Friday 8 January 2016

ब्यावर के झूठे सैक्स रैकेट मामले की जाँच अब हाईकोर्ट करे


अजमेर जिले की ब्यावर सदर थाने की पुलिस ने स्वयं मान लिया है कि गत् 30 नवम्बर को सैक्स रैकेट के नाम पर जिन युवक-युवतियों को गिरफ्तार किया गया था। वह सैक्स रैकेट का मामला झूठा है। 7 जनवरी को पेश एफआर को मंजूर करते हुए ब्यावर की मजिस्ट्रेट श्रीमती सीमा मेवाड़ा ने सभी आरोपी युवक-युवतियों को पीटा एक्ट की धाराओं से बरी भी कर दिया है। हालांकि अब मजिस्ट्रेट मेवाड़ा एएसपी विनीत बंसल के खिलाफ कार्यवाही करने के मूड में है, इसीलिए आगामी 23 जनवरी को बंसल को अदालत में तलब किया गया है। युवक-युवतियों को पहले सैक्स रैकेट के आरोप में गिरफ्तार करना और फिर अपने ही मुकदमे को झूठा बताने से यह जाहिर हो गया कि पुलिस हमेशा अपने नजरिए से काम करती है, चूंकि इस मामले में एएसपी रैंक का अधिकारी शामिल है, इसलिए अच्छा हो कि इस मामले की जाँच हाईकोर्ट के स्तर पर हो। यह माना कि पुलिस की एफआर के बाद ब्यावर की अदालत ने भी नाराजगी जताई है, लेकिन यह भी सही कि अदालत के आदेश से ही युवक-युवतियों को एक दिन के रिमाण्ड पर भेजा गया। झूठी और बेशर्म ब्यावर पुलिस ने जब एक दिसम्बर को युवक-युवतियों को अदालत में प्रस्तुत किया था, तब भी युवतियों ने रोते-बिलखते हुए कहा था कि वे निर्दोष हैं। वे तो जयपुर की एक इवेन्ट कम्पनी में काम करती हैं और ब्यावर में आयोजित एक समारोह में इवेन्ट का काम करने आई है। अदालत में यह भी कहा गया कि युवतियां आईएएस जैसे प्रतिष्ठित पद की परीक्षा दे रही हैं। लेकिन झूठी और बेशर्म पुलिस ने निर्दोष युवतियों का रिमाण्ड अदालत से ले ही लिया। सात जनवरी को प्रस्तुत एफआर से यह जाहिर होता है कि एक दिसम्बर को ब्यावर पुलिस ने अदालत में बड़ी बेशर्मी के साथ झूठ बोला था। ब्यावर पुलिस की झूठ की पोल अब खुलती जा रही है। यह कोई साधारण मामला नहीं है। इस समय प्रदेश की मुख्यमंत्री महिला है और ऐसा नहीं होना चाहिए कि पुलिस लड़कियों को सैक्स रैकेट जैसे झूठे मामले में गिरफ्तार करे। चूंकि प्रदेश की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे बहुत व्यस्त रहती है, इसलिए स्वाभाविक है कि यह मामला उनकी नजर में नहीं आया। जब सरकार बार-बार यह दावा करती है कि महिलाओं का मान-सम्मान किया जाएगा तो फिर ब्यावर पुलिस को यह अधिकार नहीं है कि वे निर्दोष युवतियों को सैक्स रैकेट जैसे घिनौने अपराध में गिरफ्तार करे। मुख्यमंत्री की व्यस्तता को देखते हुई ही अब हाईकोर्ट से ही यह उम्मीद है कि वे दोषी पुलिस के खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही करें। यदि इस मामले की जांच अजमेर स्तर पर ही करवाई गई हो तो मामले में लीपापोती होने की संभावना है, इसकी शुरूआत भी हो चुकी है। 7 जनवरी को जब अदालत में एएसपी बंसल के बारे में पूछा तो पुलिस के एक अदने अधिकारी ने कहा, साहब तो 10 दिनों के अवकाश पर है और उनका मोबाइल भी स्विच ऑफ है। क्या ऐसा संभव है कि एएसपी स्तर के अधिकारी के बारे में पुलिस को कोई जानकारी न हो? यानि 7 जनवरी को भी झूठी और बेशर्म ब्यावर पुलिस झूठ बोलती रही। यह माना कि कोई भी अदालत युवतियों के सम्मान को लौटा नहीं सकती लेकिन दोषी पुलिस के खिलाफ तो कार्यवाही कर ही सकती है। युवक-युवतियों के खिलाफ झूठा मामला बनाने में एएसपी बंसल के साथ-साथ गनमैन करतार, वाहन चालक नाथू सिंह, विश्राम, संजीव कुमार, जगवेन्द्र, दातार सिंह, सुखराम, महिला कांस्टेबल रामप्यारी, एएसआई दशरथ सिंह आदि शामिल हैं। इस मामले में थानाधिकारी अनूप सिंह को पहले ही लाइन हाजिर किया जा चुका है।
(एस.पी. मित्तल)  (08-01-2016)
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