Friday 29 January 2016

मित्तल अस्पताल में भर्ती होने वाले रेल कर्मचारियों के भुगतान की भी जांच हो।


रेलमंत्री सुरेश प्रभु को लिखा पत्र।
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अजमेर के पुष्कर रोड स्थित प्राइवेट मित्तल अस्पताल में प्रतिमाह अनेक रेल अधिकारी एवं कर्मचारी इलाज के लिए भर्ती होते हैं। रेलवे प्रतिमाह लाखों रुपए का भुगतान मित्तल अस्पताल के प्रबंधन को करता है। जबकि अजमेर में रेलवे का अपना बड़ा अस्पताल है और एक साथ सौ मरीज अस्पताल में भर्ती रह सकते हैं। रेलवे प्रशासन अपने इस अस्पताल पर कई करोड़ रुपए प्रतिमाह खर्च करता है। अस्पताल में रेल कर्मचारी के इलाज की अच्छी व्यवस्था है। लेकिन इसके बावजूद  भी छोटी-छोटी बीमारियों के मरीजों को रेलवे के डॉक्टर मित्तल अस्पताल के लिए रैफर कर देते हैं। जिन मरीजों का इलाज आसानी से रेलवे अस्पताल में हो सकता है। उनको भी मित्तल अस्पताल में रैफर कर दिया जाता है। जो रेल कर्मचारी रैफर होने के बाद मित्तल अस्पताल में भर्ती होता है, उसका सरा खर्च रेल प्रशासन देता है। 
गंभीर बात है कि रेलवे में अनुबंध के आधार पर जो डॉक्टर काम कर रहे है, उन डॉक्टरों की रुचि भी मित्तल अस्पताल में अधिक से अधिक मरीज भेजने की होती है। अजमेर के सुप्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. विनीत गर्ग ने 29 जनवरी को केन्द्रीय रेलमंत्री सुरेश प्रभु को एक मेल भेजा है। इस मेल में बताया गया है कि मित्तल अस्पताल का प्रबंधन किस तरह इंश्योरेंस कंपनी के अधिकारियों से मिली भगत से मेडीक्लेम की राशि का भुगतान प्राप्त करते हैं। डॉक्टर गर्ग ने रेलमंत्री से मांग की है कि पिछले एक वर्ष में रेलवे अस्पताल में जितने भी मरीज मित्तल अस्पताल रैफर किए उन सभी की बीमारियों की जांच होनी चाहिए। जांच में इस बात का पता लगाए जाए कि ऐसे मरीजों का इलाज रेलवे अस्पताल में ही क्यों नहीं हुआ? इसके साथ ही संभावित मरीज के इलाज की एवज में रेलवे से मित्तल अस्पताल को जो राशि मिली उसकी भी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। डॉक्टर विनीत गर्ग का मानना है कि इस जांच के परिणाम से अनेक लोगों के चेहरे पर से नकाब उतर जाएगी। चिकित्सा के क्षेत्र में जो महाघोटाला हो रहा है वह भी सामने आ जाएगा। 
समझौते का दबाव:
उधर मित्तल अस्पताल में गत 22 जनवरी से भर्ती श्रीनगर (अजमेर) की सरपंच श्रमती चन्द्रकांता राठी की तबीयत स्थिर बनी हुई है। श्रीमती राठी के पति दिलीप राठी ने 28 जनवरी को आरोप लगया था कि मित्तल अस्पताल का प्रबंधन और मेडीक्लेम पॉलिसी करने वाली कम्पनियों के प्रतिनिधि मिलीभगत कर वित्तिय अनियमितता कर रहे हैं। मरीज जब भर्ती होता है तो आईसीयू का किराया 4 हजार 800 रुपए बताया जाता है, लेकिन इंश्योरेन्स कम्पनी से 6 हजार 800 रुपए वसूले जाते हैं। राठी के इस आरोप के बाद अब अस्पताल प्रबंधन समझौते का दबाव बना रहा है।
(एस.पी. मित्तल)  (29-01-2016)
(spmittal.blogspot.inM-09829071511

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