Friday 1 January 2016

तो क्या माता-पिता को भी मिल गई नववर्ष की शुभकामनाएं।


देश का शायद ही कोई युवा बचा होगा, जिसने अंग्रेजी कैलेंडर के पहले दिन एक जनवरी को नववर्ष की शुभकामनाएं न दी हो। सोशल मीडिया के वाट्सएप, फेसबुक, मैसेजंर, ट्वीटर आदि पर तो शुभकामनाओं की बाढ़ ही आ गई है। एक-दूसरे से पहचान न होने पर भी शुभकामनाएं दी जा रही है। 31 दिसम्बर की रात को होटलों में जश्न मनाकर एक दूसरे को हैप्पी न्यू ईयर कहा गया। युवाओं के इस उमंग भरे माहौल को देखने के बाद ही मेरा मानना है कि युवाओं ने अपने माता-पिता, दादा-दादी, नाना-नानी आदि अभिभावकों को भी शुभकामनाएं दी होंगी। ऐसे माता-पिता कितने भाग्यशाली होंगे, जिनके बच्चे अंग्रेजों के नववर्ष पर भी मान सम्मान कर रहे हैं। मुझे नहीं लगता कि जो युवा बिना पहचान वालों को भी शुभकामनाएं दे रहा है, वह अपने माता-पिता को शुभकामना न देकर नालायकी करे। हर घर में युवा और बुजुर्ग सदस्य हैं। एक जनवरी को किसी भी बुजुर्ग सदस्य को इस बात की पीड़ा नहीं रही होगी कि उनके बच्चों ने आज नमस्कार और प्रणाम नहीं किया है। जब देर रात को पार्टी में हैप्पी न्यू ईयर के नारे लगाए जा रहे हैं तो सुबह जन्म देने और पालने वाले माता-पिता के तो चरण स्पर्श किए ही होंगे। युवाओं ने न केवल शुभकामनाएं दी होगी, बल्कि बीमार माता-पिता को इलाज के लिए डॉक्टरों के पास भी ले गए होंगे। एक जनवरी को ऐसा कोई भी नालायक युवा नहीं होगा, जिसने अपने बीमार माता-पिता का इलाज न कराया हो। युवाओं ने यदि एक जनवरी को अपने माता-पिता के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद ले लिया तो इससे ही बीमार माता-पिता स्वस्थ हो जांएगे। अब किसी भी माता पिता को यह शिकायत नहीं होगी कि उनके बच्चे सीधे मुंह तक बात नहीं करते। जिन युवाओं ने नववर्ष पर अपने माता-पिता का आशीर्वाद लिया उनका तो नववर्ष सार्थक है, लेकिन जिन युवाओं ने माता-पिता का आशीर्वाद नहीं लिया उनका बेकार है, भले ही हजारों लोगों ने उन्हें शुभकामनाएं दी और हजारों लोगों से शुभकामनाएं ली। युवा घर से बाहर शुभकामनाओं का कितना भी आदान-प्रदान कर लें, लेकिन शुभकामनाएं तो माता-पिता की ही काम आएंगी। जिन युवाओं ने नववर्ष के मौके पर शराब, बीयर और अन्य नशीले पदार्थों का उपभोग किया है, उनका तो नववर्ष मनाना अपनी मौत को आमंत्रण देना है। सब जानते हैं कि नशीले पदार्थों से जानलेवा बीमारियां होती हैं। जब नशीले पदार्थों का सेवन किया जाता है तो फिर नववर्ष कैसे शुभ हो सकता है। अच्छा हो कि नववर्ष के मौके पर युवा वर्ग नशीले पदार्थ त्यागने का संकल्प लें। यदि किसी युवा ने शराब पीना छोड़ा दिया तो सच मानऐं उसके परिवार में खुशियों की बाहर आ जाएगी। शराब जवान बेटा पीता है और मरना माता-पिता का होता है। युवाओं का यह समझना चाहिए कि उनके शराब पीने से माता-पिता को कितना कष्ट होता है। जिन घरों में बाप-बेटा दोनों शराब पीते हंै, उन परिवारों की महिला सदस्यों को तो रोज मरना होता है। 
(एस.पी. मित्तल)
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