Friday 8 January 2016

अजमेर के मित्तल अस्पताल को भी करना पड़ेगा भामाशाह योजना में गरीबों का ईलाज


मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की महत्वाकांक्षी भामाशाह योजना में अब अजमेर के पुष्कर रोड स्थित मित्तल अस्पताल को भी गरीबों का ईलाज करना पड़ेगा। सरकार ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि जिन निजी अस्पतालों ने रियायती दरों पर भूमि ली है तथा चैरिटेबल ट्रस्ट के नाम से सरकार से अनेक छूट लेते हैं उन्हें भामाशाह योजना के दायरे में अनिवार्य रूप से शामिल किया जाएगा। मित्तल अस्पताल ने न केवल सरकार से रियायती दर पर जमीन ली है बल्कि घीसी बाई चेरिटेबल ट्रस्ट के माध्यम से प्रबंधन भी किया जाता है। अस्पताल में अनुसंधान करने के नाम पर सरकार से अनेक सुविधाएं ली जा रही हैं। इतना सब कुछ होने के बाद भी मित्तल अस्पताल के निदेशक मनोज मित्तल, दिलीप मित्तल आदि ने भामाशाह योजना में रियायती दरों पर गरीबों का ईलाज करने से इंकार कर दिया है। मित्तल अस्पताल उन बड़े निजी अस्पतालों में शामिल है, जिन्होंने यह तर्क दिया कि सरकार ने ईलाज की जो दरें निर्धारित की हैं उन पर ईलाज संभव नहीं है। जानकार सूत्रों के अनुसार अजमेर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने अन्य अस्पतालों के साथ मित्तल अस्पताल का नाम भी शामिल किया था, लेकिन प्रबंधन ने तिगड़म लगाकर अपने अस्पताल का नाम भामाशाह योजना से कटवा दिया। यह जांच का विषय है कि जयपुर में बैठे किन अधिकारियों ने मित्तल अस्पताल का नाम हटाया है। हालांकि अब सरकार ने स्पष्ट निर्देश दे दिए हैं कि सभी निजी अस्पतालों को भामाशाह योजना के दायरे में लाया जाए। ऐसे में अब गरीब मरीजों का ईलाज भी मित्तल अस्पताल में हो सकेगा।
सड़क का दुरुपयोग:
एक ओर मित्तल अस्पताल के मालिक सरकारी योजनाओं में सहयोग नहीं करते हैं तो दूसरी ओर अस्पताल के बाहर पुष्कर रोड की सड़क का खुलेआम दुरुपयोग किया जाता है। अस्पताल के नक्शे में पार्किंग अस्पताल परिसर में ही दर्शा रखी है लेकिन किसी भी मरीज के परिजन के वाहनों को परिसर के अन्दर खड़ा नहीं होने दिया जाता है। प्रबंधन की इस दादागिरी की वजह से ही मरीजों के परिजन सड़क पर ही वाहन खड़े करने को मजबूर होते हैं। गंभीर बात तो यह है कि नगर निगम और ट्रेफिक पुलिस भी अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं करती है।
नगर निगम है मेहरबान:
मित्तल अस्पताल के मालिकों का अजमेर शहर में जमीनों का बड़ा कारोबार है। एक आवासीय जमीन पीआर मार्ग स्थित भैंसा कॉम्प्लेक्स में भी है। इस जमीन को व्यवसायिक करने के लिए निगम में कवायद चल रही है। हालांकि अनेक व्यक्तियों ने भूमि का रुपान्तरण करने का आवेदन कर रखा है लेकिन नगर निगम प्रशासन सिर्फ मित्तल अस्पताल के मालिकों पर ही मेहरबान है। सवाल उठता है कि जो मालिक मुख्यमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना को विफल करने में लगे हुए हैं उन पर भाजपा के शासन वाला नगर निगम क्यों मेहरबान है?
(एस.पी. मित्तल)  (08-01-2016)
(spmittal.blogspot.inM-09829071511

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