Sunday 31 January 2016

शोध के विषयों में बदलाव को लेकर नागपुर में राष्ट्रीय सेमीनार।



भारतीय संस्कृति के अनुरूप हों शोध। 
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राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े भारतीय शिक्षण मंडल की ओर से 11,12 व 13 फरवरी को नागपुर में एक अंतर्राष्ट्रीय सेमीनार आयोजित की जा रही है। इस सेमीनार में शोध के विषयों में बदलाव को लेकर महत्त्वपूर्ण चर्चा होगी। इस सेमीनार का महत्त्व इस बात से पता चलता है कि सेमीनार में केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी, केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जाड़वेकर, केन्द्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के साथ-साथ देशभर के प्रमुख विश्वविद्यालयों के चालीस कुलपति एवं शिक्षाविद् भाग लेंगे। मंडल के राष्ट्रीय सहसंगठन मंत्री मुकुल कानिटकर ने बताया कि नागपुर में होने वाली इस तीन दिवसीय सेमीनार में सीआईआई व फिक्की से जुड़े बड़े पदाधिकारी भी भाग लेंगे। सेमीनार का मुख्य उद्देश्य शोध के विषयों में बदलाव करना है। वर्तमान में विश्वविद्यालयों एवं अन्य क्षेत्रों में जो शोध के कार्य हो रहे हैं वे सार्थक साबित नहीं हो रहे है। विश्वविद्यालयों में शोध करने वाले विद्यार्थियों को ऐसे विषय दिए जाते हैं जो किसी काम के नहीं होते। आज जब अमरीका और इंग्लैंड जैसे देश भारतीय संस्कृति को देखकर शोध के काम कर रहे है, तब सरकार को भी ऐसी नीति बनानी चाहिए, जिससे भारतीय संस्कृति की उपयोगिता बढ़ सकती है। कानिटकर ने बताया कि हमारे वेदशास्त्रों पर पश्चिमी देशों में शोध का काम बड़े पैमाने पर हो रहा है। विदेशी शिक्षाविद् हमारे वेदपाठी विद्यार्थियों को बुलाकर वेदशास्त्र समझ रहे हैं। हमारे वेदों में हर समस्या का समाधान है, आज विज्ञान जो कल्पना कर रहा है, उसे हमारे शास्त्रों में पहले से ही लिखा गया है। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद शिक्षा के क्षेत्र में कोई नई दिशा नहीं मिली और न ही शिक्षा को हमारे वैदिक शास्त्रों के अनुरूप पढ़ाया गया। अब जब पश्चिमी देश हमारे वेदों की नकल कर रहे हैं, तब हमारी सरकार को भी चाहिए कि हमारे संस्कृति के अनुरूप शिक्षाहो। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों में विद्यार्थियों को शोध के जो विषय दिए जाते हैं, वे वेदों के अनुरूप होने चाहिए। इससे जहां युवा पीढ़ी को हमारी संस्कृति को समझने का अवसर मिलेगा। वहीं समाज को एक नई दिशा भी मिलेगी। आज दुनियाभर में पर्यावरण की सबसे बड़ी समस्या है। इस समस्या का समाधान भी हमारे पास है। कानिटकर ने बताया कि सेमीनार के लिए अब तक 700 पत्र प्राप्त हो चुके हैं, इनमें से 40 पत्रों की प्रस्तुति सेमीनार में की जाएगी। साथ ही सेमीनार के समापन पर एक प्रस्ताव बनाकर सरकार को भेजा जाएगा। इस प्रस्ताव में बताया जाएगा कि अब शोध के लिए कौन-कौन से विषय होने चाहिए तथा शोधकार्य को किस प्रकार से प्रभावी बनाया जाए। सेमीनार में देशभर में कोई 500 प्रतिनिधि भाग लेंगे। 
(एस.पी. मित्तल)  (31-01-2016)
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