Friday 29 January 2016

भारतीय सेना के ऑपरेशन पर अंगुली उठाना मकसद नहीं।



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26 जनवरी को बाड़मेर सीमा पर पाकिस्तान से आए एक गुब्बारे को हमारे लड़ाकू सुखोई विमान से गिराए जाने लेकर 28 जनवरी को मैंने एक ब्लॉग पोस्ट किया था। इस ब्लॉग को लेकर मुझे सेना से जुड़े व्यक्तियों के फोन आए। कुछ लोगों का कहना था कि मैंने बेवजह सेना की कार्यशैली की आलोचना की है। मुझे सेना के कामकाज की जानकारी नहीं है। मुझे यह बताया गया कि दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पंजाब आदि प्रांतों में आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने मेरे इस ब्लॉग को वायरल किया है। मैं यहां यह स्पष्ट कर देना चाहता हंूं कि मैं किसी भी राजनीतिक दल से नहीं जुड़ा हंू। मैं हमेशा से ही देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए लिखता हंू। मैं पिछले तीस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय हंू। 28 जनवरी को भी जब मैंने पाकिस्तान के गुब्बारे पर लिखा तो मेरा मकसद भारतीय सेना के ऑपरेशन पर अंगुली उठाना नहीं था। सेना के जो जवान हमारे लिए सीमा पर गोली खा रहे हैं, उनकी कार्यशैली दोषपूर्ण हो ही नहीं सकती है। पाकिस्तान के गुब्बारे को ध्वस्त करने के लिए लड़ाकू विमान सुखोई का इस्तेमाल सेना के बड़े अधिकारियों ने सोच-समझ कर ही किया होगा। मैंने जब यह ब्लॉग लिखा तब मेरे मन में यही भाव था कि एक चूहे को मारने के लिए शेर का उपयोग किया गया। मेरी नजर में भारतीय सेना के सामने पाकिस्तान की सेना चूहे के समान ही है। हो सकता है कि चूहे की खतरनाक स्थिति को देखते हुए सेना को शेर जैसी कार्यवाही करनी पड़ी, क्योंकि इसी चूहे ने हाल ही में पंजाब के पठानकोट के एयरफोर्स बेस पर भारी नुकसान किया था। हमारी सेना देश की सीमाओं पर ही नहीं बल्कि देश के अंदर भी अलगाववादियों, नक्सलियों, आंतकियों आदि से लड़ रही है। हमारे जवानों का हौंसला हमेशा बुलंद रहना चाहिए। 
(एस.पी. मित्तल)  (29-01-2016)
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