पट्टी बांधी जाती है, ताकि अपने सांस से भी बाहर का कोई जीव न मरे। जैन धर्म जहां इतना दयालु और अहिंसक है, वहीं बीते वर्ष में जैन समाज के लोगों को भी अपनी एकता और ताकत  दिखानी पड़ी। जस्टिस जे.के.रांका की ओर से इशारा करते हुए जैन साध्वी ने कहा कि आपकी कोर्ट (राजस्थान हाईकोर्ट) ने संथारा पर रोक लगा दी तो जैनियों को सड़कों पर आना पड़ा। हमारे मौन जुलूसों से ही कोर्ट को रोक हटानी पड़ी। उन्होंने कहा कि मनुष्य के मौन में भी जबरदस्त ताकत है। इस अवसर पर साध्वी महाप्रज्ञा जी, साध्वी पद्मकीर्तिजी तथा साध्वी राजकीर्ति जी ने अपने विचार तथा गीत प्रस्तुत किए। जस्टिस रांका और अजय विक्रम सिंह ने पूरे कार्यक्रम की प्रशंसा की। 
(एस.पी. मित्तल)
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