Wednesday 20 January 2016

पीरदान दम्पत्ति को मरने नहीं देगी सरकार। गृहमंत्री कटारिया ने दिया दखल।


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राजस्थान के गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया ने कहा है कि अजमेर के जेएलएन अस्पताल में भर्ती और 41 दिनों से अनशन कर रहे पीरदान सिंह राठौड़ और उनकी पत्नी श्रीमती कैलाश कंवर को मरने नहीं दिया जाएगा। 20 जनवरी को पूर्व विधायक गोपीचंद गुर्जर ने कटारिया से जयपुर में उनके निवास पर मुलाकात की और बताया कि आर.के.मार्बल के मालिक अशोक पाटनी, विमल पाटनी और सुरेश पाटनी की ज्यादतियों को लेकर राठौड़ दम्पत्ति पिछले 41 दिनों से आमरण अनशन पर हैं। पाटनी बंधुओं को बचाने के लिए जिला और पुलिस प्रशासन झूठे पमुकदमे दर्ज कर रहा है। यहां तक कि पीरदान की दोनों बेटियों और बेटों के खिलाफ भी मुकदमे दर्ज किए गए। यह सब कार्यवाही आर.के.मार्बल के मालिकों के इशारे पर हुई है। इस पर कटारिया ने आश्चर्य व्यक्त किया कि राठौड़ दम्पत्ति 41 दिन से अनशन पर हैं। इस मुलाकात के बाद पूर्व विधायक गुर्जर ने बताया कि गृहमंत्री कटारिया ने उनके सामने ही अजमेर रेंज की आईजी श्रीमती मालिनी अग्रवाल से फोन पर बात की और निर्देश दिए कि राठौड़ दम्पत्ति की मांगों को पूरा कर अनशन खत्म करवाया जाए। कटारिया ने श्रीमती कैलाश कंवर के प्रति पूरी सहानुभूति जताई है। आईजी को यहां तक कहा कि वे महिला होने के नाते मानवीय दृष्टिकोण से कैलाश कंवर की मदद करें।
गृहमंत्री ने नहीं किया फोन-आईजी
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वहीं रेंज की आईजी श्रीमती मालिनी अग्रवाल ने कहा है कि राठौड़ दम्पत्ति के अनशन के संबंध में गृहमंत्री कटारिया ने उन्हें कोई फोन नहीं किया। लेकिन श्रीमती अग्रवाल ने इस बात को स्वीकार किया कि राठौड़ दम्पत्ति के लम्बे अनशन और स्वास्थ बिगाडऩे की जानकारी पुलिस को है,पुलिस कानून के मुताबिक कार्यवाही भी कर रही है। 
छाबड़ा परिवार ने जताया समर्थन:
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स्वर्गीय गुरुशरण छाबड़ा के परिवार ने राठौड़ दम्पत्ति के अनशन को समर्थन दिया है। 19 जनवरी को स्वर्गीय छाबड़ा के पुत्र अंकुर छाबड़ा और उनकी पुत्रवधु तथा पूर्व विधायक गोपीचंद गुर्जर के नेतृत्व में जयपुर से आए एक प्रतिनिधिमंडल ने अजमेर में राठौड़ दम्पत्ति से मुलाकात की। अंकुर छाबड़ा ने बताया कि राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार के लापरवाह और संवेदनहीन रवैए की वजह से ही उनके पिता गुरुशरण छाबड़ा की मौत हुई थी। राजस्थान में पूर्ण शराबबंदी को लेकर मेरे पिता ने आमरण अनशन किया था, लेकिन सरकार ने कोई सुध नहीं ली और अनशन के दौरान ही उनका निधन हो गया। सरकार के लापरवाह रवैए और अनशन की पीड़ा को उन्होंने महसूस किया है। इसलिए राठौड़ दम्पत्ति की मदद के लिए अजमेर आए हंै। छाबड़ा ने कहा कि यदि सरकार ने तत्काल कोई कार्यवाही नहीं की तो अनशनकारी राठौड़ दम्पत्ति की भी मौत हो सकती है। समझ में नहीं आता कि आखिर वसुंधरा राजे सरकार इतनी निरंकुश क्यों है? राठौड़ दम्पत्ति की जान बचाने के लिए हमारे परिवार से जो कुछ भी संभव होगा, वह किया जाएगा।

(एस.पी. मित्तल)  (20-01-2016)
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