Tuesday 5 January 2016

वसुंधरा राजे की उपस्थिति में क्या अमित शाह के सामने कोई मंत्री बोल पाएगा



राजस्थान की भाजपा सरकार के कामकाज की समीक्षा के लिए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह 6 व 7 जनवरी को जयपुर में दरबार लगाएंगे। इससे एक दिन पहले 5 जनवरी को प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री कालीचरण सराफ ने मीडिया से कहा है कि मंत्रियों की समस्याओं को राष्ट्रीय अध्यक्ष के समक्ष रखा जाएगा। तय कार्यक्रम के मुताबिक शाह की समीक्षा बैठक में केबिनेट के साथ-साथ राज्यमंत्री भी भाग लेंगे तथा विभिन्न उपक्रमों और प्राधिकरण के अध्यक्ष भी उपस्थित रहेंगे। अब सवाल उठता है कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की उपस्थिति में क्या कोई मंत्री अपनी समस्या रख पाएगा? समझ में नहीं आता कि सराफ ने किस नजरिए से समस्याओं को रखने की बात कही है। हकीकत तो यह है कि प्रदेश के किसी भी मंत्री में इतनी हिम्मत नहीं है कि वह वसुंधरा राजे को भी अपनी समस्या बता सके। ऐसे में राजे की उपस्थिति में अमित शाह के सामने कोई समस्या का रखने का तो सवाल ही नहीं उठता। भले ही प्रदेश के दिग्गज मंत्री सीएम राजे से मिलने के लिए बार-बार अपना नाम मुख्यमंत्री सचिवालय में नोट करा रहे हो, लेकिन फिर भी किसी भी मंत्री की हिम्मत राजे के सामने बोलने की नहीं है। स्वयं को सीएम के बाद नम्बर 2 मानने वाले चिकित्सा मंत्री राजेन्द्र सिंह राठौड़ भी वही बोलते हैं जो राजे कहती हैं। राजे को यह पता है कि समीक्षा बैठक में अमित शाह मंत्रियों को बोलने की खुली छूट देंगे। हो सकता है बैठक शुरू होने से पहले अमित शाह यह भी कहे कि मंत्रीगण बिना किसी भय के अपनी बात को रख सकते हैं। अमित शाह की सख्त कार्यशैली को भांपते हुए ही 5 जनवरी को सीएम राजे ने मंत्रिमंडल की बैठक आयोजित की। इस बैठक का मकसद यही रहा कि अमित शाह के सामने कौन मंत्री क्या बोलेगा, इसकी जानकारी ली जाए। मंत्रियों से कहा गया कि अपने विभाग का पे्रजेंटेशन पहले मुख्यमंत्री सचिवालय में अनुमोदित करवाया जावे। असल में मंत्रियों ने अपने विभागों का प्रेजेंटेशन पहले ही जमा करवा दिया है। 5 जनवरी के मंत्रिमंडल की बैठक में राजे ने इस बात के दिशा निर्देश दिए कि मंत्रियों को अपना प्रेजेंटेशन किस प्रकार से रखना है। राजे नहीं चाहती हैं कि अमित शाह की उपस्थिति में कोई मंत्री किसी समस्या को रखे। राजे का प्रयास है कि जब मंत्री अपने विभागों की उपलब्धियों की जानकारी दें तो उपलब्धियों का श्रेय वसुंधरा राजे को ही मिलना चाहिए। कोई मंत्री यह नहीं कहे कि उसने इतनी मेहनत कर उपलब्धियां हासिल की है। मंत्रिमंडल की बैठक में यह सुनिश्चित किया गया कि हर मंत्री उपलब्धियों का श्रेय सीएम की दूरदर्शिता को ही दे। हाल ही में हुए रिसर्जेंट राजस्थान की उपलब्धियां स्वयं मुख्यमंत्री ही गिना सकती हैं। इसके लिए मुख्य सचिव सीएम राजन की मदद से एक डॉक्यूमेंट तैयार किया गया है। वर्ष 2015 की विदाई और 2016 के स्वागत के अवसर पर भले ही राजे राजस्थान में नहीं रही हों, लेकिन अमित शाह की समीक्षा बैठक की तैयारियां चलती रही। 5 जनवरी को जयपुर आने पर राजे ने सबसे पहले मंत्रिमंडल की बैठक बुलाकर अब तक कि तैयारियों का जायजा लिया। 

(एस.पी. मित्तल)
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