Friday 1 January 2016

मदार गेट के व्यापारियों को भरोसे में लिए बगैर


बाजार में लगाई फोन व्हीलर वाहनों पर रोक।
अजमेर शहर के सबसे भीड़ वाले बाजार मदार गेट में एक जनवरी से फोर व्हीलर वाहनों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। यह रोक प्रात: आठ बजे से रात्रि नौ बजे तक रहेगी। ट्रेफिक पुलिस ने एक जनवरी से इस बाजार में ठेले वालों को भी खड़ा नहीं होने दिया। पुलिस की इस कार्यवाही से मदार गेट बाजार का यातायात एकदम सुगम हो गया। जिस बाजार में रोजाना पैदल चलने में भी परेशानी होती थी, उसी बाजार में आज दुपहिया वाहन तेज रफ्तार से दौड़ते नजर आए। जब ठेले वाले नहीं दिखे तो व्यापारियों ने भी अपनी दुकान के आगे अतिक्रमण नहीं किया। यानि मदार गेट बाजार एक झटके में सुधर गया। इसके लिए ट्रेफिक पुलिस और अजमेर के एसपी डॉ. नितिन दीप ब्लग्गन व एएसपी अवनीश कुमार की प्रशंसा की जानी चाहिए, लेकिन मदार गेट के व्यापारियों को इस बात की पीड़ा है कि फोर व्हीलर वाहनों पर रोक लगाने से पहले इस बाजार के एक भी व्यापारी को विश्वास में नहीं लिया गया। पूरे अजमेर शहर में मदार गेट के व्यापारी ही प्रशासन को सहयोग करते रहे हैं। यहां तक कि बाजार में सीसीटीवी कैमरे, कचरा पात्र, दुपहिया वाहनों की पार्किंग आदि के कार्य व्यापारियों की एसोसिएशन ही करती है, लेकिन पुलिस के किसी भी अधिकारी ने एसोसिएशन के पदाधिकारियों से संवाद तक नहीं किया। व्यापारियों को पुलिस के इस कदम पर कोई ऐतराज नहंी है, लेकिन फोर व्हीलर वाहनों पर रोक से जो समस्याएं उत्पन्न हुई हैं, उनका निदान भी पुलिस को करना चाहिए। जिन दुकानों पर बुजुर्ग सदस्य बैठते हैं उन्हें भी एक जनवरी को गांधी भवन अथवा क्लॉक टावर चौराहे से पैदल चलकर अपनी दुकानों पर आना पड़ा। पुलिस ने रोक तो लगा दी, लेकिन यह नहीं बताया कि आखिर दुकानदारों और ग्राहकों के वाहन खड़े कहां होंगे? रेलवे स्टेशन परिसर के दोनों पार्किंग स्थल एक जनवरी को खचाखच भरे हुए थे। ऐसे में वाहनों को खड़ा करने में इधर-उधर भटकना पड़ा। यदि किसी ग्राहक को अपना वाहन खड़ा करने का स्थान नहीं मिला तो वह भविष्य में मदार गेट पर सामान खरीदने ही नहीं आएगा। रेलवे स्टेशन परिसर की पार्किंग में भी बीस-तीस रुपए तक शुल्क लिया जाता है। यानि अब मदार गेट से खरीददारी करने पर शुल्क भी चुकाना होगा। व्यापारियों का कहना है कि अच्छा होता कि पुलिस इस बाजार में फोर व्हीलर खड़े नहीं करने का इंतजाम करती। यानि ग्राहक को वाहन में आने तो दिया जाता, लेकिन खड़े होने की इजाजत नहीं दी जाती। आमतौर पर इस व्यवस्था से व्यापारी वर्ग संतुष्ट है, लेकिन पुलिस को व्यापारियों को भरोसे में लेकर कुछ समस्याओं का समाधान भी करना चाहिए। 
(एस.पी. मित्तल)
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