Sunday 17 January 2016

तो गुरुशरण छाबड़ा की तरह मर जाएंगे पीरदान सिंह राठौड़


गत वर्ष सर्वोदय नेता और पूर्व विधायक गुरुशरण सिंह छाबड़ा ने राजस्थान में संपूर्ण शराबबंदी को लेकर आमरण अनशन शुरू किया था। वसुंधरा राजे की सरकार ने छाबड़ा के अनशन को गंभीरता से नहीं लिया और छाबड़ा का निधन हो गया। छाबड़ा के निधन से प्रदेश में जो थोड़ी हलचल हुई, उसे समाप्त करने के लिए मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी छाबड़ा के निवास स्थान पर परिजनों को सांत्वना देने पहुंचीं। तब राजे ने कहा मुझे तो छाबड़ा जी के अनशन के बारे में पता ही नहीं चला। हो सकता है कि वसुंधरा राजे सही बोल रही हों क्योंकि स्वयं राजे ने अपने आसपास जो घेरा बना रखा है उसमें शराबबंदी को लेकर अनशन जैसी खबरें नहीं पहुंच पाती हैं। शायद ऐसे अनशन बेकार ही नजर आते हंै। कुछ इसी तर्ज पर अजमेर में 52 वर्षीय पीरदान सिंह राठौड़ गत 10 दिसम्बर से आमरण अनशन पर हंै, यानि 17 जनवरी को राठौड़ के अनशन का 39वां दिन रहा। राठौड़ की मांग है कि उन पर जो जुल्म हुए हैं उनकी जांच सीबीआई से करवाई जाएं। राठौड़  आर के मार्बल संस्थान, जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं। राठौड़ के साथ उनकी पत्नी कैलाश कंवर भी अनशन कर रही हंै। इस समय राठौड़ दम्पत्ति अजमेर के जवाहर लाल नेहरू अस्पताल में भर्ती है। प्रशासन का प्रयास है कि किसी भी तरह राठौड़ का इलाज शुरू कर दिया जाए ताकि उनका जीवन बच सके, जबकि राठौड़ अपनी जिद्द पर अड़े हुए हैं। राठौड़ का स्पष्ट कहना है कि जब तक सीबीआई जांच की घोषणा नहीं होगी, तब तक अनशन जारी रहेगा। भले ही उनकी मौत हो जाए। राठौड़ को इस बात पर भी गुस्सा है कि पुलिस ने उनकी दोनों बेटियों और एक बेटे के खिलाफ भी झूठा मुकदमा दर्ज किया है।
छाबड़ा की मौत के बाद तो सीएम राजे ने कह दिया कि उन्हें अनशन की जानकारी मिली ही नहीं, लेकिन राठौड़ के बारे में सरकार ऐसा नहीं कह सकती है क्योंकि सिटी मजिस्ट्रेट हरफूल सिंह यादव तीन बार अस्पताल में राठौड़ से मुलाकात कर चुके हंै। यादव ने वे सभी दस्तावेज भी प्राप्त किए जिनके माध्यम से सीबीआई की जांच होनी है। यादव ने भरोसा दिलाया है कि राठौड़ के आमरण अनशन की जानकारी राज्य सरकार को भेजी जा रही है। स्वाभाविक है कि जब सरकार के किसी प्रतिनिधि ने आकर संवाद कर लिया है तो मुख्यमंत्री राजे को भी राठौड़ के अनशन की जानकारी हो ही गई होगी। अब देखना है कि रार्ठौड़ के अनशन को राजस्थान की सरकार कितनी गंभीरता से लेती है। राठौड़ दम्पत्ति के आमरण अनशन को राजपूत समाज सहित अन्य वर्गों के लोगों ने समर्थन दिया है लेकिन किसी का भी समर्थन राठौड़ दम्पत्ति को राहत नहीं दिलवा पा रहा है। भले ही जिला प्रशासन ने अपनी रिपोर्ट सरकार को भेज दी हो, लेकिन सरकार की ओर से अभी तक भी कोई पहल नहीं हुई है।
(एस.पी. मित्तल)  (17-01-2016)
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