Monday 25 January 2016

कोर्ट के आदेश पर भी मित्तल अस्पताल के खिलाफ कार्यवाही नहीं।



आखिर मर गई वकील की माताजी। 
--------------------------------------
अजमेर के पुष्कर रोड स्थित मित्तल अस्पताल के खिलाफ कोर्ट के आदेश के बाद भी पुलिस कोई कार्यवाही नहीं कर रही है। अजमेर के ही रामनगर में राहने वाले वकील गोविंद सिंह का आरोप है कि मित्तल अस्पताल की लापरवाही की वजह से उनकी माताजी गुलाब देवी की मौत हो गई। वकील ने बताया कि मित्तल अस्पताल में सर्वश्रेष्ठ ईलाज होता है, इस दावे के प्रभाव में आकर ही उसने 13 नवम्बर 2015 को अपनी माताजी को मित्तल अस्पताल में भर्ती करवाया। अस्पताल के चिकित्सकों ने माताजी के स्वास्थ्य को देखते हुए दवाई युक्त ग्लुकोज चढ़ाने का निर्णय लिया। दवा को शरीर में समावेश करने के लिए हाथ में केंडुला लगाया, लेकिन अस्पताल के चिकित्सा कर्मियों की लापरवाही की वजह से केंडुला सही प्रकार से नहीं लगा, जिसकी वजह से माताजी के हाथ में जख्म हो गया। यह जख्म दोनों हाथों में किए गए। मैं बार-बार अस्पताल के प्रबंधन और चिकित्सकों के समक्ष यह गुहार लगाता रहा कि माताजी का इलाज सावधानी से नहीं हो रहा है, लेकिन मेरी एक नहीं सुनी गई। मैंने जब नाराजगी दिखाई तो प्रबंधन ने माताजी को जबरन डिस्चार्ज कर दिया। मैंने जब इलाज के कागजात मांगे तो मुझे कागजात भी नहीं दिए गए। चूंकि मित्तल अस्पताल की लापरवाही की वजह से माताजी के दोनों हाथों में जख्म हो गए थे, इसलिए मुझे अन्यंत्र इलाज करवाना पड़ा। लेकिन अथक प्रयासों के बाद भी माताजी के हाथ के जख्म ठीक नहीं हुए और 9 दिसम्बर 2015 को माताजी की मौत हो गई। इस संबंध में जब मित्तल अस्पताल के प्रबंधन के खिलाफ क्रिश्चियनगंज पुलिस स्टेशन पर रिपोर्ट दी गई तो पुलिस ने दर्ज करने से भी मना कर दिया। 
अस्पताल प्रबंधन और पुलिस की मिली भगत को देखते हुए न्यायिक मजिस्टे्रट संख्या-3 की अदालत में मित्तल अस्पताल के निदेशक सुनील मित्तल, मनोज मित्तल और अन्यों के खिलाफ धारा 420, 491, 323, 504, 406 के अंतर्गत इस्तगासा प्रस्तुत किया गया। इस पर अदालत ने 156/3 के अंतर्गत क्रिश्चियनगंज पुलिस को मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए। सिंह ने बताया कि पुलिस ने मुकदमा दर्ज करने क बाद भी आज तक मित्तल अस्पताल के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की है। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि पुलिस मित्तल अस्पताल के प्रबंधन को बचा रही है। इस पूरे मामले में अस्पताल के प्रशासनिक अधिकारी नवीन काबरा की भूमिका भी गैर जिम्मेदारानापूर्ण रही है। मेरी माताजी के संक्षिप्त इलाज के अस्पताल प्रबंधन ने 13 हजार रुपए वसूले हैं। यदि अस्पताल में केंडुला लगाने में लापरवाही नहीं होती तो मेरी माताजी की मौत भी नहीं होती। माताजी की मौत का जिम्मेदार अस्पताल प्रबंधन ही है। 
(एस.पी. मित्तल)  (25-01-2016)
(spmittal.blogspot.in) M-09829071511

No comments:

Post a Comment