Monday 4 January 2016

महिलाओं के खिलाफ अपराध करने वालों के प्रति होना चाहिए बस्सी जैसा गुस्सा। गोली या फांसी।



4 जनवरी को दिल्ली के पुलिस कमिश्नर बी.एस.बस्सी ने पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि यदि संविधान इजाजत दे तो महिलाओं के खिलाफ अपराध करने वालों को गोली मार दी जाए या फिर फांसी पर लटका दिया जाए। असल में पूरा देश मानता है कि आरोपियों को जनभावनाओं के अनुरुप सजा नहीं मिल पाती है। हालांकि सरकार ने सख्त से सख्त कानून बनाए भी हैं, लेकिन हमारे देश की जो व्यवस्था है उसमें बलात्कार जैसा घिनौना अपराध करने के बाद भी आरोपी बच निकलता है। वर्तमान कानून को देखते हुए ही बस्सी ने अपने गुस्से का इजहार किया है। हमारी अदालतें अंधी हैं, न्याय की कुर्सी पर बैठे अधिकारी को सबूत चाहिए। बिना सबूत के किसी को भी सजा नहीं हो सकती। भले ही बलात्कार की शिकार महिला चीख-चीख कर अपनी दर्द भरी कहानी सुनाए, लेकिन अदालते सबूत के बिना कुछ नहीं कर सकती। हालांकि नए कानून में पीडि़त महिला की रिपोर्ट को भी सबूत माना गया है लेकिन फिर भी अदालतों से जो उम्मीद की जाती है वह पूरी नहीं होती इसलिए दिल्ली में पुलिस कमिश्नर को यह कहना पड़ा कि ऐसे अपराधियों को गोली मार दी जाए या फिर फांसी पर लटका दिया जाए।
इसमें कोई दो राय नहीं कि महिलाओं के प्रति अपराधों में लगातार वृद्धि हुई है। अब तो सोशल मीडिया की क्रांति है। जिसमें महिला की इज्जत को तार-तार किया जा रहा है। सोशल मीडिया पर ऐसे वीडियो और फोटो वायरल होते रहते है जिसमें महिलाओं के साथ बलात्कार, छेड़छाड़, पिटाई, ज्यादती के दृश्य होते हैं। इन दृश्यों को देखने के साफ जाहिर होता है कि पीडि़त लड़की ब्लेकमेलरों के चुंगल में फंसी हुई है। ऐसे दृश्यों को देखने के बाद बस्सी जैसा गुस्सा होना ही चाहिए। किसी भी युवक को यह अधिकार नहीं कि वह लड़की की मर्जी के बिना उसके हाथ भी लगाए। जिन माता-पिता के लड़कियां हंै वे इस बात की कल्पना करके देखे कि यदि उनकी बेटी को जबरन बलात्कार का शिकार बनाया जाता है तो उसके मन में कैसा गुस्सा आएगा। इस मामले में स्कूल-कॉलेज में पढऩे और कम्पनियों में काम करने वाली लड़कियों को भी सावधानी बरतने की जरूरत है। कई बार लड़कियां भावनाओं में बहकर भूल कर देती हैं और बाद में यही भूल लड़कियों को बार-बार ब्लेकमेल करवाती है। लड़की अपने और अपने परिवार की इज्जत के खातिर ज्यादती की शिकार होती रहती है। जो युवक किसी लड़की की मजबूरी का फायदा उठाकर बलात्कार जैसा अपराध करता है उसे तो बस्सी जैसा गुस्सा मिलना ही चाहिए। लड़कों से दोस्ती रखने वाली लड़कियों को यह समझना चाहिए कि मोबाइल के जरिए गुप्त तरीके से न केवल फोटो खींचे जा सकते हैं बल्कि आवाज भी रिकॉर्ड की जा सकती है। लड़कों से बात करते वक्त लड़कियों को बेहद सतर्कता बरतनी चाहिए। कई बार लड़के अपनी महिला मित्र की आवाज रिकॉर्ड कर लेते है और फिर इस रिकॉर्डिंग की आड़ में होटल के कमरे में जबरन बुलाते हैं। यहां भी लड़की के फोटो खीचे जाते हैं और फिर बाद में एक नहीं कई लड़कों की ज्यादती का शिकार बेबस लड़की को होना पड़ता है। अच्छा हो कि स्कूल कॉलेज पढऩे वाली लड़कियां अपने युवक सहपाठियों से सिर्फ पढ़ाई की बात करें। जो लड़कियां बॉय फे्रेंड बनाने में अपनी शान समझती हैं उन्हें तो बेहद सावधानी बरतनी चाहिए। इस मामले में किसी लड़की का बॉय फ्रेंड बनने वाले लड़के का यह दायित्व है कि वह अपनी गर्ल फ्रेंड की भावनाओं के साथ खिलवाड़ न करे। ऐसे बॉय फे्रंड को यह ध्यान रखना चाहिए कि उसके घर में भी बहन और मां है।

(एस.पी. मित्तल)
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